नई दिल्ली/बीजिंग। सोशल मीडिया की दुनिया में चीन ने एक सख्त और अभूतपूर्व कदम उठाया है, जिसने वैश्विक स्तर पर एक नई बहस छेड़ दी है। चीन में अब 25 अक्टूबर 2025 से एक नया कानून लागू हो गया है, जिसके तहत कोई भी व्यक्ति अगर वित्त (Finance), स्वास्थ्य (Health), शिक्षा, या कानून जैसे गंभीर विषयों पर ऑनलाइन बात करना या कंटेंट पोस्ट करना चाहता है, तो उसे पहले अपनी औपचारिक योग्यता या डिग्री का प्रमाण देना अनिवार्य होगा।
इस नए नियम का मुख्य उद्देश्य इंटरनेट पर तेज़ी से फैल रही गलत या भ्रामक जानकारी (Misinformation) को रोकना और जनता को बिना योग्य लोगों की सलाह से होने वाले नुकसान से बचाना बताया जा रहा है।
Quick Highlights
- नया कानून: चीन में 25 अक्टूबर 2025 से लागू।
 - प्रतिबंध: योग्यता प्रमाण पत्र के बिना इन्फ्लुएंसर वित्त, स्वास्थ्य, शिक्षा और कानून जैसे गंभीर विषयों पर बात नहीं कर सकेंगे।
 - मकसद: इंटरनेट पर फैल रही गलत और भ्रामक जानकारी तथा धोखाधड़ी की घटनाओं पर रोक लगाना।
 - प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी: Douyin (TikTok का चीनी संस्करण), Weibo और Bilibili जैसे प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को कंटेंट की जांच करनी होगी।
 - AI पर सख्ती: AI-Generated सामग्री, शोध रिपोर्ट या वैज्ञानिक डेटा का उपयोग करने पर स्रोत स्पष्ट रूप से बताना होगा।
 
योग्यता के बिना सलाह देने पर रोक
इन्फ्लुएंसर्स पर सख्त निगरानी
चीन के इस नए कानून के मुताबिक, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों को किसी भी गंभीर विषय पर कंटेंट पोस्ट करने से पहले अपने प्रमाण पत्र या डिग्री दिखानी होगी। उदाहरण के लिए, यदि कोई क्रिएटर स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी साझा करना चाहता है, तो उसके पास मेडिकल योग्यता या लाइसेंस होना अनिवार्य है। इसी तरह, फाइनेंस या लॉ पर बोलने वाले लोगों को भी अपनी विशेषज्ञता का प्रमाण देना होगा। इस नियम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि केवल प्रशिक्षित और योग्य व्यक्ति ही इन संवेदनशील विषयों पर राय या जानकारी साझा करें।
अधिकारियों का मानना है कि यह कदम उन लोगों के गैर-योग्य सलाह से होने वाले बड़े आर्थिक या स्वास्थ्य संबंधी नुकसान को रोकेगा।
प्लेटफॉर्म्स पर जवाबदेही
यह कानून सिर्फ व्यक्तिगत कंटेंट क्रिएटर्स तक ही सीमित नहीं है, बल्कि चीन के प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स—जिनमें Douyin, Weibo और Bilibili शामिल हैं—पर भी इसकी सख्त जिम्मेदारी होगी। इन प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके नेटवर्क पर पोस्ट किया गया कंटेंट विश्वसनीय स्रोतों से लिया गया है और इन्फ्लुएंसर सही डिग्रीधारी हैं। यह प्रावधान प्लेटफॉर्म्स को कंटेंट की सक्रिय रूप से निगरानी करने के लिए बाध्य करता है।
AI कंटेंट और विज्ञापनों पर भी लगाम
कानून में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई इन्फ्लुएंसर अपने कंटेंट में AI-Generated सामग्री (जैसे AI-Generated तस्वीरें या वीडियो) या वैज्ञानिक डेटा का उपयोग करता है, तो उसे जानकारी का स्रोत साफ तौर पर बताना होगा।
इसके साथ ही, CAC (Cyberspace Administration of China) ने हेल्थ प्रोडक्ट्स, मेडिकल उपकरण, और न्यूट्रिशन सप्लीमेंट्स से जुड़े विज्ञापनों पर भी कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। सरकार का मानना है कि यह कदम झूठे प्रमोशन और फर्जी दावों पर लगाम लगाने में सहायक होगा।
पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने का मकसद
चीन सरकार का कहना है कि इस नियम का मुख्य मकसद इंटरनेट पर पारदर्शिता और जिम्मेदारी बढ़ाना है। अक्सर यह देखा गया है कि विशेषज्ञता के अभाव में कुछ इन्फ्लुएंसर लोगों को गुमराह करते हैं, जिससे गलतफहमियाँ और धोखाधड़ी की घटनाएँ बढ़ती हैं। नया कानून इन घटनाओं को नियंत्रित कर एक अधिक सुरक्षित ऑनलाइन वातावरण प्रदान करेगा।
चीन का यह नियम डिजिटल जवाबदेही की दिशा में एक बड़ा और कड़ा कदम है। इससे भारत सहित अन्य देशों में भी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की योग्यता और कंटेंट की विश्वसनीयता पर बहस तेज हो सकती है।
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