भोपाल। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। तमाम बड़े नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है, जिनमें नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह भी शामिल हैं। अब पार्टी की कमी और खामियों की खुलकर चर्चा हो रही है। यही कारण है कि राष्ट्रीय नेतृत्व बड़े बदलाव की तैयारी में है।राज्य विधानसभा के चुनाव के नतीजे ऐसे आए हैं जिसकी कल्पना कांग्रेस ने नहीं की थी। वह तो सत्ता का सपना संजोए हुए थी, मगर ऐसा हुआ नहीं। कांग्रेस के खाते में 230 सीटों में से सिर्फ 66 सीटैं आई। कुल मिलाकर वह तीन अंकों तक भी नहीं पहुंच पाई।
इस चुनाव में कांग्रेस के तमाम बड़े दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा है और नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह तक अपने को हार से नहीं बचा पाए। गोविंद सिंह की सीट लहार विधानसभा क्षेत्र को सबसे सुरक्षित माना जा रहा था, मगर वहां भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।
नतीजों के बाद से ही कांग्रेस में बड़़ बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। कांग्रेस को वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल हुई थी और इसमें कांग्रेस के संगठन के तौर पर दो बड़े नेताओं की भूमिका रही थी। पहले पार्टी के अध्यक्ष रहे अरुण यादव और उसके बाद कमान संभालने वाले कमलनाथ। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए पार्टी की राज्य में ऐसी पिच तैयार कर दी थी जिस पर कांग्रेस को खेलना आसान हो गया था और कमलनाथ को राज्य की कमान मिलने के बाद उन्होंने गुटबाजी को खत्म कर दिया, सबको एक साथ किया। परिणाम स्वरुप कांग्रेस 2018 के विधानसभा चुनाव में बढत हासिल कर गई।
कांग्रेस की करारी हार के बाद मध्य प्रदेश में पार्टी में बड़े स्तर पर बदलाव की खबरें चल रही हैं. बताया जा रहा है कि जल्द ही पार्टी में बड़ा फेरबदल होगा. इस बीच पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने बड़ा बयान दिया है. यादव का कहना है कि वह पार्टी के सामान्य कार्यकर्ता हैं और उनकी जिम्मेदारी क्या होगी यह दिल्ली से तय की जाएगी. बता दें कि अरुण यादव एक बार फिर से एक्टिव नजर आ रहे हैं.
दिल्ली से तय होगी जिम्मेदारी
इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को पार्टी आलाकमान ने दिल्ली तलब किया है। बता दें कि एक दिन पहले ही राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने एमपी के नेताओं के साथ बैठक की थी।
इस बैठक में अरुण यादव शामिल नहीं हुए थे। बैठक के दूसरे दिन कांग्रेस आलाकमान ने अरुण यादव को अब दिल्ली बुलाया है। हार के बाद हाल ही में अरुण यादव ने बयान दिया था कि वह पार्टी के सामान्य कार्यकर्ता हैं और उनकी जिम्मेदारी क्या होगी यह दिल्ली से तय की जाएगी।
पीसीसी चीफ की रेस में शामिल
बता दें कि कांग्रेस की करारी हार के बाद वर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ पार्टी प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ सकते हैं, ऐसे में अरुण यादव इस रेस में प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। वह पहले भी यह जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। जबकि अरुण यादव के जिले में कांग्रेस का प्रदर्शन भी ठीक-ठाक ही रहा है। उनके प्रभाव वाले निमाड़ अंचल में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया है। उनके भाई सचिन यादव भी अपनी सीट बचाने में सफल रहे हैं।
अब एक बार फिर इस बात की चर्चा है कि कमल नाथ प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकते हैं और उनके स्थान पर पार्टी किसी सक्रिय युवा को यह जिम्मेदारी सौंप सकती है। इसके लिए दावेदारों की बात करें तो सबसे पहला नाम अरुण यादव का आता है, उसके बाद उमंग सिंघार, जीतू पटवारी और कमलेश्वर पटेल जैसे नेता कतार में हैं।
इस पद के लिए बड़े दावेदारों में कमलनाथ के अलावा अजय सिंह हैं जो पूर्व में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं और उनकी विधानसभा के अंदर आक्रामकता सबके सामने रही है। कमल नाथ अगर नेता प्रतिपक्ष नहीं बनते हैं तो सबसे बड़ा दावा अजय सिंह का ही होगा। पार्टी आदिवासी चेहरे के तौर पर उमंग सिंघार को यह जिम्मेदारी सौंप सकती है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में बड़ी उथल-पुथल है और बदलाव होना तय माना जा रहा है। हां यह बात अलग है कि कमलनाथ कह चुके हैं कि मैं दिल्ली क्यों जाऊंगा। इसका आशय साफ है कि वे मध्य प्रदेश में ही रहेंगे और उनका सारा जोर लोकसभा चुनाव पर रहेगा। देखना होगा कि कांग्रेस आगे किस तरह की रणनीति पर काम करती है।