आयुष गुप्ता मुंबई, नवंबर 2025: सर्दी का मौसम एक ऐसी ऋतु है जो अपने साथ ठंडी हवा, सुकून और अपनापन लेकर आती है। यह वह समय होता है जब परिवार गर्मागर्म खाने के आसपास एकत्र होते हैं, जब हवा में मौसमी व्यंजनों की खुशबू घुली होती है, और जब हर पल में यादें बुनी जाती हैं। उबलती चाय की प्याली से लेकर घर के बने पकवानों तक — सर्दियां लोगों को करीब लाने और दिलों को गर्मजोशी से भरने का अनोखा तरीका रखती हैं। इस साल, सोनी सब के प्रिय कलाकार अपनी सर्दियों की खास यादें, पसंदीदा मौसमी व्यंजन और इस मौसम की उनके लिए क्या अहमियत है, यह सब साझा कर रहे हैं — सर्दियों के सुकून और यादों को जीते हुए।
इत्ती सी खुशी में हेतल दिवेकर का किरदार निभा रहीं नेहा एसके मेहता ने कहा, “वडोदरा और अहमदाबाद के बीच पली-बढ़ी होने के कारण, सर्दियां हमेशा हमारे गुजराती घर में खास होती थीं। जैसे ही तापमान गिरता, मेरी मां पारंपरिक सर्दियों के व्यंजन — जैसे उंधियू — बनाना शुरू कर देतीं। मुझे याद है, मैं ठंडी सुबहों में दादी के साथ बैठकर तिल के लड्डू बनाती थी। रसोई की गर्माहट और उनकी कहानियों ने उन पलों को जादुई बना दिया था। आज भी, चाहे शूटिंग कितनी भी व्यस्त क्यों न हो, मैं सर्द सुबह की शुरुआत हल्दी और गुड़ वाले गर्म दूध से ही करती हूं। मेरे लिए सर्दियां मतलब — सादगी में सुकून, अपनेपन में गर्मी और यादों का निर्माण।”
पुष्पा इम्पॉसिबल में चिराग की भूमिका निभा रहे नितिन बाबू ने कहा, “सर्दियाँ मेरे दिल में एक खास जगह रखती हैं क्योंकि यह मुझे मेरे वतन, जम्मू-कश्मीर के भदरवाह की याद दिलाती हैं। पहाड़ों में पले-बढ़े होने के नाते, मुझे याद है कि कैसे सर्दियाँ हर चीज़ को एक बेदाग़ सफ़ेद परिदृश्य में बदल देती थीं। मेरी माँ पारंपरिक कश्मीरी व्यंजन ‘वज़वान’ बनाती थीं, और पूरा घर सुगंधित मसालों और धीमी आँच पर पके हुए मांस की खुशबू से भर जाता था। मुझे अपने परिवार के साथ बुखारी के पास बैठकर कहवा चाय का आनंद लेने की ज़बरदस्त यादें हैं। आज भी, जब भी सर्दियाँ आती हैं, मुझे उन दिनों से गहरा जुड़ाव महसूस होता है। मैं प्रकृति प्रेमी हूँ, और मेरे लिए सर्दियों के दौरान पहाड़ मेरी आत्मा के लिए सबसे अच्छे चिकित्सक हैं। सर्दियाँ धीमे होने, जीवन की सादगी से जुड़ने और उसमें शांति पाने का समय हैं।”





