बैंकिंग सिस्टम की सबसे बड़ी मानवीय गलती ₹1 लाख करोड़ खाते में ट्रांसफर! बैंक के उड़े होश — RBI ने शुरू की जांच

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नई दिल्ली। (बिज़नेस डेस्क / 12 नवंबर 2025) भारतीय बैंकिंग सिस्टम को हिलाने वाली एक ऐसी घटना सामने आई है जो किसी थ्रिलर फिल्म की स्क्रिप्ट जैसी लगती है। कर्नाटक बैंक में अगस्त 2023 में हुई एक साधारण-सी ‘फैट फिंगर एरर’ – यानी टाइपिंग मिस्टेक – ने न केवल बैंक के टॉप मैनेजमेंट के होश उड़ा दिए, बल्कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को भी अलर्ट मोड में ला खड़ा किया है। ₹1,00,000 करोड़ की यह गलत एंट्री एक निष्क्रिय (डोरमैंट) सेविंग्स अकाउंट में हो गई थी, जो बैंक के कुल एडवांसेज (FY25 में ₹76,541 करोड़) से भी कई गुना ज्यादा थी।

मनीकंट्रोल की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना 9 अगस्त 2023 को शाम 5:17 बजे हुई। एक कर्मचारी ने गलती से इतनी बड़ी राशि की एंट्री कर दी, लेकिन चूंकि यह सिर्फ सिस्टम एंट्री थी, इसलिए कोई वास्तविक ट्रांसफर नहीं हुआ। उसी शाम 8:09 बजे इसे रिवर्स कर दिया गया, और कोई वित्तीय नुकसान नहीं हुआ। लेकिन असली समस्या तब शुरू हुई जब इस लापरवाही को छह महीने तक छिपाए रखा गया।

तीन घंटे में रिवर्स, पर छह महीने तक छिपा मामला

9 अगस्त 2023 को शाम 5:17 बजे, कर्नाटक बैंक के एक कर्मचारी ने गलती से सिस्टम में ₹1 लाख करोड़ की एंट्री कर दी।
हालांकि यह केवल सिस्टम एंट्री (System Entry) थी, वास्तविक ट्रांजैक्शन नहीं हुआ था।
फिर भी, यह रकम बैंक के कुल एडवांसेज से कई गुना अधिक थी।

बैंक के कुल एडवांसेज FY25 में लगभग ₹76,541 करोड़ हैं —
जबकि गलती से की गई एंट्री ₹1,00,000 करोड़ की थी।

यह एंट्री लगभग 8:09 बजे रिवर्स कर दी गई, यानी तीन घंटे में गलती सुधार ली गई।
पर असली समस्या यहीं से शुरू हुई — बैंक ने इस घटना की जानकारी छह महीने तक टॉप मैनेजमेंट या बोर्ड को नहीं दी।

6 महीने तक खामोशी, RBI ने बताया ‘गंभीर लापरवाही’

दस्तावेज़ों के अनुसार,

  • घटना 9 अगस्त 2023 को हुई,
  • लेकिन 4 मार्च 2024 को पहली बार रिस्क कमेटी को जानकारी दी गई।
  • 11 मार्च 2024 को रिस्क कमेटी ने रिपोर्ट मांगी,
  • 15 मार्च 2024 को IT विभाग ने नोट जमा किया,
  • और 28 मार्च 2024 को बोर्ड के सामने यह मुद्दा रखा गया।

हैरानी की बात यह है कि 23 अक्टूबर 2024 को भी बोर्ड मीटिंग में यह मुद्दा फिर से उठा —
जिससे साफ है कि मामला तब तक भी पूरी तरह बंद नहीं हुआ था।

RBI को सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि

“इतने बड़े सिस्टम फेलियर को छह महीनों तक क्यों दबाया गया?”
“और बैंक के इंटरनल कंट्रोल्स इतने कमजोर कैसे हो सकते हैं?”

