वोटर लिस्ट को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि हज़ारों वोटरों के नाम सुनियोजित तरीके से काटे गए। उनका कहना है कि “चुनाव आयोग पारदर्शिता से जानकारी क्यों नहीं दे रहा कि ये नाम किसने और क्यों हटाए?”
दूसरी ओर, चुनाव आयोग (ECI) ने राहुल गांधी के दावों को “गलत और भ्रामक” बताया है। आयोग का कहना है कि कोई भी आम नागरिक सीधे-सीधे ऑनलाइन वोट डिलीट नहीं कर सकता, सिर्फ़ Form-7 भरकर नाम जोड़ने/हटाने का आवेदन कर सकता है। अंतिम निर्णय जाँच के बाद ही लिया जाता है।
राहुल गांधी ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार पर सीधा आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग ने कर्नाटक के अलंद निर्वाचन क्षेत्र में वोट डिलीशन जांच को बाधित किया।
उन्होंने कुमार को 7 दिन का अल्टीमेटम दिया: “या तो CID को एफिडेविट दो या जांच के लिए जरूरी डेटा दो।”
- कांग्रेस का दावा: 6,018 वोटरों के नाम डिलीट करने की साजिश छिपाई गई।
- CEC कुमार ने पहले राहुल को ही 7 दिन का नोटिस दिया था: सबूत दो या माफी मांगो।
- अब कांग्रेस ने कर्नाटक CEO का पत्र सार्वजनिक किया, जिसमें CID के कई रिमाइंडर दर्ज हैं।
- 18 महीनों से ECI ने CID को IP एड्रेस, OTP रिकॉर्ड जैसे तकनीकी डेटा नहीं दिया।
- पूर्व CECs ने कुमार की “आक्रामक” प्रतिक्रिया की आलोचना की, कहा कि पारदर्शिता ज़रूरी है।
- सुप्रीम कोर्ट में ECI को मिली इम्युनिटी पर चुनौती लंबित है।
राहुल गांधी का कहना है कि ECI लोकतंत्र नष्ट करने वालों को बचा रहा है और अब आयोग की निष्पक्षता पर सवाल सिर्फ़ विपक्ष ही नहीं, पूर्व चुनाव आयुक्तों द्वारा भी उठाए जा रहे हैं।
विपक्ष के आरोप
- कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि “अगर सिर्फ़ आवेदन हुआ था, तो चुनाव आयोग बताए कि 6000 वोटरों के नाम किसके कहने पर हटाए गए? यह जानकारी क्यों छुपाई जा रही है?”
- राहुल गांधी ने यह भी सवाल उठाया कि “जब नाम कटवाने वालों पर FIR हुई थी, तो उनकी पहचान सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही?”
- विपक्ष का आरोप है कि आयोग सत्ता पक्ष की मदद कर रहा है और राहुल गांधी जैसे नेताओं को “गलत साबित” करने पर ज़्यादा ज़ोर देता है।
जनता के सवाल
कई मतदाता सोशल मीडिया पर यह पूछ रहे हैं:
- वोटरों की सूची से नाम गायब होने की ज़िम्मेदारी कौन लेगा?
- अगर गड़बड़ी हुई थी तो दोषियों के नाम क्यों नहीं बताए गए?
- क्या चुनाव आयोग सचमुच पूरी तरह निष्पक्ष है या फिर उस पर राजनीतिक दबाव है?
कानूनी पहलू
2023 में बने Chief Election Commissioner & Other Election Commissioners Act की धारा 16, मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य आयुक्तों को कानूनी सुरक्षा (इम्युनिटी) देती है। आलोचकों का कहना है कि इस सुरक्षा के चलते आयोग को जवाबदेह ठहराना मुश्किल होता जा रहा है।
👉 तकनीकी तौर पर चुनाव आयोग सही है कि ऑनलाइन कोई भी वोट डिलीट नहीं कर सकता, लेकिन राहुल गांधी और विपक्ष का बड़ा सवाल अब भी अनुत्तरित है —
“आख़िर 6000 वोटरों के नाम किसने और क्यों हटाए?”
जब तक आयोग इस पर पारदर्शी जवाब नहीं देता, तब तक उस पर पक्षपात और सत्ता से नज़दीकी के आरोप लगते रहेंगे।
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