दैवीय सीख और भाईचारे का बंधन: ‘गणेश कार्तिकेय’ में भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की अद्भुत विकास यात्रा

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आयुष गुप्ता, संवाददाता | मुंबई, नवंबर 2025

सोनी सब का लोकप्रिय पौराणिक शो ‘गाथा शिव परिवार की – गणेश कार्तिकेय’ अपनी दिव्य कहानियों और भावनात्मक प्रस्तुति से लगातार दर्शकों को प्रभावित कर रहा है। यह शो भगवान शिव (मोहित मलिक), देवी पार्वती (श्रेनु पारिख) और उनके पुत्र—भगवान गणेश (एकांश कठरोतिया) व भगवान कार्तिकेय (सुभान खान)—की अनसुनी कथाओं को एक नए दृष्टिकोण से पेश करता है।

शो की खासियत केवल पौराणिकता नहीं, बल्कि शिव परिवार के रिश्तों, सीखों, संघर्षों और आध्यात्मिक विकास को भावनात्मक रूप से जोड़कर दिखाने में है। आने वाले एपिसोड्स इसी भावनात्मक यात्रा को और गहराई से छूते हैं।


कैलाश वापसी और त्रिदेव ब्रह्मों से मुलाकात

आने वाले ट्रैक में भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय, कैलाश लौटते हैं जहाँ उनकी मुलाकात तीन ब्रह्म—
हाहा (गुरु गोविंदा), हूहू (सोहित सोनी) और तुम्बुरु (कुनाल सेठ)—से होती है।

ये तीनों भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान ब्रह्मा और भगवान गणेश की कुल पाँच मूर्तियाँ रखते हैं, लेकिन भगवान कार्तिकेय को इनमें शामिल नहीं करते। उनके अनुसार कार्तिकेय सिर्फ एक सेनापति हैं, देवता नहीं।

यह देखकर भगवान गणेश विनम्रता से उन्हें समझाते हैं, लेकिन असली सीख तब मिलती है जब—
भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा स्वयं ब्रह्मों को कार्तिकेय के असली दैवीय महत्व के बारे में बताते हैं।

अपनी भूल का एहसास होने पर तीनों ब्रह्म क्षमा माँगते हैं और कार्तिकेय के दिव्य स्वरूप को स्वीकार करते हैं।

यह कथा दर्शाती है कि—
सम्मान हमेशा पद से नहीं, गुणों और कर्मों से मिलता है।


ऋषि पराशर के आश्रम में मूषक राज की चुनौती

इसी बीच एक अलग कथा में मूषक राज, ऋषि पराशर (मनोज कोल्हटकर) के आश्रम में उपद्रव मचा देते हैं। स्थिति संभालने के लिए भगवान गणेश वहाँ पहुँचते हैं।

मूषक, गणेश को केवल “ज्ञान के देवता” मानते हुए उनकी बुद्धि की परीक्षा लेने का निर्णय लेते हैं।

पर भगवान गणेश हर प्रश्न, हर उलझन को शांत मन और सरल तर्क से हल करते हैं।
गणेश के संयम, दया और ज्ञान को देखकर मूषक विनम्र हो जाते हैं।

अंत में वह भगवान गणेश से आग्रह करते हैं—
“मुझे आपका वाहन बनने का सौभाग्य दीजिए।”

यह पल दर्शाता है कि—
अहंकार का पतन तब होता है, जब सामने सच्ची बुद्धि और करुणा हो।


दोनों भाइयों की आध्यात्मिक यात्रा — एक संदेश

इन समानांतर कथाओं से शो दिखाता है कि कैसे भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय—
अपने अनुभवों से सीखते हुए, चुनौतियों से गुजरते हुए, दैवीयता की पूर्णता की ओर बढ़ते हैं।
भाईचारा, सम्मान, संयम और करुणा—इन सभी संदेशों को खूबसूरती से पिरोया गया है।


“मूषक ट्रैक बेहद प्यारा और सीख देने वाला है”— एकांश कठरोतिया (भगवान गणेश)

गणेश की भूमिका निभा रहे एकांश कठरोतिया ने कहा—

“यह हिस्सा भगवान गणेश की यात्रा का बहुत प्यारा ट्रैक है।
मूषक राज के साथ के दृश्य मजेदार भी हैं और बेहद सीख देने वाले भी।
गणेश हमेशा शांत रहते हैं, बुद्धि से समाधान निकालते हैं और दया दिखाते हैं।
इस ट्रैक में दिखाया गया है कि कैसे वे अपने असली उद्देश्य को समझना शुरू करते हैं,
और क्यों करुणा और ज्ञान किसी देवता को महान बनाते हैं।”


यह आगामी कहानी न केवल पौराणिकता दिखाती है, बल्कि दर्शकों को यह भी समझाती है कि ज्ञान, विनम्रता और भाईचारे से जीवन के हर संघर्ष को जीता जा सकता है।

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