देशभर में पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल (E20 Fuel) मिलाने की नीति लागू होने के बाद वाहन मालिकों में भ्रम और असंतोष बढ़ गया है। सरकार ने इसे “स्वच्छ ऊर्जा और आत्मनिर्भर भारत” की दिशा में बताया था, लेकिन अब वाहन चालकों का कहना है कि इससे माइलेज घटा, मेंटेनेंस खर्च बढ़ा और इंजन की उम्र कम हुई है। भारत में स्वच्छ ऊर्जा और कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किए गए E20 ईंधन (20% एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल) को लेकर देश भर के वाहन मालिकों की चिंताएँ बढ़ गई हैं। हाल ही में किए गए एक राष्ट्रव्यापी सर्वे के अनुसार, इस नए ईंधन के उपयोग के कारण गाड़ियों का माइलेज कम हुआ है, और पुराने वाहनों के रखरखाव का खर्च भी दोगुना हो गया है, जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव पड़ा है। यह बदलाव उन लाखों लोगों के लिए चुनौती बन गया है जो 2022 या उससे पहले के वाहनों का उपयोग कर रहे हैं।
मुख्य बातें (Quick Highlights)
- माइलेज में भारी गिरावट: 2022 या उससे पहले के वाहन मालिकों में से 10 में से 8 (80%) ने E20 फ्यूल के कारण माइलेज में कमी की बात स्वीकारी है।
- रखरखाव खर्च दोगुना: ईंधन से संबंधित टूट-फूट या मरम्मत की ज़रूरतें दो महीने में 28% से बढ़कर 52% हो गई हैं।
- 52% उपभोक्ताओं को इंजन या फ्यूल सिस्टम में अतिरिक्त मरम्मत की जरूरत पड़ी।
- प्रमुख खराबी: मैकेनिकों ने फ्यूल इंजेक्टर की खराबी, दोपहिया वाहनों में मिसफायरिंग और टैंकों में समय से पहले जंग लगने जैसी समस्याओं की सूचना दी है।
- बीमा विवादों का खतरा: विशेषज्ञों के अनुसार, E20 के कारण होने वाली क्षति को बीमा पॉलिसी के तहत ‘रासायनिक-प्रेरित जंग’ माना जा सकता है, जिससे बीमा क्लेम में विवाद पैदा हो सकता है।
- जनता सवाल कर रही है — “पेट्रोल के दाम घटने का वादा कहाँ गया?”
केंद्र सरकार ने देश में जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के तहत अप्रैल 2023 से E20 ईंधन की शुरुआत की थी। सरकार इसे क्लीनर एनर्जी के रूप में प्रचारित कर रही है। हालांकि, LocalCircles द्वारा भारत के 323 जिलों से एकत्र किए गए 36,000 से अधिक प्रतिक्रियाओं पर आधारित एक सर्वे में सामने आया है कि इस त्वरित बदलाव ने मध्यवर्गीय वाहन मालिकों की मुश्किल बढ़ा दी है। बिज़नेस स्टैंडर्ड और LocalCircles की रिपोर्ट के अनुसार,
भारत के 323 जिलों के 36,000 वाहन मालिकों पर किए गए सर्वे में 80% लोगों ने माना कि E20 फ्यूल से गाड़ियों का माइलेज घटा है। 2022 या उससे पहले खरीदी गई कारों के चालकों में यह समस्या ज़्यादा देखी गई। अगस्त में जहां 67% उपभोक्ताओं ने माइलेज घटने की बात कही थी, वहीं अक्टूबर में यह आंकड़ा बढ़कर 80% तक पहुंच गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 2025 में 67% वाहन मालिकों ने माइलेज में कमी की शिकायत की थी, जो अक्टूबर तक बढ़कर 80% हो गई है। सर्वे में शामिल 16% लोगों ने तो 20% से अधिक माइलेज ड्रॉप की सूचना दी, जबकि 45% ने 15-20% की गिरावट महसूस की। यह स्पष्ट करता है कि E20 फ्यूल कई वाहन मालिकों के लिए आर्थिक रूप से महंगा साबित हो रहा है।
