सफलता की कहानी
राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित होने के लिए जिले के ग्राम महेन्द्रा की बैंक सखी कनी बामनिया का हुआ चयन
म.प्र. ग्रामीण आजीविका मिशन एवं बेसिक्स लिमिटेड से मिला मार्गदर्षन, बना जीवन की दिषा बदलने का माध्यम
अलीराजपुर, 25 फरवरी 2023 – हौसलों में उडान हो तो कोई मंजिल दूर नहंी होती। बस मार्गदर्षन सहित दिषा का मिल जाए तो व्यक्ति अपना मुकाम खुद हासिल कर लेता है। ऐसा ही कुछ अलीराजपुर जिले के चन्द्रषेखर आजाद नगर के ग्राम महेन्द्रा निवासी कनी बामनिया के साथ हुआ है। कभी आजीविका चलाने के लिए मजदूरी पर निर्भर रहने वाली कनी बामनिया का चयन उत्कृष्ट बैंक सखी के रूप में राष्ट्रीय स्तर के सम्मान के लिए हुआ है।
चन्द्रषेखर आजाद नगर के ग्राम महेन्द्रा की निवासी कनी बामनिया। 484 परिवारों एवं जनसंख्या 2892 जनसंख्या वाले ग्राम महेन्द्रा की कनी बामनिया ने अपनी मेहनत और लगन से एक अलग पहचान बनाई है। कुछ समय पूर्व तक कनी बामनिया के पास आय अर्जित करने का एक मात्र जरीया मजदूरी था। वह मजदूरी कर अपने घर के खर्चो में सहयोग करती रही। वह मजदूरी के लिए अपने पूरे परिवार के साथ गाँव छोडकर गुजरात एवं आस पास के शहरों में पलायन पर जाती थी पर उसको अपनी कमाई व कार्य से संतोष नहीं था, क्योंकि उसे मजदूरी हेतु अपनी पढाई बीच में ही छोडनी पडी थी। वर्ष 2013 में ग्रामीणों से चर्चा एवं म.प्र. ग्रामीण आजीविका मिषन के स्टाॅफ से मिलने पर ज्ञात हुआ कि वह समूह से जुड कर आय अर्जित कर सकती हैं, वह म.प्र. ग्रामीण आजीविका मिषन के माध्यम से पटेल स्वयं सहायता समूह से जुडी, समूह से जुडने के बाद और समूह के साथ कार्य करते रहने से उसको अपना खोया हुआ आत्मविष्वास पाया और वर्ष 2016 में पटेल स्वयं सहायता समूह, सरस्वती ग्राम संगठन एवं लक्ष्मी संकुल संगठन के द्वारा बैंक सखी के कार्यक्रम की जानकारी मिलने पर सर्वसम्मति से कनी का नाम बी. सी. सखी/पे पाइंट सखी के लिए चयनित कर, आरसेटी प्रषिक्षण उपरंार्त आई. आई. बी. एफ प्रमाणीकरण कर ग्राम पंचायत महेंद्र में तैनात किया गया। प्रष्क्षिण के बाद कनी को डिजिटल फायनेंस के कार्य की समझ विकसित हुई और बैंकिंग कार्य प्रणाली की और अधिक जानकारी प्राप्त हुई। पहले वह बैंक केवल अपने समूह की बचत जमा करने जाती थी और उसे बैंक की किसी अन्य प्रकार के कार्यो की जानकारी नहीं थी। वर्तमान जिंदगी से उठकर आगे बढने की ललक ने उसमें बी.सी सखी के कार्य को करने की इच्छा हुई। उसके द्वारा 5 गाँवों का नियमित भ्रमण किया जाता हैं। साथ ही स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को उसके द्वारा नियमित रूप से डिजिटल फायनेंस की जानकारी दी जाती है और जिससे वह ड्यूल औथंेटिकेशन के माध्यम से समूह का लेनदेन नियमित रूप से करती रहती हैं। अप्रैल वर्ष 2021 से ड्यूल औथंेटिकेशन की शुुरूआत् कि कनी ड्यूल औथंेटिकेशन के माध्यम से 6 स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों का 316 बार लेन देन कर चुकी हैं। उसके द्वारा 6 स्वयं सहायता समूह के सदस्यों के रूपए 31,43,500 की राषि का लेन-देन बी.सी.