इंदौर: महापौर पुत्र संघमित्र ने मोदी सरकार पर उठाए सवाल, शिवाजी की याद दिला दी

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इंदौर। भारत के इतिहास के महानायक छत्रपति शिवाजी महाराज ने मात्र 16 वर्ष की उम्र में मुगल बादशाह के सामने झुकने से इनकार कर दिया था और विद्रोह का ऐलान कर दिया था। री डिस्कवर इंडिया न्यूज इंदौर की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के अनुसार, आज से ठीक 400 साल बाद, इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) के सभागार में एक ऐसा ही साहसिक दृश्य देखने को मिला। शहर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव के बेटे संघमित्र भार्गव ने एक वाद-विवाद प्रतियोगिता में खड़े होकर मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना और रेलवे की खामियों पर जमकर कटाक्ष किया। और वह भी ऐसे मंच पर जहां मुख्यमंत्री मोहन यादव और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर जैसे बड़े नेता मौजूद थे।

री डिस्कवर इंडिया न्यूज इंदौर के अनुसार, संघमित्र के इस साहस की जमकर चर्चा हो रही है और लोग उनकी तुलना युवा शिवाजी से कर रहे हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि सच बोलने का साहस उम्र और हैसियत से नहीं, बल्कि इंसान के चरित्र से आता है।

संघमित्र भार्गव देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में वाद-विवाद प्रतियोगिता में बोलते हुए।

क्या बोले संघमित्र?

वाद-विवाद प्रतियोगिता में संघमित्र भार्गव ने मोदी सरकार की नीतियों पर तथ्यों के साथ अपनी बात रखी:

  • बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में आ रही लेटलतीफी और विस्थापन की समस्याओं पर सवाल उठाए।
  • जमीन अधिग्रहण में हो रहे भ्रष्टाचार के मुद्दे को उजागर किया।
  • मोदी सरकार द्वारा वादे पूरे न करने की बात कही।
  • रेलवे व्यवस्था की खामियों की ओर सबका ध्यान खींचा।

सबसे बड़ी बात यह थी कि उन्होंने यह सब पूरे आत्मविश्वास और तार्किक ढंग से पेश किया।

People Also Ask (PAA – Google के सवाल):

Q: संघमित्र भार्गव कौन हैं?
A: संघमित्र भार्गव इंदौर के वर्तमान महापौर पुष्यमित्र भार्गव के बेटे हैं। उन्होंने DAVV में आयोजित एक कार्यक्रम में मोदी सरकार की नीतियों की खुलकर आलोचना की।

Q: संघमित्र ने मोदी सरकार की किस योजना की आलोचना की?
A: उन्होंने मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना में आ रही देरी, जमीन अधिग्रहण में भ्रष्टाचार और रेलवे की खामियों पर सवाल उठाए।

Q: कार्यक्रम में और कौन-कौन मौजूद था?
A: कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव और कई बड़े BJP नेता मौजूद थे।

Q: लोग संघमित्र की तुलना शिवाजी से क्यों कर रहे हैं?
A: क्योंकि उन्होंने सत्ता के सामने सच बोलने का साहस दिखाया, ठीक उसी तरह जैसे युवा शिवाजी ने मुगल बादशाह के सामने झुकने से इनकार कर दिया था।

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शिवाजी और संघमित्र: एक साहस की दो कहानियां

  • तब (400 साल पहले): युवा शिवाजी ने मुगल बादशाह के सामने झुकने से इनकार कर दिया, क्योंकि उनमें गुलामी की मानसिकता नहीं थी।
  • अब (आज): युवा संघमित्र ने उस सत्ता के सामने सच बोलने का साहस दिखाया, जिसकी विचारधारा से उनके अपने परिवार और पार्टी का नाता है। उन्होंने साबित किया कि सच्चाई सियासत से ऊपर होती है।

नेताओं की चुप्पी पर सवाल

सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस मंच पर मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष जैसे बड़े नेता मौजूद थे, उनमें से किसी में भी मोदी सरकार की किसी योजना की खामियां उजागर करने का साहस क्यों नहीं है? क्या आज के नेता सिर्फ ‘हाँ में हाँ’ मिलाने के लिए ही बचे हैं? संघमित्र का यह कदम यह सवाल पूछने के लिए मजबूर कर देता है।

युवा सोच की जीत

संघमित्र भार्गव का यह साहसिक कदम युवा भारत की उस सोच का प्रतीक है जो अंधभक्ति नहीं, बल्कि जिम्मेदार नागरिक बनना चाहता है। यह घटना एक संदेश है कि देश का भविष्य उन युवाओं के हाथों में सुरक्षित है जो सवाल पूछने का साहस रखते हैं, चाहे सत्ता का कोपभाजन ही क्यों न बनना पड़े। संघमित्र ने साबित कर दिया कि वीर शिवाजी और महाराणा प्रताप की विरासत आज भी जिंदा है। जय हो संघमित्र!

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