सौ सालों से चली आ रही हिन्दू मुस्लिम एकता की यह परंपरा

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खंडवा (जनक्रांति न्यूज़) जावेद एलजी : हिंदू मुस्लिम की एकता की मिसाल आज भी कायम खंडवा जिला मुख्यालय से 16 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव ऐसा भी है जहां पर साल में एक दिन कोई काम नहीं किया जाता ना हीं गांव में किसी को प्रवेश दिया जाता है और ना ही कोई घर से और गांव से बाहर जाता है ग्राम में यह सौ सालों से परंपरा चली आ रही है इस दिन सामूहिक रूप से पूरा गांव  खप्पर वाली माता जी के साथ गांव में मंदिर दरगाह और मस्जिद की पूजा करते हैं इस परंपरा के सम्मान में ग्राम के मुस्लिम भी नियमों का पालन करते हैं खंडवा बेतूल स्टेट हाईवे पर बने ग्राम अमलपुरा में काकड़ पूजा नाम की अनोखी परंपरा एक सदी से चली आ रही है ग्रामीणों के मुताबिक सौ साल पहले ग्राम हर साल महामारी का शिकार होता था तब गांव में एक संत ने ग्राम में खप्पर वाली माता के पूजा करने की सलाह दी उसके बाद से ही पूजा के नियमों का पालन की बात भी कही तभी से ग्राम में नाग पंचमी के बाद आने वाले मंगलवार को इस पूजा का आयोजन किया जाता है गांव में काकड पूजा होने शुरू हुई की गई तब से ग्राम में बीमारियों में सुरक्षित है इस परंपरा को ग्राम में रहने वाले सभी समाजों के लोग मानते हैं काकड़ की सीमा में पढ़ने वाले सभी ग्राम की दुकानें और यहां तक कि ग्राम पंचायत आंगनवाड़ी सभी सरकारी दफ्तर एक दिन के लिए बंद करने की सूचना एक दिन पहले दे दी जाती है आरती के बाद दरगाह के दर्शन करते हैं खप्पर वाली माता की पूजा ग्राम में पूर्व उपसरपंच देवीदास तिरोले के घर से निकाली जाती है खप्पर वाली माता की आरती हनुमान मंदिर पहुंचती है आरती की एक विशेषता यह है कि इसमें महिलाओं को शामिल नहीं किया जाता ना ही आरती में घंटी सहित किसी बाघयंत्र का उपयोग भी नहीं किया जाता आरती मैं जलता दीपक लेकर सुखदेव पिता रामसिंह के द्वारा ग्रामीणों के साथ सभी मंदिरों में दरगाह और तक जाते हैं और धर्म स्थल की परंपरा अनुसार पूजा की जाती है एक खास बात यह है कि बाहर से आने वाले मेहमान वर्जित एवं प्रतिबंधित रहते हैं खप्पर वाली माता की काकड़ पूजा के दिन गांव में किसी भी घर में मेहमान का आना वर्जित है भूले भटके कोई आ भी जाता है तो उसे शाम तक घर में प्रवेश नहीं दिया जाता।
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