झिरन्या । रंगों के पारंपरिक होली पर्व पर धुलेंडी एवं रंग पंचमी के बीच फ़ाग उत्सव मनाया जाता हैं । इस पारम्परिक उत्सव पर ग्रामीण जन ढोल,मांदल एवं होली के गीतों नाच-गाकर हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेते थे । किंतु इस वर्ष नगर में कहीं भी फ़ाग उत्सव से जुड़े गीत सुनाई दे रहें हैं । ना ही आदिवासी परम्परा से जुड़ी मांदल की थाप । आधुनिकता की चकाचौंध ने सांस्कृतिक त्यौहारों को भी फ़ीका कर दिया हैं । अलग-अलग वेशभूषा में फ़ाग उत्सव उत्सव माँगने व मनाने वाले लोग नगर में इस वर्ष नहीं दिखाई दिए ,जो कि जन चर्चाओं का विषय बना हुआ हैं । पारंपरिक रंग गुलाल लगाकर होली की पांच दिन की मनाई जा रही है ऐसा ही आज क्षेत्र के पत्रकारो के द्वारा होली मिलन कार्यक्रम मना कर एक भाईचारे का संकेत दिया ।
संवाददाता दिलीप बामनिया