भोपाल। मध्यप्रदेश में पिछले कुछ दिनों में पुलिस द्वारा की गई कथित मारपीट से तीन अलग-अलग लोगों की मौत की खबरों ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। विदिशा, अशोकनगर और भोपाल—इन तीनों जिलों में हुई इन घटनाओं ने पुलिस बल की जवाबदेही और बर्बरता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राजधानी भोपाल का मामला सबसे नया और संवेदनशील है, जहाँ एक बीटेक छात्र की मौत ने सनसनी फैला दी है। तीन जिलों में हुई इन घटनाओं को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री अरुण यादव ने ट्विटर (X) पर सीधे सरकार को घेरा है और पुलिस बर्बरता पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
Quick Highlights
- भोपाल के पिपलानी थाना क्षेत्र में DSP के साले उदित गायकवाड़ (22) की पुलिस पिटाई के बाद संदिग्ध मौत।
- विदिशा के लटेरी में पुलिस मारपीट के बाद 75 वर्षीय बुजुर्ग महिला मीरा बाई की अस्पताल में मौत की खबर।
- अशोकनगर के शाढ़ौरा में लखन यादव (45) की संदिग्ध मौत, परिजनों ने शराब पीने के दौरान पुलिस पिटाई का आरोप लगाया।
- भोपाल घटना का CCTV वीडियो वायरल होने के बाद दो आरक्षक निलंबित; पूरे प्रदेश में पुलिस बर्बरता पर आक्रोश।
- सभी मामलों में पुलिस प्रशासन द्वारा विभागीय जांच और निलंबन की कार्रवाई की गई है, पर जनता में गुस्सा है।
- पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने तीन जिलों में पुलिस की पिटाई से हुई मौतों पर ट्विटर (X) पर पोस्ट कर सरकार को घेरा।
- उन्होंने आरोप लगाया: “मध्यप्रदेश में पुलिस का गुंडाराज चरम पर है… वर्दी का रौब अब जनता की जान पर भारी पड़ रहा है।”
- अरुण यादव ने सरकार से पूछा: “क्या यही है ‘सुशासन’ का मॉडल, जहाँ जनता नहीं, जुल्म बोलता है?”
भोपाल में DSP के साले की मौत से सनसनी
भोपाल में ऐसा कैसे हो सकता है! राजधानी के पिपलानी थाना क्षेत्र में 9 अक्टूबर 2025 की रात को हुई घटना ने पुलिस प्रशासन को सवालों के घेरे में ला दिया है। उदित गायकवाड़ (22), जो एक बीटेक छात्र थे और एक डीएसपी (DSP) के साले भी थे, उनकी मौत पुलिस पिटाई के बाद संदिग्ध हालात में हो गई।

घटना की पूरी कहानी और वायरल वीडियो
उदित गायकवाड़ रात को अपनी बाइक से घर लौट रहे थे, तभी रास्ते में पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोका। परिजनों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यहाँ झड़प हुई, और दो पुलिसकर्मियों ने उदित को सड़क पर ही बेरहमी से पीटा। मारपीट के बाद उदित की हालत इतनी बिगड़ गई कि अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई।
इस पूरी घटना का CCTV/मोबाइल वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें पुलिस द्वारा की गई पिटाई साफ दिख रही है। यह वीडियो सार्वजनिक होते ही बड़ी संख्या में लोग आक्रोशित हो गए और पुलिस के खिलाफ सड़क पर विरोध किया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री अरुण यादव ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा:
“मध्यप्रदेश में पुलिस का गुंडाराज चरम पर है। कहीं थाने में तो कहीं सड़क पर, वर्दी का रौब अब जनता की जान पर भारी पड़ रहा है। विदिशा, अशोकनगर और भोपाल तीन जिलों में पुलिस की मारपीट से तीन लोगों की जान चली गई, और सरकार अब भी मौन साधे बैठी है। क्या यही है ‘सुशासन’ का मॉडल, जहाँ जनता नहीं, जुल्म बोलता है?”
