Tea Farming Subsidy: चाय, दुनिया की सबसे लोकप्रिय पेय पदार्थों में से एक है। इसकी खेती एक जटिल प्रक्रिया है जो जलवायु, मिट्टी और विशेष देखभाल की मांग करती है। आइए चाय की खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं। बिहार सरकार द्वारा चाय की खेती को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई “विशेष उद्यानिकी फसल योजना” किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है। इस योजना के तहत चाय की खेती के लिए किसानों को सब्सिडी दी जा रही है। इससे न केवल किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी बल्कि राज्य के आर्थिक विकास में भी योगदान होगा। इस योजना का लाभ बिहार के अररिया, सुपौल, पूर्णिया और कटिहार जिले को शामिल किया गया है. तो आइये जानते है इसके बारे में. ..
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चाय की खेती पर सब्सिडी
बिहार सरकार द्वारा चाय की खेती को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई विशेष उद्यानिकी फसल योजना किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है। इस योजना के तहत किसानों को मिलने वाली 50% सब्सिडी से चाय की खेती को अपनाना आसान हो गया है। सरकार किसानों को चाय की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 4 लाख 94 हजार रुपये की लागत का 50% यानी 2 लाख 47 हजार रुपये की सब्सिडी दे रही है। यह राशि किसानों को दो किस्तों में दी जाएगी। पहली किस्त 75% और दूसरी किस्त 25% होगी। इस योजना के तहत 150 हेक्टेयर में चाय की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एक हेक्टेयर में चाय की खेती के लिए 15526 पौधों की आवश्यकता होगी। सरकार इस योजना पर 9 करोड़ 49 लाख रुपये खर्च करेगी।
ऐसे करे आवेदन
किसान बिहार उद्यानिकी विभाग के पोर्टल horticulture.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा, किसान अपने जिले के सहायक निदेशक, उद्यान से भी संपर्क कर सकते हैं और योजना के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। योजना के लाभार्थी किसानों को अनुदान की राशि डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से भेजी जाएगी। इसलिए, किसानों को पहले डीबीटी के लिए रजिस्टर करना होगा। किसानों को 13 अंकों का डीबीटी नंबर प्राप्त करने के लिए https://dbtagriculture.bihar.gov.in/ इस लिंक पर रजिस्टर करना होगा।
चाय की किस्में
चाय की कई किस्में हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- असम की चाय: यह बड़ी पत्ती वाली चाय है और इसका स्वाद मजबूत होता है।
- दार्जीलिंग की चाय: यह छोटी पत्ती वाली चाय है और इसका स्वाद नाजुक होता है।
- नीलगिरी की चाय: यह मसालेदार स्वाद वाली चाय है।
- अरुणाचल प्रदेश की चाय: यह चाय अपनी विशिष्ट सुगंध के लिए जानी जाती है।
चाय के पौधे कैसे लगाए
चाय के पौधे आमतौर पर कटिंग्स से लगाए जाते हैं। कटिंग्स को तैयार मिट्टी में लगाया जाता है। रोपे गए पौधों को नियमित रूप से पानी और खाद देनी चाहिए। चाय की पत्तियों को आमतौर पर हाथों से तोड़ा जाता है। तुड़ाई का समय साल में कई बार होता है।