नई दिल्ली, 26 जून 2025: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर एक ऐतिहासिक बदलाव की घोषणा कर दी है। बोर्ड ने नए परीक्षा नियमों को औपचारिक मंजूरी देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि साल 2026 से कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं अब साल में दो बार आयोजित की जाएंगी। इस कदम का उद्देश्य छात्रों पर परीक्षा का मानसिक दबाव कम करना और उनके सीखने की प्रक्रिया को और अधिक लचीला बनाना है।
📌 क्या है CBSE का नया नियम?
CBSE के नए नियम के अनुसार:
- कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा अब हर साल दो बार कराई जाएगी।
- छात्रों को पहली बार की परीक्षा देना अनिवार्य होगा।
- पहली परीक्षा में शामिल न होने वाले छात्रों को अगले प्रयास का अवसर नहीं दिया जाएगा।
- दूसरी परीक्षा वैकल्पिक होगी, जिसमें छात्र अपने अंकों में सुधार (Improvement) का मौका ले सकेंगे।
- दोनों परीक्षाओं में से छात्र के लिए बेहतर स्कोर को ही अंतिम माना जाएगा।
📌 इस बदलाव का उद्देश्य क्या है?
CBSE के अनुसार, इस नई प्रणाली का उद्देश्य:
- छात्रों पर परीक्षा का मानसिक दबाव कम करना।
- फेल होने के डर को हटाना।
- छात्रों को अधिक अवसर प्रदान करना ताकि वे अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन कर सकें।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के बहु-अवसर मूल्यांकन (Multiple Attempts) के सिद्धांत को लागू करना।
📌 कक्षा 12वीं के लिए क्या है नियम?
CBSE ने फिलहाल कक्षा 12वीं के लिए कोई दोहराई गई परीक्षा की घोषणा नहीं की है। कक्षा 12वीं की परीक्षा पहले की तरह साल में एक बार ही आयोजित की जाएगी। हालांकि, शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, भविष्य में कक्षा 12वीं के लिए भी इसी तरह की बहु-अवसर प्रणाली लागू करने की योजना बनाई जा रही है।
📌 कैसे काम करेगा दो बार परीक्षा का सिस्टम?
- साल में पहली परीक्षा मार्च-अप्रैल के आस-पास आयोजित होगी।
- दूसरी परीक्षा जुलाई-अगस्त के आस-पास कराई जाएगी।
- दोनों परीक्षाओं का पैटर्न, सिलेबस और मूल्यांकन प्रक्रिया समान होगी।
- अगर छात्र पहली परीक्षा में कम नंबर लाते हैं तो वे दूसरी परीक्षा में बेहतर स्कोर करने का प्रयास कर सकते हैं।
- छात्रों को दोनों में से बेहतर स्कोर ही फाइनल मार्कशीट में दिया जाएगा।
📌 छात्रों और अभिभावकों के लिए क्या होंगे फायदे?
- तनाव में कमी: अब छात्र फेल होने या नंबर कम आने के डर से मुक्त होंगे।
- बेहतर प्रदर्शन का अवसर: दो अवसरों में छात्र अपनी कमजोरियों को सुधार सकते हैं।
- पुनरावलोकन का समय: पहली परीक्षा के बाद छात्र अपनी गलतियों का विश्लेषण कर दूसरी परीक्षा में बेहतर तैयारी कर सकते हैं।
- लचीली शिक्षा प्रणाली: यह प्रणाली छात्रों को आत्म-निर्भरता और आत्म-विश्लेषण का मौका देगी।
📌 CBSE की आधिकारिक प्रतिक्रिया
CBSE के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह कदम पूरी तरह से छात्रों के हित में है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, हमारी प्राथमिकता छात्रों को अधिक अवसर देना और परीक्षा के तनाव को कम करना है। पहली परीक्षा अनिवार्य होगी ताकि सभी छात्र समय पर मूल्यांकन प्रक्रिया में शामिल हो सकें।”
📌 शिक्षा विशेषज्ञों की राय
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह व्यवस्था विद्यार्थियों के समग्र विकास में सहायक होगी। इससे परीक्षा का डर घटेगा और छात्र बेहतर रणनीति के साथ पढ़ाई कर सकेंगे। हालांकि, शिक्षकों को समय पर पाठ्यक्रम पूरा कराने के लिए नए टाइम-मैनेजमेंट सिस्टम पर काम करना होगा।