RBI की कार्रवाई शुरू, 5 अधिकारी बाहर

सूत्रों के मुताबिक, RBI ने इसे ‘Serious Systemic Failure’ माना है और पूछताछ शुरू कर दी है।
बैंक ने भी अपने स्तर पर CISA ऑडिटर से IT सिस्टम का स्वतंत्र ऑडिट कराया है।

जानकारी के अनुसार,
4–5 वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदारी तय करते हुए पद छोड़ने के लिए कहा गया है।
हालांकि बैंक का कहना है कि

“यह एक तकनीकी त्रुटि थी, जिसका वित्तीय असर शून्य रहा। मामला पहले ही सुलझा लिया गया और रेगुलेटर को सूचित कर दिया गया है।”

RBI ने इस पर फिलहाल कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है,
लेकिन इसे अब अपनी वार्षिक निगरानी और सुपरविजन रिपोर्ट में प्रमुख विषय के रूप में शामिल कर रहा है।

अगर खाता निष्क्रिय न होता तो क्या होता?

विशेषज्ञों के अनुसार, यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है—

  • अगर खाता Dormant न होता और सक्रिय ग्राहक तुरंत प्रतिक्रिया देता तो क्या होता?
  • क्या इतनी बड़ी एंट्री को कोई हैक या फ़्रॉड के तौर पर भुना सकता था?
  • बैंक के रिस्क कंट्रोल्स और रिपोर्टिंग सिस्टम इतने कमजोर क्यों हैं कि छह महीने तक किसी को खबर न हुई?

RBI के एक पूर्व अधिकारी ने कहा—

“यह सिर्फ टाइपो नहीं, बल्कि सिस्टम गवर्नेंस की गंभीर कमी है।
इतनी बड़ी एंट्री और महीनों की चुप्पी बैंकिंग स्थिरता के लिए खतरे की घंटी है।”

बैंकिंग सेक्टर के लिए चेतावनी

इस घटना ने पूरे बैंकिंग सेक्टर को “Operational Risk Management” पर पुनर्विचार करने को मजबूर कर दिया है।
हालांकि पैसा वास्तविक रूप से ट्रांसफर नहीं हुआ,
फिर भी यह घटना दिखाती है कि सिस्टम सुरक्षा, सुपरविजन और रिपोर्टिंग प्रोटोकॉल कितने नाजुक हो सकते हैं।

RBI अब इस केस को एक ‘Case Study of Operational Oversight’ के रूप में देख रहा है,
जिसका उपयोग भविष्य में बैंकिंग रेगुलेशन और सॉफ़्टवेयर कंट्रोल्स को मजबूत करने के लिए किया जाएगा।

बड़ा खतरा: अगर अकाउंट एक्टिव होता तो?

सोचिए, अगर वह डोरमैंट अकाउंट एक्टिव होता और होल्डर पैसे निकालने की कोशिश करता? या फ्रॉडस्टर्स इसका फायदा उठा लेते? RBI इसे सिस्टमिक रिस्क मान रहा है। FY25 में बैंकिंग फ्रॉड्स की संख्या 34% घटी, लेकिन अमाउंट तीन गुना बढ़कर ₹36,014 करोड़ हो गया। RBI ने पूरे सेक्टर पर सख्ती बढ़ाई है, जिसमें साइबर सिक्योरिटी और KYC पर फोकस है।

कर्नाटक बैंक ने मार्च 2024 में QIP से ₹600 करोड़ जुटाए, लेकिन यह इश्यू ट्रस्ट और वैल्यूएशन को प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि मजबूत कंट्रोल्स और ट्रांसपेरेंसी ही भविष्य की कुंजी है।

एमपी जनक्रांति न्यूज इस घटना को बैंकिंग सेक्टर के लिए एक सबक मानता है। क्या RBI पेनल्टी लगाएगा? या और एक्शन? अपडेट्स के लिए बने रहें।

संपर्क: संपादकीय डेस्क, एमपी जनक्रांति न्यूज | ईमेल: editor@mpjankranti.com

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