क्रोध एक मानसिक विकार है

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पानसेमल (जनक्रांति न्यूज़) संदीप पाटिल: पानसेमल मनुष्य समझता है। कि हमारे क्रोध से दूसरे डरेंगे पर उल्टे अपने हथियार से स्वयं चालक ही घायल हो जाता है। यह है क्रोध का गुणधर्म जहां से उत्पन्न होता है ।वहीं पर प्रथम प्रहर करता है। इस दृष्टि से क्रोधी व्यक्ति बलशाली नहीं किंतु निर्बल समझना चाहिए। इसका असर शीघ्र ही विचार शक्ति पर पड़ता है ।इसके कारण मस्तिष्क और विचारों मैं असंतुलन आ जाता है। उक्त विचार योग गुरु कृष्णकांत सोनी ने स्थानीय विद्यार्थियों से श्री कृष्ण बगीचे में निशुल्क योग सिखाते हुए कहे योग गुरु ने आगे बताया कि क्रोध हमारे शरीर का प्रबल शत्रु है। हमेशा सतर्क रहकर उसे जीतने के उपाय करें। इसके लिए ध्यान आसन शवासन मकरासन ,आदि का अभ्यास सभी विकारों या रोगों से शरीर की रक्षा के लिए चमत्कारी उपाय है। चने की दाल 50 ग्राम रात को पानी में भिगोकर रखें सुबह हल्के गुनगुने एक गिलास दूध के साथ चने की दाल चबाकर सेवन करे। तो मधुमेह में एवं कमजोरी दूर करने में आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा ।फोटो छात्र लोकेश एवं योग गुरु कृष्णकांत संतुलन आसन एवं मयूरासन का प्रदर्शन करते हुए।

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