भगोरिया की मस्ती 2023: आदिवासियों की सांस्कृतिक विरासत

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धुलकोट (जनक्रांति न्यूज़) दिलीप बामनिया धुलकोट क्षेत्र के ग्राम अंबा में आदिवासियों के त्यौहार के होली के पूर्व 7 दिन से भोंगर्या शुरू होता है जो की होली के एक दिन पहले तक चलता है।
जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन बुरहानपुर के जयस जिला उपाध्यक्ष अनिल बामनिया का कहना है की  भोंगर्या हाट में पूजन की सामग्री खरीदने का हाट भोंगर्या हाट के नाम से प्रसिद्ध है। बुधवार से भोंगर्या शुरू हुआ है  जिसमें घर-घर गांव गांव से महिला पुरुष युवक युवतियां बच्चे बूढ़े भोंगर्या हाटों में आने वाले हैं भोंगर्या हाट में आदिवासियों की सांस्कृतिक विरासत झलकती हैं। जिसमें की आदिवासी पारंपरिक वेशभूषा पहनकर भोंगर्या हाटों में आते हैं। जहां प्रकृति के मानवीय मूल्य परिलक्षित होता है। जैसा कि एक दूसरे से भाईचारे का व्यवहार करना एक दूसरे की हालचाल की खबर लेना ऐसी परंपरा भोंगर्या हाटों में निर्वाह होती हैं।
           इन हाटों में तरह-तरह की दुकानें भी लगती हैं। जिसमें कई सारी खाद्य सामग्री विक्रय होती हैं जैसे सेव, भजिए, जलेबी, खांनकाकडी, खजूर, दाली, अंगूर,संतरा जैसी सामग्री की दुकान लगती है।
और आदिवासी सांस्कृतिक रीति रिवाज के अनुसार डोल मांदल, पावली, घंगुल, बजाकर आदिवासी भाई लोग नाज गाना करते है और झोला झोलते है जिसमे उपस्थित जयस ब्लाक इकाई महासचिव किशोर बड़ोले, मगन सिसोदिया, दामु बर्डे नानसिंग मोरे,सूरजमल रावत,नरसिंह अलावे, गोपाल अलाव,पवन बड़े,रायमाल बामनिया,राहुल बड़ोले, आदि लोग भोंगरिया उत्सव मनाया गया।
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