रीवा। गुढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की एम्बुलेंस में एक प्रसूता और उसके नवजात शिशु को कथित रूप से 500 रुपये की रिश्वत न मिलने पर चालक ने बीच सड़क पर उतार दिया। परिजनों ने बताया कि चालक ने पैसे की मांग की थी और वे घर पहुंचकर देने को तैयार थे, लेकिन चालक ने उन्हें सड़क पर छोड़कर गाड़ी ले उड़ा। घटना के बाद स्थानीय लोगों और एक नर्स की मदद से महिला को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसकी स्थिति अब स्थिर है।
Highlights
- एम्बुलेंस चालक ने 500 रुपये की रिश्वत मांगी, न देने पर प्रसूता और नवजात को सड़क पर उतारा।
- घटना रीवा जिले के गुढ़ में हुई, जहां स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही उजागर।
- प्रत्यक्षदर्शियों ने महिला को दर्द से कराहते देखा, नर्स रश्मि पटेल ने मदद की।
- रीवा में ऐसी घटनाएं आम, स्वास्थ्य विभाग पर सवाल।
- ग्रामीणों ने दोषी पर कार्रवाई और जांच की मांग की।
रीवा जिले में स्वास्थ्य सेवाओं में भ्रष्टाचार की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। पिछले कुछ वर्षों में एम्बुलेंस चालकों द्वारा मरीजों से पैसे वसूलने और मनमानी करने की कई शिकायतें सामने आई हैं, लेकिन कार्रवाई न होने से स्थिति जस की तस बनी हुई है। हाल ही में उजागर हुए ओवरबिलिंग स्कैंडल ने भी 108 और 102 जैसी आपात सेवाओं पर सवाल उठाए हैं, जहां रीवा समेत कई जिलों में फर्जी बिलिंग की जांच चल रही है। ये घटनाएं गरीब और ग्रामीण मरीजों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को और दुर्गम बना रही हैं।
इस ताजा मामले में गुढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से एक प्रसूता को उसके नवजात के साथ घर ले जाया जा रहा था। एम्बुलेंस चालक ने रास्ते में 500 रुपये की मांग की। परिजनों ने घर पहुंचकर देने की बात कही, लेकिन चालक और उसके सहायक ने गुस्से में आकर उन्हें सड़क पर उतार दिया और गाड़ी लेकर चले गए। महिला घंटों दर्द से तड़पती रही, जबकि नवजात बेसहारा पड़ा रहा। प्रत्यक्षदर्शी रामलाल यादव ने बताया, “हमने महिला को सड़क पर कराहते देखा, बच्चा रो रहा था। आसपास के लोग इकट्ठा हुए और मदद की।” अस्पताल की नर्स रश्मि पटेल ने हस्तक्षेप कर उन्हें अस्पताल कैंपस में लाकर बैठाया और प्राथमिक उपचार दिया।
रीवा के ग्रामीण इलाकों में पहले से ही स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है, और ऐसी घटनाओं से लोगों का आपात सेवाओं पर भरोसा टूट रहा है। गरीब परिवार अब एम्बुलेंस बुलाने से हिचकिचाते हैं, जिससे गंभीर मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है। गुढ़ जैसे छोटे कस्बों में जहां निजी वाहन कम हैं, सरकारी एम्बुलेंस ही एकमात्र सहारा है, लेकिन भ्रष्टाचार ने इसे भी अविश्वसनीय बना दिया है। इससे महिलाओं और बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा पर असर पड़ रहा है, खासकर प्रसव जैसे मामलों में।
मानवाधिकार संगठन के कार्यकर्ता विकास शर्मा ने कहा कि ऐसी घटनाएं स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही दर्शाती हैं, और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को सख्त निगरानी करनी चाहिए। उन्होंने हाल के ओवरबिलिंग स्कैंडल का जिक्र करते हुए बताया कि रीवा में जांच चल रही है, लेकिन व्यक्तिगत भ्रष्टाचार पर भी ध्यान देना जरूरी है।
ग्रामीणों और परिजनों ने दोषी चालक पर एफआईआर दर्ज करने और स्वास्थ्य विभाग से उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। जिला प्रशासन ने प्रारंभिक जांच शुरू करने का आश्वासन दिया है, और पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की बात कही गई है। यदि जांच सही दिशा में चली तो भविष्य में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग सकता है।
संवाददाता अंकित मिश्रा रीवा ज़िले में पिछले 4 वर्षों से स्वास्थ्य, शिक्षा और स्थानीय प्रशासन से जुड़े जनहित के मुद्दों पर पत्रकारिता कर रहे हैं।

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