नैसकाॅम फाउंडेशन और फस्र्टसोर्स ने मध्य प्रदेश में बाघ समुदाय की महिला कारीगरों को अपने उद्यमिता के सफर में सहयोग करने के लिए डिजिटल प्रशिक्षण दिया

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इंदौर (जनक्रांति न्यूज़) दीपक शर्मा: महिला कारीगरों के आजीविका के अवसर बढ़ाने और उनकी उत्कृष्ट कारीगरी को सम्मानित करने के लिए नैसकाॅम फाउंडेशन और बिज़नेस प्रोसेस मैनेजमेंट (बीपीएम) सर्विसेज़ की वैश्विक प्रदाता एवं आरपी-संजीव गोयन्का ग्रुप कंपनी, फस्र्टसोर्स ने अपनी परियोजना के पहले चरण में मध्यप्रदेश में बाघ समुदाय की 150 महिला कारीगरों को प्रशिक्षित किया है। इस परियोजना का उद्देश्य महिला उद्यमियों के लिए आर्थिक व सामाजिक अवसरों का विस्तार करने के लिए टेक्नाॅलाॅजी का उपयोग करना, ग्रामीण महिला उद्यमियों (विशेषतः आदिवासी महिलाओं) को डिजिटल, फाईनेंशल एवं उद्यमशीलता का कौशल प्रदान करना है। परियोजना के दूसरे चरण की शुरुआत अगले साल होगी और इसमें महिला कारीगरों को डिजिटल कौशल प्रदान कर समर्थ बनाया जाएगा।
* 150 सशक्त महिला कारीगरों को प्रशिक्षित कर डिजिटल कम्युनिकेशन टूल्स का इस्तेमाल करने में समर्थ बनाया गया।

* इस अभियान ने महिला उद्यमियों को अपने व्यवसाय को आॅनलाईन ले जाने, सोशल मीडिया प्लेटफाॅम्र्स के उपयोग, आॅनलाईन विनिमय करने में समर्थ बनाने और सरकारी योजनाओं के फायदे प्राप्त करने के लिए जरूरी उपकरण प्रदान किए।

हितग्राहियों को डिजिटल, फाईनेंशल और उद्यमशीलता के कौशल का प्रशिक्षण दिया गया।
इस कार्यक्रम ने सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया कि एक सशक्त महिला पूरे समुदाय को सशक्त बना सकती है। इस परियोजना का क्रियान्वयन जमीनी साझेदार उमंग श्रीधर डिज़ाईन द्वारा किया गया, जिसने महिलाओं को सशक्त बनाने और उनकी आर्थिक क्षमताएं बढ़ाने के उद्देश्य से उन्हें पूरे साल डिजिटल कौशल और प्रशिक्षण प्रदान करके मध्यप्रदेश के आदिवासी जिलों में महिला उद्यमियों का उत्थान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे बाघ प्रिंटेड उत्पादों के लिए बाजार में मांग और विशाल उत्पादन, यूटिलिटी पर आधारित और जीवनशैली के उत्पादों के लिए उत्पादन आधार की वृद्धि को धीरे-धीरे प्रोत्साहन मिला है।
नैसकाॅम फाउंडेशन की सीईओ, निधि भसीन ने कहा, ‘‘हमारा यकीन है कि जब आप एक महिला को सशक्त बनाते हैं, तो आप पूरे समुदाय को सशक्त बनाते हैं। एसडीजी प्राप्त करने के मुख्य संकेतकों में से एक है महिलाओं को टेक्नाॅलाॅजी उपलब्ध कराना। इस विश्वास के साथ हमने सीमांत समुदायों की महिलाओं को अपना व्यवसाय बढ़ाने और सामाजिक-आर्थिक अंतर दूर करने के लिए टेक्नाॅलाॅजी का उपयोग करने का प्रोत्साहन दिया। अपने उद्यमिता के सपने को पूरा करने के लिए डिजिटल कौशल का उपयोग और उसका प्रभाव अभूतपूर्व रहा है। फस्र्टसोर्स के साथ हमारा सहयोग छोटे स्तर के ग्रामीण कारीगरों को उद्यमी बनाने में काफी महत्वपूर्ण रहा है। इस कार्यक्रम ने उन्हें डिजिटल मार्केटिंग, फाईनेंशल मैनेजमेंट और ब्रांडिंग द्वारा अपने ग्राहक आधार का विस्तार करने में मदद की।’’
बाघ में स्थित महिला कारीगर, सवलिया मंसूरी ने कहा, ‘‘मैं कुछ समय से फेसबुक और इंस्टाग्राम का इस्तेमाल कर रही थी, लेकिन इसे कैसे उपयोगी बनाना है, यह नहीं जानती थी। हालाँकि प्रशिक्षण के दौरान हमने इंस्टाग्राम पर दिलचस्प रील बनाना, फेसबुक पर लाईव होना, यूट्यूब शाॅर्ट बनाना, हमारे उत्पादों के बारे में संपूर्ण विवरण के साथ जानकारीयुक्त वीडियो पोस्ट करना, उचित हैशटैग्स का इस्तेमाल, और सोशल मीडिया का उपयोग कर अपने उत्पादों और व्यवसाय का विस्तार करना सीखा। हम डिजिटल लर्निंग कार्यक्रम द्वारा अपनी सीख का इस्तेमाल अपने संग्रह का प्रदर्शन करने और विस्तृत स्तर पर अपने काम को बढ़ावा देने के लिए करना चाहते हैं।’’
भारत में 50 प्रतिशत से ज्यादा कारीगर सीमांत समूह की महिलाएं हैं, जिनमें से ज्यादातर असंगठित क्षेत्र और घरेलू परिवेश में काम कर रही हैं। ये ज्यादातर महिला कारीगर भारत के ग्रामीण इलाकों में स्थित हैं, जिनके पास बाजार की इंटैलिजेंस, उत्पादों की बिक्री करने के लिए चैनल बहुत सीमित हैं, साथ ही उनके पास पूंजी और डिजिटल पहुँच भी सीमित है। साथ ही, छोटे स्तर के उद्यमी और सामूहिक उद्यम भी कोविड-19 महामारी के नकारात्मक प्रभावों को महसूस कर चुके हैं, जिससे उनकी वृद्धि पर असर हुआ है। हालांकि इस डिजिटल प्रयास की मदद से हितग्राही आॅनलाईन विनिमय करने, डिजिटल मीडिया टूल्स जैसे व्हाट्सऐप, पिंटरेस्ट, और इंस्टाग्राम का उपयोग करने में समर्थ बने हैं, ताकि ग्राहकों के साथ संबंधों का विकास कर ब्रांड के गठबंधनों द्वारा मांग को पहचाना जा सके और आय बढ़ाकर अपने लिए आजीविका के सतत अवसरों का विकास किया जा सके।
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