देश में कई तरह की फसलों की खेती की जाती है और गाजर एक स्वादिष्ट और पौष्टिक सब्जी है, जिसकी खेती भारत में व्यापक रूप से की जाती है। यदि आप गाजर की खेती करने की योजना बना रहे हैं, तो यह लेख आपको आवश्यक जानकारी प्रदान करेगा।
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गाजर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी
- जलवायु: गाजर शीतकालीन फसल है, जिसे ठंडी जलवायु पसंद होती है। 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान इसके लिए आदर्श होता है।
- मिट्टी: गहरी, उपजाऊ, दोमट मिट्टी गाजर की खेती के लिए सबसे अच्छी होती है। अच्छी जलधारण क्षमता वाली मिट्टी में गाजर का विकास अच्छा होता है।
गाजर की उन्नत किस्में
- पुसा केसर: उच्च उपज देने वाली, रोग प्रतिरोधी किस्म है।
- पंजाब कैरोट रेड: लाल रंग की, मीठी और रसदार गाजर की किस्म है।
- पुसा रत्न: जल्दी पकने वाली किस्म है।
ऐसे करे गाजर की खेती
गाजर की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 5 से 6 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। भारत में गाजर की बुवाई अक्टूबर से नवंबर तक की जाती है। पंक्तियों के बीच की दूरी 30-35 सेंटीमीटर रखें। बीज को 1-1.5 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं। और खरपतवार नियंत्रण के लिए नियमित निराई-गुड़ाई करें। अच्छी पैदावार के लिए गोबर की खाद और नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम उर्वरकों का प्रयोग करें।
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गाजर की खेती से कमाई
गाजर की कटाई सामान्यत बुवाई के 90-120 दिनों बाद की जाती है। और गाजर को सावधानीपूर्वक खोदकर निकालें। इससे औसतन उपज 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। इसकी बाजार में 20 रु प्रति किलो तक कीमत रहती है और इसे गाजर को स्थानीय मंडी में बेचा जा सकता है। इसकी खेती से लाखो रु की कमाई की जा सकती है.