उज्जैन जगोटी-महुड़ी रोड जर्जर: ग्रामीणों के लिए बनीं मुसीबत की सड़कें, जानें क्या है वजह?

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उज्जैन। महिदपुर तहसील क्षेत्र के जगोटी और आसपास के करीब आधा दर्जन गांवों के लोगों को इन दिनों बदहाल सड़क की समस्या से जूझना पड़ रहा है। उज्जैन-गरोठ फोरलेन निर्माण कार्य के दौरान ठेकेदार की निर्माण एजेंसी के भारी-भरकम वाहनों के लगातार उपयोग से प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत बनी यह महत्वपूर्ण सड़क पूरी तरह से टूटकर बड़े-बड़े गड्ढों में तब्दील हो गई है। बारिश के कारण इन गड्ढों में पानी भरने से आवागमन पूरी तरह से जोखिमभरा हो गया है, जिससे स्कूली बच्चों और स्थानीय निवासियों को जान का खतरा बना हुआ है।


Highlights

  • उज्जैन-गरोठ रोड निर्माण में इस्तेमाल भारी वाहनों से जगोटी-महुडी सड़क जर्जर।
  • प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनी सड़क में एक-एक मीटर लंबे और गहरे गड्ढे।
  • जगोटी, महुडी, हिंगोनिया, माली खेड़ी जैसे गांवों का आवागमन बुरी तरह प्रभावित।
  • बारिश के कारण गड्ढों में पानी भरने से हादसे का डर बढ़ा, स्कूल बसें भी खतरे में।
  • स्थानीय लोगों ने जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों पर लापरवाही का आरोप लगाया।

केंद्र और राज्य सरकारें जहाँ लंबी दूरी के लिए फोरलेन और सिक्स लेन सड़कों का जाल बिछा रही हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों की कनेक्टिविटी को नजरअंदाज किया जा रहा है। जगोटी और उसके आसपास के गांवों के लिए जगोटी-महुडी मार्ग ही मुख्य आवागमन का रास्ता है। यह सड़क वर्षों पहले प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत बनी थी। लेकिन, हाल ही में चल रहे उज्जैन-गरोठ सड़क निर्माण के लिए सामग्री और मशीनरी ले जाने वाले भारी ट्रकों ने इसी ग्रामीण मार्ग का उपयोग किया। इसके नतीजतन, सड़क की क्षमता से अधिक भार झेलने के कारण यह पूरी तरह से उखड़ गई है।

जगोटी से महुडी, हिंगोनिया, माली खेड़ी, मेलानिया और खुरचेनिया जैसे गांवों को जोड़ने वाली यह सड़क अब किसी बड़े गढ्ढे के मैदान में बदल गई है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि सड़क पर एक मीटर तक लंबे और गहरे गड्ढे हो चुके हैं। निर्माण एजेंसियों ने बड़ी सड़क बनाने के दौरान ग्रामीणों की सुविधा का कोई ध्यान नहीं रखा और जर्जर सड़क को मरम्मत के लिए भी नहीं छोड़ा। मौजूदा समय में बारिश के चलते स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। सड़क के गड्ढों में पानी भरा है, जिससे उनकी गहराई का अंदाजा नहीं लग पाता। नतीजा यह है कि दुपहिया और छोटे चारपहिया वाहन चालक सीधे गड्ढों में गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं।

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जगोटी निवासी रामलाल पाटीदार ने MP जनक्रांति न्यूज़ से बातचीत में कहा, “यह सिर्फ परेशानी नहीं, मौत का जाल बन गया है। इस रास्ते से हमारे बच्चे स्कूल बस में जाते हैं। एक-एक मीटर के गड्ढे में भरी पानी से कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। हमने कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों को बताया, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है।”

महुडी के एक ग्रामीण, दीपक सेन ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया, “हमारा मुख्य काम-काज और खेती की उपज मंडी तक ले जाने का रास्ता यही है। जर्जर सड़क के कारण हमारे वाहनों का मेंटेनेंस खर्च कई गुना बढ़ गया है, और रोज जान हथेली पर रखकर चलना पड़ता है। बड़ी सड़क बन रही है, पर हमें मिला टूटी हुई सड़क का तोहफा।”

इस जर्जर सड़क का सीधा असर करीब आधा दर्जन गांवों के दैनिक जीवन पर पड़ा है। स्कूल बस के आवागमन में खतरा होने से बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है। खासकर, बीमार लोगों को अस्पताल तक ले जाने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे समय पर इलाज मिलना मुश्किल हो जाता है। गड्ढों से बचने के लिए वाहन चालक जब सड़क से नीचे उतरते हैं, तो फिसलने या पलटने का खतरा बढ़ जाता है।

स्थानीय लोगों की मांग है कि उज्जैन-गरोठ सड़क निर्माण के ठेकेदार को ही तत्काल प्रभाव से इस ग्रामीण मार्ग की अस्थायी मरम्मत (पैचवर्क) के लिए बाध्य किया जाए। साथ ही, जिला प्रशासन और ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को इस मार्ग का सर्वे कराकर इसे प्राथमिकता के आधार पर दुरुस्त करने की योजना बनानी चाहिए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही सड़क की मरम्मत शुरू नहीं हुई, तो उन्हें मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।

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