पोला पर्व को लेकर बाजारों में रही रौनक, कृषकों ने खरीदे पशुओं के लिए नाथ, मोरकी, रस्सी और सजावट की सामग्री पशुओं को 1 दिन करवाया जाता है आराम,पूजन करने के बाद खिलाया जाता है स्वादिष्ट व्यंजन
पानसेमल नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में पोला पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है,जिसकी खरीदारी के लिए कृषकों और पशु मालिको की बाजार में भिड़ नजर आई,नगर में गुरुवार को पोला उत्सव मनाया जायेगा,नगर परिषद द्वारा मंदिर के आसपास स्वच्छता कार्य कर रंग रोगन किया जाता है।ग्राम जलगोन निवासी रंगराव पाटिल ने बताया की वे 50 वर्षो से अधिक समय से पोला पर्व मनाने की परंपरा को निभाते आ रहे हैं,यह पर्व विशेष रूप से महाराष्ट्रीयन समाज द्वारा मनाया जाता है जिसमे मुख्य रूप घरों में 8 दिनो पूर्व से तैयारी की जाती हैं और पूर्ण पोली,खीर और रसी भात और अन्य स्वादिष्ठ व्यंजन बनाए जाते,परिवार में बच्चो सहित बड़े सदस्यो द्वारा बेलो को सजाया जाता है,जिसके बाद पूजन कर बेलो को प्रमुख मार्गो से घुमाते हुए हनुमान मंदिर के चारो तरफ चक्कर लगाए जाते है,पोला पर्व के दिन सभी पशुओं को नहलाकर उनकी सजावट की जाती है तथा उनसे काम भी नहीं करवाया जाता है।रविवार को नगर में हाट बाजार होने से अधिकतर किसान नाथ मोरकी और सजावट की सामग्री की खरीदारी करते नजर आए।नगर के जलगोन रोड,मुख्य मार्ग,झंडा चोक सहित अन्य दुकानों पर पशु मालिको ने साज सज्जा सामग्री खरीदी की।पानसेमल नगर के स्थानीय गायत्री मंदिर परिसर के आसपास बेलो को घुमाया जाता है।ग्राम में अन्य पशुओं को अपने घरों तथा अपने पशुओं परिजनों या परिचितों के घरों पर भेजकर उनकी पूजा की जाती हैं।पोला पर्व को महाराष्ट्रीयन समाज द्वारा श्रावण माह के समापन के रूप में माना जाता है।भटू कुलकर्णी महाराज ने बताया की पोला पर्व नगर वर्षो से पर्व मनाया जा रहा है,कृषि कार्य में बेलो का विशेष महत्व होता है और उनके द्वारा कड़ी मेहनत के बाद ही अन्न उपजता है जिसके कारण दुनिया का पेट भर पाता है,बेलो के इस अथक परिश्रम के कारण उन्हें एक दिन आराम करवाया जाता है,तथा उनका पूजन कर उन्हे गेंहू,ज्वार मक्का या पकवान खिलाया जाता है,मिट्टी के बेलो की भी पूजा की जाती है।क्षेत्र में बड़े हर्ष उल्लास के साथ पर्व मनाया जाता है।पोला पर्व को लेकर विभिन्न कथाये और किवदंतियां भी प्रचलित हैं।
पानसेमल तहसील जन क्रांति न्यूज़ से संदीप पाटिल
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