Dewas News: शराब ठेकेदार की आत्महत्या मामले में बड़ा एक्शन, आबकारी अधिकारी मंदाकिनी दीक्षित निलंबित

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देवास। शराब ठेकेदार की संदिग्ध आत्महत्या मामले ने जिले से लेकर पूरे प्रदेश में बड़ा राजनीतिक और प्रशासनिक भूचाल खड़ा कर दिया है। ठेकेदार द्वारा मौत से पहले रिकॉर्ड किए गए कथित वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामला एकदम तूल पकड़ गया। इस वीडियो में मृतक ने आबकारी विभाग से जुड़े गंभीर आरोप लगाए, जिनमें 22 लाख रुपये की अवैध मांग और हर महीने डेढ़ लाख रुपये देने का दबाव जैसे दावे शामिल थे। वीडियो सामने आते ही यह मुद्दा प्रदेश स्तर का बड़ा विवाद बन गया।

शुरुआत में शुक्रवार को आबकारी अधिकारी मंदाकिनी दीक्षित ने इन आरोपों को पूरी तरह झूठा बताते हुए कहा था कि यह एक “ब्लैकमेलिंग” की कोशिश है और उनका इन आरोपों से कोई संबंध नहीं है। लेकिन शनिवार को घटनाक्रम ने अचानक बड़ा मोड़ लिया। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मामले को स्वयं संज्ञान में लेते हुए आबकारी अधिकारी मंदाकिनी दीक्षित को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के निर्देश जारी कर दिए।

इसके बाद, मध्यप्रदेश शासन के वाणिज्यिक कर विभाग, मंत्रालय, भोपाल द्वारा आधिकारिक आदेश भी जारी कर दिया गया।
जारी आदेश (क्रमांक 1/1/19/0012/2025-Sec-2-05(CT), दिसंबर 2025) में स्पष्ट लिखा है कि:

  • ठेकेदार द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं।
  • सरकारी सेवक का आचरण मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 का उल्लंघन करता है।
  • प्रथम दृष्टया आरोप सत्य प्रतीत होने पर, अधिकारी को मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के तहत निलंबित किया जाता है।
  • निलंबन अवधि के दौरान मंदाकिनी दीक्षित का मुख्यालय आबकारी आयुक्त कार्यालय, उज्जैन निर्धारित किया गया है।

आदेश पर उप सचिव श्रीमती वंदना शर्मा के हस्ताक्षर हैं। आदेश में यह भी स्पष्ट उल्लेख है कि आगे की जांच विभागीय स्तर पर नियमों के अनुसार की जाएगी।

निलंबन के बाद देवास जिले में प्रशासनिक हलचल और चर्चाएँ तेज हो गई हैं। आबकारी विभाग में भी इस कार्रवाई के बाद एक तरह की चिंता का माहौल देखा जा रहा है। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि मामला गंभीर है और इसमें निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

सूत्रों का कहना है कि मृतक द्वारा छोड़ा गया कथित वीडियो, उससे जुड़ी संभावित लेन-देन सूचनाएँ, मोबाइल रिकॉर्डिंग और अन्य तकनीकी तथ्य अब जांच का मुख्य आधार बन सकते हैं। पुलिस और विभाग वीडियो की फॉरेंसिक जांच भी करा सकते हैं ताकि आरोपों की सच्चाई स्पष्ट हो सके।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला अब सिर्फ आत्महत्या केस नहीं रहा, बल्कि यह उच्चस्तरीय दबाव, भ्रष्टाचार और विभागीय आचरण की जांच का संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। सरकार की ओर से यह संदेश साफ है कि किसी भी तरह की अवैध वसूली या शक्ति के दुरुपयोग को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

फिलहाल, देवास प्रशासन और आबकारी विभाग की नजरें अब आगामी जांच रिपोर्ट पर टिकी हुई हैं, जो इस हाई-प्रोफाइल मामले की दिशा तय करेगी।

रिपोर्ट: भालचंद्र तिवारी – MP जनक्रांति न्यूज

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