भारत में लगभग 145 करोड़ की आबादी के लिए लगभग 1,200 विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा की ज़रूरतें पूरी कर रहे हैं। इनमें से लगभग 430 निजी विश्वविद्यालय हैं, जबकि बाकी केंद्र, राज्य और डीम्ड विश्वविद्यालयों की श्रेणी में आते हैं। 430 निजी विश्वविद्यालयों में से केवल 25 विश्वविद्यालय ही यूजीसी अधिनियम 1956 की धारा 12(बी) के अंतर्गत आते हैं, जिससे वे केंद्रीय सहायता प्राप्त करने के योग्य हैं। यानी देश के लगभग 94% निजी विश्वविद्यालय केंद्र सरकार की वित्तीय सहायता से वंचित हैं और उन्हें अपने संसाधनों के भरोसे ही विकास करना पड़ता है।
NIRF 2024 रैंकिंग में अभी भी केंद्रीय, राज्य और डीम्ड विश्वविद्यालयों का ही वर्चस्व है। टॉप 100 में कुछ ही निजी विश्वविद्यालय अपनी जगह बना पाए हैं, जिनमें MAHE-Manipal, Amrita Vishwa Vidyapeetham, XLRI, VIT, SIMATS University और SRM University-Chennai शामिल हैं।
सिक्किम में विश्वविद्यालयों की बाढ़
सिर्फ़ 7 लाख की जनसंख्या वाले सिक्किम में अब राज्य विधानसभा में पारित अधिनियमों के तहत कुल 36 विश्वविद्यालय स्थापित किए जा चुके हैं। इनमें से केवल 3 सरकारी विश्वविद्यालय हैं और शेष सभी निजी हैं। पिछले 4 वर्षों में ही राज्य में 28 निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई है। जहाँ देश में औसतन 12 लाख की आबादी पर एक विश्वविद्यालय होता है, वहीं सिक्किम में यह अनुपात 0.20 लाख पर एक विश्वविद्यालय हो गया है।
यूजीसी की जनवरी 2024 की सूची के अनुसार अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में निजी विश्वविद्यालयों की संख्या इस प्रकार है:
- असम: 25
- अरुणाचल प्रदेश: 8
- मेघालय: 7
- मणिपुर: 5
- नागालैंड: 4
- त्रिपुरा: 3
- मिज़ोरम: 1
सिक्किम में मान्यता प्राप्त और सक्रिय विश्वविद्यालय (17 जनवरी 2024 तक)
- Sikkim Manipal University (1995, Private, Tadong & Majitar)
- Kanchendzonga State University ( 2003, State Government, Tarku)
- ICFAI (2004, Private, Gangtok)
- Alpine University, 2005, Private, Kamrang
- Sikkim University (2007, Central Govt., Yangang & Gangtok)
- Sikkim Professional University, formerly the Vinayaka Mission Sikkim UUniversity(2008, Private, Tadong and Budang)
- SRM University (2013, Private, Gangtok)
- Sikkim National Law University (2018, Govt., Gangtok)
पिछले 4 वर्षों में स्थापित या प्रस्तावित निजी विश्वविद्यालय
- Sikkim Skill University (2021, Namthang)
- The Medhavi Skills University (2021, Near Singtam)
- Kanchandzonga Buddhist University (2020)
- Sikkim International University (2021, Kaluk)
- Capital University (2022, Jorethang)
- Netaji Subash Chandra Bose University of Excellence (2022, Chakung)
- Mahatma Gandhi University (2022, Daramdin)
- Sikkim Global Technical University (2023, Namchi)
- Sikkim Organic Agriculture University (2023)
- Sikkim Guru Padmasambhava University (2023, Syari)
- Sikkim Sardar Patel University (2023, Mikhola)
- National Council for Skill Education Sikkim (2023, Gangtok)
- EdTech Skills University (2023, Jorethang)
- Orchid University (2024, Mangan)
- Gurukul Vidhyapeeth University (2024, Melli)
- Matrix Skilltech University (2024, Geyzing)
