बुरहानपुर। शहर में हाल ही में हुए एक चिकित्सकीय हादसे के बाद उत्पन्न विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। कुछ दिनों पूर्व हुए ऑपरेशन के दौरान दर्दनाक घटना के बाद परिजनों ने कार्रवाई की मांग की थी, जो स्वाभाविक थी। प्रशासन ने तुरंत जांच समिति गठित की, चार डॉक्टरों के पैनल से पोस्टमार्टम कराया और प्रक्रिया प्रारंभ कर दी। इसके बावजूद शहर में तनावपूर्ण माहौल बनने लगा, जिसने मामले को और पेचीदा बना दिया।
चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि जब जांच प्रक्रिया नियमों के अनुसार आगे बढ़ रही थी, तब आंदोलन, धरना और भूख हड़ताल जैसी गतिविधियों ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। इससे डॉक्टरों और समाज के बीच अनावश्यक अविश्वास का वातावरण पैदा हुआ, जो बुरहानपुर के सौहार्दपूर्ण इतिहास के विपरीत है। चिकित्सकों ने कहा कि यह माहौल उन विशेषज्ञ डॉक्टरों को भी प्रभावित कर रहा है जो अन्य शहरों से बुरहानपुर में सेवा देने आते हैं।
स्थिति तब और गंभीर हो गई जब प्रशासन ने कथित रूप से दबाव में आकर संबंधित अस्पताल का लाइसेंस बिना कारण बताओ नोटिस दिए ही निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इस निर्णय ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) में गहरा असंतोष पैदा कर दिया। IMA ने कहा कि किसी भी संस्थान को दंडित करने से पहले विधिक प्रक्रिया का पालन अनिवार्य है, और अचानक लिया गया कठोर निर्णय पूरे चिकित्सा समुदाय का मनोबल तोड़ सकता है।
उक्त घटनाक्रम के विरोध में बुरहानपुर में पहली बार IMA ने 48 घंटे की हड़ताल की घोषणा की। इस दौरान केवल इमरजेंसी सेवाएँ ही संचालित रहीं। नियमित स्वास्थ्य सेवाएँ बंद रहने से लगभग 8,000 ओपीडी मरीज और 1,000 से अधिक भर्ती मरीज प्रभावित हुए। IMA ने नागरिकों से खेद व्यक्त करते हुए कहा कि हड़ताल उनका उद्देश्य नहीं था, बल्कि चिकित्सकों पर हो रही प्रताड़ना और अवैध वातावरण निर्माण के विरोध का प्रतीक है।
IMA ने नागरिकों से भावुक अपील करते हुए कहा, “डॉक्टर भी एक इंसान है। वह किसी मरीज का बुरा नहीं चाहता। बुरहानपुर की स्वास्थ्य सेवाएँ आज महानगरों की बराबरी कर रही हैं, ऐसे में कुछ व्यक्तियों के गलत कदम डॉक्टर–मरीज विश्वास को चोट पहुँचा रहे हैं।”
चिकित्सकों ने यह भी कहा कि अस्पतालों में तोड़फोड़, गाली-गलौज, अभद्रता और मारपीट जैसी घटनाएँ न केवल अवैध हैं, बल्कि गंभीर रूप से उपचाररत मरीजों की जान को खतरे में डाल देती हैं। दोषियों पर कार्रवाई न होना और उन्हें संरक्षण मिलना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
अंत में, चिकित्सा समुदाय ने एक स्वर में मांग की है कि—
- जांच निष्पक्ष और पारदर्शी हो,
- अस्पतालों और डॉक्टरों को सुरक्षा मिले,
- डॉक्टर–मरीज संबंधों में विश्वास पुनर्स्थापित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए।
चिकित्सकों का कहना है कि बुरहानपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द को बचाने के लिए प्रशासन को अब निर्णायक कदम उठाने होंगे, तभी शहर सामान्य वातावरण की ओर लौट सकेगा।

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