अरुण यादव की यह पोस्ट सीधे मुख्यमंत्री और गृह विभाग को जवाबदेही तय करने की चुनौती देती है।
पुलिस प्रशासन की प्रतिक्रिया और आक्रोश
इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, डीएसपी सहित वरिष्ठ अधिकारी तुरंत अस्पताल पहुँचे और घटना की जांच शुरू हुई। पुलिस ने प्रथम दृष्टया लापरवाही मानते हुए आरोपी दो आरक्षकों को लाइन अटैच कर निलंबित कर दिया है और विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। हालांकि, मौत का सटीक कारण जानने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है। उदित गायकवाड़ के परिवारजन और आम लोगों ने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए सड़क पर उतरकर विरोध जताया है। यह घटना दिखाती है कि पुलिस बल में सुधार और जवाबदेही की कितनी सख्त जरूरत है।
विदिशा और अशोकनगर के मामले
भोपाल के साथ ही, प्रदेश के अन्य जिलों से भी ऐसी ही चौंकाने वाली खबरें आई हैं:
- विदिशा की घटना: विदिशा के लटेरी इलाके में पुलिस द्वारा की गई मारपीट का वीडियो सामने आया था, जिसमें एक महिला को पीटा गया था। इसके अलावा, सुनेटी गांव की 75 वर्षीय बुजुर्ग महिला मीरा बाई की भी पुलिस मारपीट के बाद अस्पताल में मौत होने की खबर मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए सामने आई है।
- अशोकनगर की घटना: अशोकनगर जिले के शाढ़ौरा थाना क्षेत्र के बमूरिया गांव में लखन यादव (45) नामक व्यक्ति की संदिग्ध मौत के बाद परिजनों ने पुलिस पिटाई का आरोप लगाया। उनका कहना है कि शराब पीते समय पुलिसकर्मी आए, लखन को पीटा गया और उसे तालाब किनारे अधमरी हालत में छोड़ दिया गया। बाद में अस्पताल में उसकी मौत हो गई।
पुलिस बर्बरता पर महासवाल
यह सिर्फ तीन जिलों की बात नहीं है। तीनों जिलों में पुलिस की मारपीट से संलिप्त मामलों की वजह से तीन लोगों की मौत की खबर सामने आई है। यह सिलसिला प्रदेश में पुलिस बर्बरता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है। आम जनता में यह सवाल है कि पुलिस, जिसका काम जनता की सुरक्षा करना है, वही अगर हिंसा पर उतर आए तो न्याय और सुरक्षा की उम्मीद किससे की जाए? इन घटनाओं ने पूरे प्रदेश में सुरक्षा और प्रशासनिक सुधार को लेकर एक बड़ी बहस छेड़ दी है।
FAQs (Voice Search Friendly)
- भोपाल में जिस युवक की मौत हुई, वह कौन था और घटना कब हुई? भोपाल के पिपलानी थाना क्षेत्र में 9 अक्टूबर 2025 की रात को उदित गायकवाड़ (22) नामक बीटेक छात्र की पुलिस पिटाई के बाद संदिग्ध मौत हुई। उदित गायकवाड़ एक डीएसपी (DSP) के साले थे। घटना का CCTV वीडियो वायरल होने के बाद आरोपी दो आरक्षकों को निलंबित कर दिया गया है।
- विदिशा और अशोकनगर में पुलिस मारपीट से कौन से मामले सामने आए हैं? विदिशा के लटेरी में पुलिस पिटाई से 75 वर्षीय बुजुर्ग महिला मीरा बाई की मौत की खबर सामने आई है। वहीं, अशोकनगर के बमूरिया गांव में लखन यादव नामक व्यक्ति की मौत के बाद परिजनों ने पुलिस पर शराब पीने के दौरान पिटाई करने का आरोप लगाया है।
- इन घटनाओं के बाद पुलिस प्रशासन ने क्या कार्रवाई की है? तीनों जिलों की घटनाओं के बाद जनता में भारी आक्रोश है। पुलिस प्रशासन ने प्रथम दृष्टया लापरवाही मानते हुए आरोपी आरक्षकों को निलंबित कर विभागीय जांच शुरू कर दी है। भोपाल मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है, जिसके बाद मौत का सटीक कारण स्पष्ट होगा।
मध्यप्रदेश में पुलिस की बर्बरता से हुई इन तीन मौतों ने प्रशासनिक जवाबदेही की पोल खोल दी है। इन मामलों में केवल निलंबन नहीं, बल्कि निष्पक्ष और सख्त कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि आम जनता का विश्वास पुलिस व्यवस्था पर बहाल हो सके।
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