प्वाइंट से किया गया हैं। स्वयं सहायता समूह के सदस्यों द्वारा प्रारंभ में कनी के माध्यम से लेन-देन नहीं किया गया, दो माह पष्चात समूह के सदस्यों का उसके उपर विष्वास होने पर लेनदेन शुरू हुआ। आज वह 06 समूह के 60 सदस्यों का लेन-देन अपने बी.सी. पाॅइंट करती हैं। कनी के द्वारा नियमित रूप से स्वयं सहायता समूहो के बैठको में सम्मिलित होने से समूहों के समस्त सदस्यों के बचत, आहरण व अन्य वित्तीय एवं गैर वित्तीय लेन-देन करती रहती हैं, साथ ही ग्राम संगठन एवं संकुल संगठनों सी.एल.एफ. के बैठकों में भी वह नियमित रूप से शामिल होती हैं। कनी समूह से जुडने के बाद भी मजदूरी करती थी पर बीसी सखी बनने के बाद वह मजदूरी का कार्य छोडकर बी.सी. सखी के कार्य को योजनानुसार करती रहीं। कनी ने मासिक आय 13,822 प्रति माह औसत कर अपनी आमदानी में वृद्वि की बल्कि एक सम्मानजनक जीवन भी व्यतीत कर रहीं हैं। कनी बी.सी. सखी के कार्य से अपना और अपने पूरे परिवार का खर्चा उठा रही है साथ ही वह षिक्षा भी जारी रखी हैं, जो षिक्षा उसने अपने परिवार के लिए रोक दि थी और साथ ही वह अपने दोंनो भतींजों के षिक्षा में सहयोग कर रहीं हैं। बी.सी. सखी के कार्य करने से कनी एवं उसके परिवार को फायदा हुआ कि वह और उसका परिवार मजदूरी हेतु पलायन न कर के धर में ही आय अर्जित कर रहें हैं। कनी प्रति माह औसत 865 ग्राहकों को वित्तीय एवं गैर वित्तीय सेवाएंॅ जैसे पेंषन, बीमा, बिजली बिल का भुगतान एवं मोबाईल रिचार्ज के कार्य को सहज तरीके से कर रही है। और उसके लेन-देन की राशि प्रति माह रूपए 53 लाख औसत हैं। कनी ने अपनी बी.सी. सखी की आय से अपने भाई को बाइक खरीद कर उपहार स्वरूप दी । जिससे वह अपनी बी.सी.सखी के कार्य के लिए भी उसका उपयोग कर सकती हैं, वह अपने भाई के साथ आस पास के गंॅाावों तक अपनी पहुंॅच का दायरा बढा कर आय उपार्जन कर सकती हैं। अपनी आय का अतिरिक्त स्त्रोंत निर्मित करने के लिए वह किराना दुकान अपने बी.सी. सखी के कार्य से खोली हैं। जिससे वह बी.सी. सखी के कार्य को आगे बढा सकें। कनी बामनिया ने बताया म.प्र. ग्रामीण आजीविका मिषन से जुडने के बाद उनके जीवन में बडा बदलाव आया है। वे कहती है कि उनके प्रयासों से ग्रामीणों को सहज वित्तीय सेवाएं प्राप्त हो रही है। साथ ही उन्हें रोजगार का योग्य माध्यम मिला है। कनी बामनिया की सफलता में एमपीडे-एस.आर.एल.एम एवं बेसिक्स लिमिटेड का पूर्ण सहयोग रहा। डीपीएम श्रीमती अनुराधा पाटीदार एवं डीएम सूक्ष्म वित्त श्रीमती दीपिका चोहान ने बताया बैंक सखी के माध्यम से कनी सहित कई बहनें ग्रामीणों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करते हुए आत्मनिर्भर बन रही हैं। कलेक्टर श्री राघवेन्द्र सिंह एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री अभिषेक चोधरी ने कनी बामनिया को राष्टीय स्तर पर सम्मान हेतु बधाई देते हुए उन्हें अन्य युवतियों एवं महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बताया।
फोटो:- 1 एवं 2 – ग्राम महेन्द्रा निवासी कनी बामनिया ग्रामीणों को वित्तीय सेवाएं देते हुए।
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