क्यों कचरे और गंदे पानी के साथ जीने में मजबूर रीवा वासी

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कचरे और गंदे पानी के साथ जीने में मजबूर रीवा वासी।
एच एल विश्वकर्मा (जनक्रांति न्यूज़) रीवा: प्रशासन जानकर भी अनजान। कभी कोश में फंड न होने का हवाला देकर तो कभी मीटिंग तो कभी छुट्टी का हवाला देकर समस्याओं का समाधान करने में असमर्थ।
सी एम हेल्प लाइन भी नाकाम यह सरकारी काम कुछ इस तरह से रीवा जिले के वार्ड क्रमांक ४ व रेलवे स्टेशन से सटी हुई नई बस्ती गोडहर ग्राम पंचायत वार्ड क्रमांक २ के निवासियों के साथ किए जाते है।
 क्या आपने कभी सोचा है जीवन यापन की रोजमर्रा की प्राण वायु आवश्यकताएं क्या हैं?
जरा सोचिए फिर आगे पढ़िए …
जो कि प्राकृतिक देन है पर धरती पर जीवन-यापन करने वालों के लिए आवश्यक है। जिसे हम बेसिक नीड कहते हैं..
रोटी, कपड़ा और मकान..
और इन तीनों के लिए ही हर व्यक्ति रोज अपने परिवार से दूर जाकर कड़ी धूप में मेहनत मजदूरी करता है.. किन्तु विचारने योग्य बात यह है कि क्या सिर्फ इतने में आदमी जी पाएगा, अगर उसे पीने का पानी तक ही नसीब न हो? पीएचई विभाग ने मीठे पानी पीने का मिलेगा बोलकर नल का कनेक्शन लगवा दिया, किन्तु नल में पानी कभी-कभी ही देखने को मिलता है और जो पानी देखने को मिलता भी है तो वह मात्र २ टब और वो भी इतना गंदा होता है कि जिसे आप देख कर ही बेहोश हो जाएं। उसके बाद भी रुपए १७५ प्रति माह चार्ज वसूला जाता है। अगर बिल भुगतान में विलम्ब हुआ तो पेनल्टी चार्ज अलग से वसूला जाता है। नल कनेक्शन में फ्लो मीटर लगा है पर मीटर की कोई रीडिंग नहीं लेने आता तो फिर बिन पानी सप्लाई के फुल भुगतान क्यों लिया जाता है?
स्वच्छता अभियान की कचरा इक्कट्ठा करने वाली गाड़ी १५ से २० दिनों में सिर्फ एक बार ही आती है। 
घर के लैट्रीन बाथरूम का पानी घर से बाहर निकल ही न पाए और वहीं बदबूदार पानी उशी के घर में फिर से भराता है, घर के पानी निकासी के लिए नालियों की कोई व्यवस्था नहीं होती, ग्राम प्रधान मुखिया से निवेदन करने पर कहा जाता है कि कोश में फंड ही नहीं है कैसे होगा नाली निर्माण का कार्य। थक हार कर जब प्रार्थी सीएम हेल्प लाइन से मदद लेता है तो पहले तो प्रार्थी को एक हफ्ते का समय दिया जाता समस्या का निराकरण करने हेतु, फिर एक हफ्ते बाद सीएम हेल्प लाइन से जवाब आता है कि आपकी समस्या का निदान संबंधित अधिकारी द्वारा हो चुका है, किन्तु वास्रव में ऐसा कुछ हुआ नहीं होता… फिर दोबारा वही शिकायत बड़े उच्च अधिकारी को की जाती है सीएम हेल्प लाइन द्वारा.. फिर उच्च अधिकारी द्वारा कहा जाता है कि आपकी समस्या का समाधान कर दिया जाएगा बस आप अपनी सीएम हेल्प लाइन को की गई शिकायत को ये कहकर क्लोज करवा दीजिए आपकी समस्या का समाधान हो गया है और हम आपकी समस्या का समाधान करवा देंगे… प्रार्थी अपनी कंप्लेन क्लोज करवा लेता है… उसके बाद संबंधित अधिकारी फिर नहीं आते, कभी मीटिंग आ जाती है तो कभी और कोई कारण.. बस कल आएंगे, कल… और कल कभी आता ही नहीं… यही समाधान होता है…
बिना गंदे जल निकासी के और पीने के पानी के अभाव से कैसे जिए एक आम इंसान? यह है मेरी मध्य प्रदेश सरकार।
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