CBSE का बड़ा फैसला: अब रटना नहीं, समझना होगा! 2026 से 9वीं के छात्रों के लिए ओपन-बुक एग्जाम

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इंदौर: छात्रों के बस्ते का बोझ और परीक्षा का डर, इन दोनों को कम करने के लिए CBSE ने एक बड़ा कदम उठाया है। नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत, CBSE ने घोषणा की है कि 2026-27 के शैक्षणिक सत्र से 9वीं कक्षा के छात्रों के लिए कुछ विषयों में ओपन-बुक एग्जाम (Open-Book Exam) शुरू किए जाएंगे। इस फैसले का सीधा असर इंदौर जैसे शहरों के छात्रों पर भी पड़ेगा, जहाँ सीबीएसई स्कूलों की संख्या बहुत ज्यादा है।

यह बदलाव रटकर पढ़ने की पुरानी आदत को खत्म करेगा और छात्रों में समझ, विश्लेषण और रचनात्मक सोच को बढ़ावा देगा।

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5 पॉइंट्स में समझें CBSE के इस बड़े बदलाव को

  1. क्या है ओपन-बुक एग्जाम? इस परीक्षा में छात्र अपनी किताबें, नोट्स या अन्य स्टडी मटेरियल साथ लेकर जा सकते हैं। इसका मकसद सिर्फ ज्ञान को जाँचने का नहीं, बल्कि यह देखना है कि छात्र जानकारी का उपयोग करके समस्याओं को कैसे हल करते हैं। यह एक तरह से छात्रों की एप्लीकेशन-बेस्ड लर्निंग और एनालिटिकल थिंकिंग को परखेगा।
  2. किन विषयों में होगा लागू? शुरुआत में, यह परीक्षा मुख्य विषयों जैसे गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और भाषा में लागू की जाएगी। इन विषयों में सबसे ज्यादा रटने की जरूरत पड़ती है, जिसे यह नया पैटर्न खत्म करेगा।
  3. बदलाव क्यों लाया गया? यह फैसला नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) की सिफारिशों के अनुरूप है। NEP का लक्ष्य छात्रों को सिर्फ डिग्री देना नहीं, बल्कि उन्हें वास्तविक दुनिया की चुनौतियों के लिए तैयार करना है। 2023 में एक पायलट प्रोजेक्ट में मिले मिश्रित नतीजों के बावजूद, शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाएगा।
  4. तुलसी एकेडमी जैसे स्कूल कैसे करेंगे मदद? इंदौर स्थित तुलसी एकेडमी (Tulsi Academy) जैसे संस्थान इस बदलाव को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। परंपरागत शिक्षा से अलग, यह एकेडमी छात्रों को रटने की बजाय सोचने पर जोर देती है। यह नया एग्जाम फॉर्मेट तुलसी एकेडमी के दृष्टिकोण से मेल खाता है, जहाँ छात्रों को सिर्फ सिलेबस नहीं, बल्कि जीवन की समस्याओं को हल करना सिखाया जाता है।
  5. आगे क्या होगा? CBSE ने इस नए फॉर्मेट को सुचारू रूप से लागू करने के लिए कमर कस ली है। बोर्ड जल्द ही सैंपल पेपर्स, एग्जाम फ्रेमवर्क और शिक्षकों के लिए खास ट्रेनिंग मॉड्यूल जारी करेगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि छात्र और शिक्षक, दोनों इस नई प्रणाली के लिए पूरी तरह से तैयार हों।
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इंसानियत का पहलू: क्या होगा बच्चों पर असर?

यह बदलाव लाखों छात्रों की पढ़ाई के तरीके को बदल देगा। अब उन्हें परीक्षा के डर से रटना नहीं पड़ेगा, बल्कि वे चीजों को गहराई से समझेंगे। यह न सिर्फ उनके शैक्षणिक प्रदर्शन को बेहतर करेगा, बल्कि उनके अंदर आत्मविश्वास और रचनात्मकता भी भरेगा। इस बदलाव से बच्चों का मानसिक दबाव कम होगा और वे एक बेहतर शिक्षा का अनुभव कर पाएंगे।

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निष्कर्ष और पाठक के लिए जानकारी

यह एक बड़ा बदलाव है जो भारत की शिक्षा प्रणाली में क्रांति ला सकता है। रटने की आदत से आजादी मिलेगी और छात्रों की सोच का दायरा बढ़ेगा। अगर आप इस विषय पर और जानकारी चाहते हैं या आपके कोई सवाल हैं, तो आप CBSE की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं। इस आर्टिकल को अपने उन दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ शेयर करें जिनके बच्चे 9वीं कक्षा में हैं।


लेखक परिचय: राहुल महाजन, पत्रकारिता के क्षेत्र में आठ वर्षों का अनुभव रखते हैं। उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई पत्रकारिता में पूरी की है और पिछले तीन साल से ‘जनक्रांति’ न्यूज़ के साथ जुड़े हुए हैं। शिक्षा जगत पर उनकी गहरी पकड़ है, जिसका उपयोग वे अपने लेखों में प्रामाणिक और विश्वसनीय जानकारी देने के लिए करते हैं। उनका लेखन सरल और प्रभावी होता है, जिससे वे पाठकों के बीच अपनी एक खास पहचान बना चुके हैं।

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