मलेरिया से बचाव हेतु हुए कई कार्यक्रम लोगों को मलेरिया से बचाने निकाली गई जागरूकता रैली – Malaria Awareness Rally

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मलेरिया से बचाव हेतु हुए कई कार्यक्रम लोगों को मलेरिया से बचाने निकाली गई जागरूकता रैली
भोपाल:  मलेरिया जागरूकता के लिए मंगलवार को मलेरिया दिवस पर विभिन्न जागरूकता गतिविधियों के माध्यम से मलेरिया होने के कारणों, बचाव एवं उपाय के संबंध में जानकारी प्रदान की गई। मलेरिया की रोकथाम के बारे में लोगों को अवगत करवाने के लिए जिला मलेरिया कार्यालय से जागरूकता रैली निकाली गई । मैदानी कार्यकर्ताओं द्वारा स्कूलों एवं आगनवाड़ियों में पोस्टर प्रतियोगिता, निबंध लेखन, रैली एवं परामर्श सत्रों के माध्यम से मलेरिया के बारे में विस्तारपूर्वक समझाया गया।
मलेरिया दिवस के अवसर पर मलेरिया नियंत्रण हेतु जनभागीदारी के माध्यम से प्रचार-प्रसार गतिविधियों का आयोजन किया गया। विश्व मलेरिया दिवस प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को मनाया जाता है। इसकी शुरूआत वर्ष 2007 में अफ्रीका से हुई विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने 60वें सेशन में वर्ल्ड मलेरिया डे मनाये जाने के निर्देश जारी किये गए। इस वर्ष मलेरिया दिवस “टाईम टू डिलीवर जीरो मलेरिया इन्वेस्ट, इनोवेट इम्प्लीमेण्ट की थीम पर मनाया जा रहा है। भारत मलेरिया मुक्ति की ओर बढ़ रहा है एवं वर्ष 2030 तक जीरो मलेरिया लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रयास किया जा रहा है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि मच्छरजनित बीमारियों में मलेरिया सबसे प्रचलित बीमारी है यह बीमारी मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होती है। ठंड लगकर बुखार आना मलेरिया का प्रमुख लक्षण हैं। मलेरिया की जांच एवं दवाईयां सभी शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में निःशुल्क प्रदान की जाती है। साथ ही आशा कार्यकर्ताओं से संपर्क कर भी जांच करवाई जा सकती है। प्रदेश में मलेरिया फैलाने वाले दो परजीवी प्लाजमोडियम फैल्सीफेरम एवं प्लाजमोडियम वाइवेक्स है। एनॉफिलीज मच्छर रूके हुए साफ पानी में पनपता है, जैसे कि धान का खेत. तालाब, गढ्ढे खाई, कृत्रिम जलाशय, छत पर बनी हुई टंकी, जल एकत्रित करने के लिए जमीन के अंदर बनी टंकी, अनुपयोगी कुएँ जलधारा के किनारे से एकत्रित जल, नदियां, हेण्डपंप, नल के आस-पास जमा पानी, पशुओं के पानी पीने के हौद, नहरों में रूके हुये पानी में इत्यादि । प्रत्येक उम्र / वर्ग के लोग मलेरिया से पीड़ित हो सकते है पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे और गर्भवती महिला को मलेरिया से ज्यादा खतरा होता है।
जिला मलेरिया अधिकारी अखिलेश दुबे ने बताया कि तेज ठण्ड देकर बुखार, ज्वर के साथ, कंपकपी, सिरदर्द, बदनदर्द, उल्टी होना मलेरिया के प्रमुख लक्षण है गम्भीर अवस्था में यह खून की कमी का कारण बनता है । यदि शीघ्र एवं पर्याप्त उपचार नही किया गया तो मलेरिया से रोगी की मृत्यु भी हो सकती है गर्भावस्था में मलेरिया गंभीर होता है, और जच्चा-बच्चा की जान को खतरा भी हो सकता है। किसी भी बुखार को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। यह मलेरिया के कारण भी हो सकता है। बुखार की स्थिति में मरीज की तुरंत आर.डी.टी. किट से जांच करके एवं मलेरिया पॉजिटिव पाये जाने पर मलेरिया उपचार नीति के अनुसार पूर्ण उपचार प्रदान किया जाता है। मलेरिया निरोधक दवाईयां कभी भी खाली पेट नहीं लेना चाहिए । मलेरिया पॉजिटिव मरीज के उपचार पूर्ण होने के 15 दिवस उपरांत मरीज का फॉलोअप किया जाता है।
मच्छर को पनपने से रोकना एवं मच्छरों से स्वयं को बचाना इन बीमारियों से बचने का सबसे आसान उपाय है। पानी के भराव को रोकना, आसपास के परिवेश में स्वच्छता का निर्माण, मच्छरदानी का उपयोग इत्यादि बेहद सरल उपाय है जो कि मच्छरों से एवं उनसे होने वाली बीमारियों से बचाव कर सकता है।
राष्ट्रीय वैक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत वैक्टर जनित रोग जैसे मलेरिया, डेंगू, चिकुनगुनिया, कालाअजर, फाइलेरिया एवं जापानीज इनसिफेलाइटिस बिमारियों का नियंत्रण किया जा रहा है।
रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन
8109253156
भोपाल
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