मातारानी की भक्ति में थिरके भक्तगण विशेष उत्साह नगर के प्रमुख मार्गो से भव्य चल समारोह निकला

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स्थानीय असाडा राजपूत समाज द्वारा गुरुवार को गणगौर माता का विर्सजन श्रद्धा और आस्था के साथ धूमधाम से किया गया। श्री सर्वेश्वर महादेव मंदिर एवं श्री अम्बे माता मंदिर असाडपुरा में क्रमशः 27 व 27 कुल विराजित 54 गणगौर माता की विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। उसके बाद सुक्कड़ नदी में जवारों का विर्सजन किया गया। सैकड़ों की संख्या में समाज के सभी लोगों ने चल समारोह में भाग  लेकर शोभा बढ़ाई, समाज के मीडिया प्रभारी उमेश वर्मा कछवाहा, हिरेंद्रसिह चावडा, लाला राजेंद्रसिंह भाटी, संजय सिंह वाघेला ने बताया गया कि असाडा राजपूत समाज द्वारा सामाजिक एकता, अखंडता का परिचायक रहता हैं धार्मिक गणगौर पर्व।  यह पर्व श्रावण मास की शीतला सप्तमी से पूर्णिमा तक प्रतिदिन सुबह व शाम को पूजा अर्चना कर मनाया जाता है। इस पर्व में मध्यप्रदेश के अलावा विदेश से तथा गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, आदि प्रान्तों से भी समाजजन, श्रद्धालु भाग लेने के लिए आते है। पूर्णिमा को रतजगा कर गरबे, भजनों पर भक्तगण आंनद लेते है व अगले दिन गरबा नृत्य व माताजी के भजनों के साथ जवारों का विर्सजन किया जाता है। रियासत काल के समय से माता की स्थापना करने की परम्परा प्रचलित है।  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी कार्य में बाधा आने पर मनौती ली जाती है एवं जिसके पूर्ण होने पर मन्नतधारियों द्वारा लगातार दो वर्ष तक माताजी की स्थापना की जाती है एवं कुछ भक्तों द्वारा अनवरत परम्परा अनुसार माताजी की स्थापना होने से उनके द्वारा प्रतिवर्ष स्थापना की जाती है विर्सजन के पहले माता को सभी स्थानकों व भक्तों  के निवास मोहल्ले ले जाकर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
  सर्वप्रथम श्री अम्बे माता मंदिर असाड़पुरा में विराजित 27 गणगौर माता की विधि विधान से पूजा-अर्चना माताजी के मोहल्ले में 12 बजे से प्रारंभ होकर असाडपुरा के विभिन्न मार्गों से चल समारोह प्रारंभ हुआ। जो जिन भक्तों द्वारा माताजी की स्थापित किये गये थे। उनके निवास मोहल्ले पर माताजी के डोल व जवारे की आरती उतारी व प्रसादी वितरित की गई। उसके पश्चात दोपहर 2 बजे श्री सर्वेश्वर महादेव मंदिर में विराजित 27 गणगौर माता की विधि विधान से पूजा-अर्चना की गई व चल समारोह प्रारंभ होकर जिन श्रद्धालुओं द्वारा माताजी की स्थापित किये गये थे। उनके निवास पर भी पूजा-अर्चना की गई। दोनों मंदिर से प्रारंभ चल समारोह शिवाजी मार्ग पर एकत्रित हुए। यहाँ पर सभी ने बारी बारी से महाआरती व प्रसादी वितरित की।
  सैकड़ो समाजजन के गुंजायमान नारों के शाम लगभग  5 बजे एक साथ गणगौर माता जी के जवारे के लिए नगर के प्रमुख मार्गो विर्सजन जुलूस निकला। समाज की अनेक युवतियाँ व महिलाऐं आकर्षक परिधानो से सजी थी, जो माताजी को सिर पर लिए चल रही थी।  श्रद्धालुजन गरबों पर नृत्य कर चल रहे थे एवं भक्तगण चवर ढुला रहे थे। चल समारोह एमजी रोड से होकर राजवाडा प्रांगण पहुंचा। यहांँ कुछ देर के लिए माताजी को विश्राम दिया गया जहाँ रियासत काल में राजा द्वारा पूजा अर्चना की जाती थी। उसी परम्परा का निर्वाह करते हुए आरती अर्चना की गई, इसके बाद चल समरोह राजराजेश्वर शनि मंदिर पर माताजी को विश्राम व अर्चना, महाआरती प्रसादी पश्चात सुक्कड नदी में जवारों का विर्सजन किया गया।  सैकड़ों की संख्या में समाजजनों ने सहभागिता की, और धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होकर परम आनंद की अनुभूति व्यक्त की । महोत्सव को सफल बनाने में असाड़ा राजपूत समाज के युवाओं, महिलाओं और पुरुषों सहित  सहित सभी समाजजनों का भी सराहनीय सहयोग रहा। समाज की ओर से पदाधिकारियों   समाज अध्यक्ष राजेश सिंह चंदेल एवं उपाध्यक्ष रिंकेश सिंह तंवर ने कार्यक्रम में सहभागिता हेतु सभी का आभार माना ।
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