इटावा, उत्तर प्रदेश। इटावा रेलवे स्टेशन पर एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है, जिसने रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां कालका-नेता जी एक्सप्रेस ट्रेन (नंबर 12312) के इंजन से एक फर्जी लोको पायलट को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी की पहचान फिरोजाबाद जिले के कौशल्या नगर निवासी आकाश कुमार के रूप में हुई है, जो महज 10वीं पास है। पुलिस के मुताबिक, आकाश पिछले दो साल से नकली वर्दी और फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर ट्रेनों में मुफ्त सफर कर रहा था और रिश्तेदारों पर रौब जमाता था।
Quick Highlights
- 10वीं पास युवक आकाश कुमार इटावा रेलवे स्टेशन पर फर्जी लोको पायलट बनकर गिरफ्तार।
- आरोपी पिछले दो साल से नकली वर्दी और फर्जी आई-कार्ड का इस्तेमाल कर ट्रेनों में मुफ्त यात्रा कर रहा था।
- असली लोको पायलट राजेंद्र कुमार को शक होने पर यह पोल खुली।
- आरोपी ने पूछताछ में दसवीं फेल होने के बाद भी लोको पायलट बनने का अधूरा सपना पूरा करने की बात कबूल की।
- जीआरपी और आरपीएफ ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा; रेलवे सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हुए।
इटावा रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर उस वक्त अफरातफरी मच गई, जब कालका-नेता जी एक्सप्रेस के इंजन को अचानक रोका गया। असल में, यह पूरा मामला असली लोको पायलट राजेंद्र कुमार की सतर्कता के कारण सामने आया।
ट्रेन जब दिल्ली की ओर जा रही थी, तो राजेंद्र कुमार को इंजन में एक संदिग्ध व्यक्ति दिखा। वह व्यक्ति पूरी लोको पायलट यूनिफॉर्म पहने हुए था, गले में फर्जी आई-कार्ड और हाथ में लाल-हरी झंडियां लटकाए हुए था। राजेंद्र कुमार ने उनसे जब रेलवे की कुछ तकनीकी बातें पूछीं, जिनका जवाब आकाश नहीं दे पाया। इसके बाद शक गहरा गया। राजेंद्र ने तुरंत टूंडला हेडक्वार्टर को सूचना दी, जिसके बाद ट्रेन को इटावा स्टेशन पर रोककर जीआरपी (गवर्नमेंट रेलवे पुलिस) और आरपीएफ (रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स) ने आकाश को गिरफ्तार कर लिया।
फर्जीवाड़े का ‘दस्तावेजी खेल’
पूछताछ में आकाश कुमार ने कबूल किया कि वह दसवीं कक्षा में फेल होने के बाद पढ़ाई छोड़ चुका था, लेकिन लोको पायलट बनने का सपना अधूरा रह गया था। उसने बताया कि उसके एक दोस्त या रिश्तेदार लोको पायलट हैं, जिन्हें देखकर उसने यह पूरा फर्जीवाड़ा शुरू किया।
आकाश ने नकली यूनिफॉर्म, फर्जी आई-कार्ड, नेम प्लेट, और यहाँ तक कि लॉग बुक व झंडियां भी बनवाईं। पुलिस को यह जानकर हैरानी हुई कि वह यात्रा के हिसाब से अपने दस्तावेज बदलता था—उत्तर प्रदेश में सफर करते समय दानापुर मंडल के, जबकि बिहार या अन्य जगहों पर प्रयागराज मंडल के कागजात दिखाता था। उसके मोबाइल से जून 2023 की पुरानी फोटो भी मिली हैं, जो पुष्टि करती हैं कि वह दो साल से यह फर्जी सफर कर रहा था। जीआरपी सीओ उदय प्रताप सिंह ने बताया कि आकाश असल में संविदा पर सफाई कर्मी का काम करता था और किराया बचाने व रौब झाड़ने के लिए यह रास्ता अपनाता था।

👉 ताज़ा अपडेट और स्थानीय खबरों के लिए जुड़े रहें MP Jankranti News के साथ।