- Duke International University (2024, Namchi)
- Sikkim Medical Science University (2024, Namchi)
- Management and Information Technology University (2024, Melli)
- Shri Rukmani Dwarkadhish University of Science and Technology (2024, Gangtok)
- Sikkim Pannadhay University (2024)
- The Nirmala Devi University (2024)
- Swastik University (2025)
- Trident University of Applied Sciences (2025)
- Shri Venkateswara University (2025)
- Atal Bihari Vajpayee Skill University (2025)
- The Sengol International University (2025)
- The Fusion University Sikkim (2025)
अनुभवहीन प्रवर्तकों की भूमिका
इन निजी विश्वविद्यालयों के प्रवर्तक अक्सर ट्रस्ट, एनजीओ, सोसाइटी या निजी कंपनियां होती हैं, जिनका शिक्षा क्षेत्र में अनुभव बहुत सीमित होता है। इनमें से कई का पृष्ठभूमि केवल कंप्यूटर सेंटर चलाने या अन्य राज्यों में विवादास्पद गतिविधियों से जुड़ा रहा है। इनमें से कई विश्वविद्यालयों की अधिकृत पूंजी केवल ₹1 लाख है।
सवाल यह नहीं है कि निजी विश्वविद्यालय खोले जा रहे हैं, बल्कि यह है कि क्या इतनी तेज़ी और अनुभवहीनता के साथ खोले गए संस्थान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे पाएंगे?
क्या सिक्किम को इतने निजी विश्वविद्यालयों की आवश्यकता है?
हर साल सिक्किम में लगभग 8,000 छात्र कक्षा 12वीं की परीक्षा में बैठते हैं। राज्य के सरकारी कॉलेजों में 4,400 सीटें उपलब्ध हैं, और लगभग 10–20% छात्र राज्य के बाहर शिक्षा प्राप्त करना पसंद करते हैं। SRM, SMU, ICFAI, SPU जैसे निजी विश्वविद्यालय व कॉलेज इन छात्रों की ज़रूरतें काफी हद तक पूरी कर लेते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या सिक्किम को वाकई 28 और निजी विश्वविद्यालयों की ज़रूरत है?
इनमें से अधिकांश नए विश्वविद्यालय सीमित बुनियादी ढांचे और अनुभवहीन प्रबंधन के चलते राज्य के बाहर से छात्रों को आकर्षित नहीं कर पाएंगे।
गुणवत्ता पर चिंता
Sikkim University, जो एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है और पिछले 17 वर्षों से कार्यरत है, अब तक NIRF की टॉप 200 सूची में जगह नहीं बना पाया है। जबकि इस पर एक हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, फिर भी यह इंजीनियरिंग, मेडिसिन जैसी प्रमुख स्ट्रीमों में कोर्स तक नहीं चला पा रहा। ऐसे में ₹1 लाख पूंजी वाले नए निजी विश्वविद्यालयों द्वारा इन क्षेत्रों में कोर्स चलाने की घोषणाएं गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
एक विडंबना यह भी है कि पूर्व कुलपति, जो अब राज्य सरकार के आर्थिक सलाहकार हैं, कभी निजी विश्वविद्यालयों की बाढ़ के विरोधी थे, लेकिन अब उन्हीं के कार्यकाल में निजी विश्वविद्यालयों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
सवाल यह नहीं कि निजी विश्वविद्यालय खोले जाएं या नहीं, बल्कि यह है कि क्या उन्हें नियंत्रित और गुणवत्ता आधारित तरीके से खोला जा रहा है? यदि सरकार वाकई सिक्किम को उच्च शिक्षा का हब बनाना चाहती है, जैसा कि मुख्यमंत्री ने 2025-26 के बजट भाषण में कहा था, तो ज़रूरत गुणवत्ता पर ध्यान देने की है, न कि मात्र संख्या बढ़ाने की।
हमें आशा है कि ये नए विश्वविद्यालय सिक्किम के युवाओं को विश्व स्तरीय शिक्षा देने में सफल होंगे, न कि राज्य की शैक्षिक छवि को नुकसान पहुँचाएंगे।
(यह लेख लेखक के व्यक्तिगत विचारों पर आधारित है।)