संजय गाधी अस्पताल में ठेकेदार के गुर्गे की गुंडाई वाहन पार्किंग बना लूट का अड्डा,बिना पर्ची दिए मनमानी वसूली, क्या ठेकदार को लूट की दी गई है छूट? आखिर क्यों?

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(एच एल विश्वकर्मा) रीवा/मध्य प्रदेश:– संभाग के सबसे बड़े अस्पताल संजय गांधी व मध्य प्रदेश का जाना माना सरकारी श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के गांधी स्मृति हॉस्पिटल में पार्किंग शुल्क के नाम पर ठेकेदार के आदमी खुली लूट कर रहे है। यहां दो पहिया वाहन के 20 रुपए तो चार पहिया वाहन के 50 रुपए तक वसूले जाते है। यदि आप गुर्गों के मनमुताबिक रुपए नही देगे तो मारपीट पर उतारू हो जायेगे
एक सवाल-‘पैसा लेने के बाद भी आखिर क्यों नही दी जाती पर्ची’*’
हॉस्पिटल पार्किंग में लोगो से पैसा लेने के बाद भी उन्हें पर्ची नही दी जाती जब पर्ची नही तो कहा जाता है पैसा क्या लोगो को लूट कर अपनी जेब भर रहे गुर्गे लोगो द्वारा पर्ची मगाने पर मारपीट पर उतारू हो जाते है कर्मचारी क्या ठेकदार को लूट की दी गई है छूट? आखिर क्यों?
नही लेते शिकायत के बाद भी जिम्मेदार एक्शन, आए दिन होता विवाद फिर भी नही होती कोई कारवाही, आखिर किसका है इनके सर पर हाथ, जिससे बुलंद है इनका हौसला बड़ा सवाल..?
नियम कानून का नही होता पालन हमेशा से ही चर्चा में रहती है पार्किंग
लोगो द्वारा बताया गया की पार्किंग में काम करने वाले लोग इस तरह हावी है की दूर दूर से आने वाले लोगो से कार का 20 से 50 रुपए व बाइक का 10 से 20 रुपए तक वसूली करते है आम नागरिक और गरीब विवश लोगो को परेशान किया जाता है और बिना पैसा लिए जाने नही देते है और साथ में गाली गलौज व मारपीट पर उतारू हो जाते है, महिला तक से करते है मारपीट और अपशब्द. विरोध करने पर इन गुर्गों द्वारा कहा जाता है जहा शिकायत करना हो कर देना हमारा कोई कुछ नही कर सकता, मीडिया पत्रकार के पास जाओगे वह दो-तीन दिन खबर छाप देंगे उससे हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा.
बात यहां खत्म नहीं होती जो गाड़ियां पार्क की जाती है उनमें कुछ लोगों का कहना है कि हमारी गाड़ियों से पेट्रोल निकाल लिया जाता है
गाड़ी पार्किंग ठेके का दायरा हॉस्पिटल कैंपस के अंदर तक ही सीमित है किंतु हॉस्पिटल के मुख्य द्वार के बाहर अगर कोई गाड़ी खड़ी होती है उसका भी पार्किंग चार्ज वसूला जाता है।
 और अगर मजबूरी में कोई इनको मनमानी कीमत गाड़ी पार्किंग की ना दे पाए तो वह सोचता है कि गाड़ी को कहीं बाहर ही पार्क कर दें पर वहां भी समस्या
बाहर कहीं खाली सार्वजनिक जगह में व्यक्ति चाहे गाड़ी खड़ा कर दें तो वहां जो रोजगार लगाए हुए लोग ठेला वाले पान ठेला वाले सूट वाले जूस वाले चाय वाले कॉपी वाले नाश्ता वाले इत्यादि लोगों का कहना होता है कि आप यहां गाड़ी नहीं खड़ा कर सकते हैं उनका कहना होता है कि यहां पर ऑटो स्टैंड है अगर वह सिर्फ ऑटोस्टेंड है तो वहां पर इतनी दुकानें क्यों लगी हुई है बिना परमिशन के दुकानदार? असल में हर दुकानदार यह सोचता है कि मेरा धंधा अवरुद्ध ना हो किसी के गाड़ी पार्किंग से इस वजह से वह लोगों को गाड़ी पार्किंग नहीं करने देता. वहां पर बोर्ड तो लगा है ऑटो पार्किंग लेकिन लेकिन वहां अवैध और अतिक्रमण वाली दुकाने सुचारू रूप से चलती है और उन्हीं लोगों को ज्यादा कष्ट होता है वहां पर अपनी गाड़ी पार्क करने पर. ऑटो स्टैंड मैं ऑटो वालों को समस्या नहीं है अतिक्रमण दुकानदारों को बहुत समस्या है अब ऐसे में एक आम आदमी एक आम नागरिक क्या करें कहां जाएं बहुत बड़ा सवाल है यह दुकान जो लगी हुई है चारों तरफ ट्राफिक को और जाम करती हैं लोग परेशान होते हैं वहां ऑटो स्टैंड तो सिर्फ ऑटो स्टैंड रहे. दुकान कहीं और शिफ्ट करें हर आम आदमी इस समस्या से जूझ रहा है शहर का सबसे क्रीम एरिया जो कहलाता है हॉस्पिटल चौराहा मुख्य इंट्रेंस जिले के सबसे बड़े संजय गांधी हॉस्पिटल का..
 अस्पताल प्रबंधन साधे हुए है चुप्पी, लूट का दे चुका है लाइसेंस. रीवा कलेक्टर से लोगो की उम्मीद, जल्द हो इन पर लूट के खिलाफ कार्यवाही, लूट का बंद हो खेल ता कि लोग शांति से करा सके इलाज न हो परेशानी..
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