Sonam Wangchuk पर Leh Violence का इल्ज़ाम! NGO SECMOL का FCRA लाइसेंस रद्द

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लेह से बड़ी ख़बर सामने आई है, जहाँ केंद्र सरकार ने पर्यावरणविद और इनोवेटर सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित NGO, SECMOL (स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख) का FCRA (विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम) लाइसेंस रद्द कर दिया है. यह कार्रवाई गृह मंत्रालय द्वारा लेह में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के लिए वांगचुक को ज़िम्मेदार ठहराए जाने के महज़ एक दिन बाद हुई है. CBI पहले से ही वांगचुक के संस्थानों SECMOL और HIAL (हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख) में विदेशी फ़ंडिंग के कथित उल्लंघनों की तफ़सील से जाँच कर रही है, जिसे वांगचुक ने बदले की कार्रवाई करार दिया है.


Quick Highlights

  • पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के NGO SECMOL का FCRA लाइसेंस केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रद्द किया.
  • यह फ़ैसला लेह हिंसा के लिए वांगचुक को दोषी ठहराने के ठीक अगले दिन लिया गया है.
  • CBI ने लगभग दो महीने पहले SECMOL और HIAL के ख़िलाफ़ कथित FCRA उल्लंघनों की प्रारंभिक जाँच शुरू की थी.
  • वांगचुक ने दावा किया है कि उन्हें अपने ज्ञान निर्यात (Knowledge Export) से होने वाली आय को “विदेशी योगदान” माने जाने पर निशाना बनाया जा रहा है.
  • वांगचुक लेह और लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची का विस्तार देने की माँग को लेकर हाल ही में भूख हड़ताल पर थे.

लेह, लद्दाख: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बड़ा इंतिज़ाम करते हुए लद्दाख के जाने-माने शिक्षाविद और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के संगठन SECMOL का विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम यानी FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया है.

Leh हिंसा और सरकार का रुख

इस पेशेवर कार्रवाई की टाइमिंग को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि यह फ़ैसला गृह मंत्रालय द्वारा लेह शहर में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए सोनम वांगचुक को ज़िम्मेदार ठहराए जाने के महज़ 24 घंटे बाद आया है. मंत्रालय ने अपने बयान में साफ़ कहा था कि भीड़ वांगचुक के “भड़काऊ बयानों” से उकसाई गई थी. इस दुर्भाग्यपूर्ण हिंसा में कम से कम चार लोगों की मौत हुई थी, जिसके बाद पूरे इलाक़े में कर्फ़्यू जैसे प्रतिबंध लागू करने पड़े थे.

वांगचुक पिछले पाँच वर्षों से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष राहत देने की माँग को लेकर चल रहे आंदोलन का मुख्य चेहरा रहे हैं. उन्होंने हाल ही में 15 दिनों की लंबी भूख हड़ताल समाप्त की थी.

CBI जांच और वांगचुक का पलटवार: ‘टारगेट किया जा रहा है’

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट और अन्य तफ़सीलों के अनुसार, केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) ने लगभग दो महीने पहले ही वांगचुक द्वारा स्थापित दो संस्थानों – SECMOL और HIAL (हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख) के ख़िलाफ़ कथित FCRA उल्लंघनों की जाँच शुरू कर दी थी.

समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में सोनम वांगचुक ने ख़ुद को निशाना बनाने का आरोप लगाया. उन्होंने बताया कि CBI की एक टीम क़रीब 10 दिन पहले उन्हें एक आदेश लेकर आई थी, जिसमें गृह मंत्रालय की शिकायत पर कार्रवाई की बात कही गई थी. CBI की टीमें अभी भी लद्दाख में मौजूद हैं और 2022 से 2024 के बीच इन संगठनों को मिली विदेशी फ़ंडिंग और खातों की गहन जाँच कर रही हैं.

वांगचुक ने स्पष्ट किया कि जिन कथित उल्लंघनों का ज़िक्र शिकायत में है, वे असल में भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र, एक स्विस विश्वविद्यालय और एक इतालवी संगठन को ज्ञान निर्यात करने से जुड़े सेवा समझौते थे, जिन पर विधिवत कर चुकाया गया है. उन्होंने कहा, “हम विदेशी फ़ंड पर निर्भर नहीं रहना चाहते, बल्कि हम अपना ज्ञान निर्यात करते हैं और राजस्व जुटाते हैं… सब जानते हैं कि हमारे पास दिखाने के लिए दस्तावेज़ हैं.”

स्थानीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई राजनीतिक रूप से संवेदनशील लेह और लद्दाख के आंदोलन को प्रभावित कर सकती है. लद्दाख की जनता में वांगचुक की छवि एक ईमानदार और जन-समर्पित व्यक्ति की है.

एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “वांगचुक सर ने लेह (पिनकोड 194101) में शिक्षा और पर्यावरण के लिए ज़मीन पर बेहतरीन इंतज़ाम किए हैं. ऐसे समय में जब वो बड़े आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, उन पर इस तरह की कार्रवाई से लोगों में ग़ुस्सा और असंतोष बढ़ सकता है.”

यह भी पढ़ें: Leh Violence: क्या Sonam Wangchuk के ‘भड़काऊ भाषणों’ ने भड़काई हिंसा? सरकार ने सीधे Activist को ठहराया ज़िम्मेदार

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