केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पूर्ण राज्य के दर्जे और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की माँग को लेकर चल रहा शांतिपूर्ण आंदोलन बुधवार को अचानक हिंसक हो उठा, जिसमें चार लोगों की जान चली गई. इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद लेह में अनिश्चितकालीन कर्फ़्यू लगा दिया गया और केंद्र सरकार ने सीधे तौर पर जलवायु कार्यकर्ता और इनोवेटर सोनम वांगचुक को हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है. सरकार के इस रुख़ पर वांगचुक ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि उन्हें बलि का बकरा (Scapegoat) बनाया जा रहा है ताकि लद्दाख की मूल समस्याओं से ध्यान हटाया जा सके. इस गंभीर गतिरोध के बीच, उनके NGO SECMOL का FCRA लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया है.

Quick Highlights
- लद्दाख को पूर्ण राज्य और छठी अनुसूची में शामिल करने की माँग पर चल रहा आंदोलन हिंसक हुआ, जिसमें चार लोगों की जान गई.
- उपद्रवियों ने लेह में भाजपा कार्यालय को आग लगाई, जिसके बाद शहर में कर्फ़्यू लागू किया गया.
- केंद्र सरकार ने सीधे तौर पर सोनम वांगचुक को हिंसा का ज़िम्मेदार ठहराया; वांगचुक ने खुद को बलि का बकरा बनाए जाने का आरोप लगाया.
- हिंसा के अगले दिन ही वांगचुक के NGO SECMOL का FCRA लाइसेंस केंद्र सरकार ने रद्द कर दिया.
- हिंसा का तात्कालिक कारण भूख हड़ताल पर बैठे दो बुजुर्ग कार्यकर्ताओं की तबीयत बिगड़ना था.
लेह/नई दिल्ली: लद्दाख में पिछले पाँच वर्षों से सुलग रहा असंतोष अब एक गंभीर मोड़ पर आ गया है. अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त कर लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से ही, यहाँ के लोग पूर्ण राज्य और संवैधानिक संरक्षण की माँग कर रहे हैं.
अचानक क्यों भड़की लेह में हिंसा?
दरअसल, लद्दाख एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के नेतृत्व में सोनम वांगचुक समेत 15 कार्यकर्ता 10 सितंबर 2025 से 35 दिनों के अनशन पर थे.
मंगलवार को LAB के दो बुजुर्ग कार्यकर्ताओं की तबीयत बिगड़ने और अस्पताल में भर्ती होने की ख़बर आई. इस घटना ने युवाओं में ग़ुस्सा और कुंठा (Frustration) भर दी, जिसके बाद बुधवार को लेह बंद का ऐलान किया गया. बंद के दौरान भारी संख्या में युवा सड़कों पर उतर आए और उन्होंने भाजपा कार्यालय और हिल काउंसिल मुख्यालय में घुसने का प्रयास किया.
पुलिस और सुरक्षाबलों ने उन्हें रोकने के लिए बल का प्रयोग किया, जिसके बाद पथराव और हिंसक झड़पें शुरू हो गईं. प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय भाजपा कार्यालय में आगज़नी की और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुँचाया. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, लेह में अनिश्चितकालीन कर्फ़्यू लागू करना पड़ा.

वांगचुक क्यों हैं निशाने पर? कौन हैं यह इनोवेटर?
सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) एक प्रसिद्ध इंजीनियर और पर्यावरणविद हैं. उन्हें 2009 की हिंदी फिल्म 3 इडियट्स में आमिर खान के किरदार की प्रेरणा माना जाता है. शिक्षा और सतत विकास में उनके योगदान के लिए उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार भी मिल चुका है.
लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से ही, वह इसे छठी अनुसूची में शामिल करने और पूर्ण राज्य का दर्जा देने की माँग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.
सरकार का आरोप: हिंसा के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि वांगचुक ने अपनी भूख हड़ताल के दौरान अरब स्प्रिंग और नेपाल के जेन-जी (Gen-Z) आंदोलनों का भड़काऊ ढंग से ज़िक्र किया. सरकार का दावा है कि वांगचुक के उत्तेजक भाषणों ने भीड़ को गुमराह किया और हिंसा भड़काई. उप-राज्यपाल कविंदर गुप्ता ने इसे एक सुनियोजित साज़िश बताया है.
वांगचुक का जवाब: सोनम वांगचुक ने PTI से बात करते हुए सरकार के आरोपों को खारिज़ कर दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें हिमालयी क्षेत्र की मूल समस्याओं (बेरोज़गारी, लोकतांत्रिक अधिकारों की कमी) से बचने के लिए बलि का बकरा बनाया जा रहा है. उन्होंने शांतिपूर्ण आंदोलन की विफलता पर दुःख जताते हुए युवाओं से हिंसा रोकने की पुरज़ोर अपील की.

क्या है संविधान की छठी अनुसूची की मांग?
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगों में लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा देना शामिल है.
छठी अनुसूची क्या है? संविधान के अनुच्छेद 244(2) के तहत, छठी अनुसूची पूर्वोत्तर के जनजातीय क्षेत्रों (असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा) के प्रशासन के लिए विशेष व्यवस्था करती है. यह आदिवासियों को उनकी भूमि, संस्कृति और सामाजिक रीति-रिवाज़ों की सुरक्षा के लिए स्वायत्त ज़िलों और क्षेत्रीय परिषदों के माध्यम से विधायी, कार्यकारी और न्यायिक शक्तियाँ प्रदान करती है.
लद्दाख में मांग क्यों? 2019 में धारा 370 हटने के बाद लद्दाख के स्थानीय लोगों को यह डर है कि बाहरी लोग आकर उनकी ज़मीनें खरीदेंगे, उनकी संस्कृति को नुकसान पहुँचाएँगे, और उनकी पारंपरिक जीवनशैली को खतरा पैदा होगा. वांगचुक का मुख्य तर्क है कि लद्दाख की नाजुक जलवायु और ग्लेशियरों को बचाने के लिए यहाँ की भूमि और जंगलों को औद्योगिक और खनन हितों से बचाने हेतु लोकतांत्रिक अधिकार (छठी अनुसूची) मिलना अति आवश्यक है.
हिंसा के बाद सरकारी कार्रवाई: FCRA लाइसेंस रद्द
हिंसा के एक दिन बाद, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वांगचुक द्वारा स्थापित NGO स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) और हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) के FCRA (विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम) लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिए.
आरोप यह है कि संगठनों ने वित्तीय विसंगतियाँ की और राष्ट्रीय हित के विरुद्ध विदेशी धन का हस्तांतरण किया. CBI पहले से ही इन संस्थानों में FCRA उल्लंघनों की प्रारंभिक जाँच कर रही थी. वांगचुक ने इस कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताया है.
आगे का रास्ता और सरकार का रुख
हिंसा के बावजूद, केंद्र सरकार ने लद्दाख के नेताओं (LAB और KDA) के साथ संवाद की प्रक्रिया जारी रखी है. सरकार का कहना है कि वे पहले से ही उच्चाधिकार प्राप्त समिति (HPC) के माध्यम से आरक्षण (45% से 84%), महिलाओं के लिए आरक्षण और भाषाओं को आधिकारिक दर्जा देने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रगति कर रही थी. HPC की अगली बैठक 6 अक्टूबर को निर्धारित है, जिस पर अब सभी की निगाहें टिकी हैं.
लेह शहर में शांत सुरक्षा और सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने के लिए 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है और उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठकें आयोजित की जा रही हैं.
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