मरम्मत और टूट-फूट की वृद्धि: बात केवल माइलेज तक सीमित नहीं है। E20 ईंधन का असर वाहनों के प्रमुख पुर्जों जैसे इंजन, ईंधन लाइन, कार्बोरेटर और टैंक पर पड़ रहा है। सर्वे में 52% लोगों ने असामान्य रूप से अधिक टूट-फूट या मरम्मत की जरूरतों का सामना किया है, जो अगस्त में केवल 28% था।
दिल्ली स्थित एक हुंडई अधिकृत वर्कशॉप के सर्विस इंजीनियर ने बताया, “हम उन कारों में ईंधन फिल्टर बदल रहे हैं, इंजेक्टर साफ कर रहे हैं और जंग से होने वाले नुकसान को ठीक कर रहे हैं जो पहले बिल्कुल ठीक थीं।” उन्होंने आगे कहा कि इथेनॉल पानी सोख लेता है और जब यह मिश्रण अलग होता है, तो फ्यूल सिस्टम को जाम कर देता है।
बीमा विवादों का खतरा: इस स्थिति में सबसे बड़ी चुनौती बीमा विवाद को लेकर सामने आई है। मनीकंट्रोल द्वारा पहले की गई रिपोर्ट के अनुसार, एक प्रमुख निजी बीमा कंपनी के एक वरिष्ठ अंडरराइटर ने कहा है कि यदि क्षति सीधे E20 के कारण होती है, तो बीमा इसे आकस्मिक नुकसान के बजाय रासायनिक-प्रेरित टूट-फूट मान सकता है, जिसे व्यापक पॉलिसी कवर नहीं करती है। उन्होंने कहा, “हमें इथेनॉल से संबंधित अपवाद को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने के लिए पॉलिसी की शर्तों में संशोधन की आवश्यकता हो सकती है। अन्यथा, हमें बढ़ते दावों के विवादों का सामना करना पड़ सकता है।”
उपभोक्ता मांग: E20 लागू करते समय सरकार ने कहा था कि एथेनॉल मिलाने से पेट्रोल की कीमतें घटेंगी। क्योंकि एथेनॉल देश में बनता है और आयात पर निर्भरता घटेगी। लेकिन हकीकत यह है कि पेट्रोल के दाम आज भी पहले जैसे ही हैं। सरकार जहां CO₂ उत्सर्जन में कमी और किसानों के समर्थन के लिए इस कदम की प्रशंसा कर रही है, वहीं उपभोक्ता वर्ग ने एक बड़ी शर्त रखी है। सर्वे में लोगों ने कहा कि यदि सरकार E20 ईंधन को 20% कम कीमत पर वैकल्पिक रूप से उपलब्ध कराए, तो वे इसका समर्थन कर सकते हैं।
पुरानी गाड़ियों में माइलेज घटने और इंजन पर असर से वाहन मालिकों का कहना है कि “सरकार ने विदेशी तेल पर खर्च घटाया, लेकिन जनता की जेब पर बोझ बढ़ा दिया।”
ऑटो एक्सपर्ट्स मानते हैं कि E20 जैसे बदलाव को “एक साथ” लागू करना तकनीकी दृष्टि से जल्दबाजी है।
उनका कहना है कि —
“हर पेट्रोल पंप पर E10 और E20 दोनों विकल्प होने चाहिए थे,
ताकि उपभोक्ता धीरे-धीरे शिफ्ट कर सकें।”
कई विशेषज्ञों ने सरकार को सलाह दी है कि वाहन बीमा, पॉलिसी शर्तें और फ्यूल गुणवत्ता पर एक राष्ट्रीय मानक तय किया जाए,
ताकि भविष्य में विवाद और भ्रम न बढ़े।
सरकार द्वारा E27 जैसे उच्च इथेनॉल मिश्रण वाले ईंधन लाने की भी चर्चा है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को इथेनॉल मिश्रण की गति और वाहन बदलने की उपभोक्ता गति में संतुलन बनाना चाहिए, ताकि पुराने वाहनों के मालिकों को बड़ी वित्तीय लागत न चुकानी पड़े।
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