नई दिल्ली। यह वह दौर है जब भारत की बेटियाँ अपने सपनों को किसी और की नहीं, बल्कि अपनी मुट्ठी में संभाले चलती हैं। इसी नए भारत की एक बुलंद आवाज़ बनकर, वंदना ठाकुर इंडोनेशिया से स्वर्ण पदक (Gold Medal) लेकर लौटी हैं। उन्होंने 16वीं वर्ल्ड बॉडीबिल्डिंग और फिजिक स्पोर्ट्स चैंपियनशिप में वह कर दिखाया, जिसकी कल्पना मात्र भी साहस माँगती है।
MP जनक्रांति न्यूज के अनुसार, वंदना ठाकुर ने करोड़ों भारतीयों को गौरवान्वित किया और अपनी जीत से यह संदेश दिया कि जुनून और जज़्बे से इतिहास का रुख भी बदला जा सकता है।
Quick Highlights
- उपलब्धि: वंदना ठाकुर ने 16वीं वर्ल्ड बॉडीबिल्डिंग और फिजिक स्पोर्ट्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक (Gold Medal) जीता।
- स्थान: रिपब्लिक ऑफ इंडोनेशिया के बाटम शहर, रियाउ प्रांत में आयोजन।
- समय: चैंपियनशिप 11 से 17 नवंबर, 2025 तक आयोजित हुई।
- जीत का आधार: घंटों की कड़ी ट्रेनिंग, चोटों से लड़ना और अटूट मनोबल।
- संदेश: वंदना ने यह जीत उन हर महिला को समर्पित की, जिन्हें कभी बताया गया था कि वे कुछ नहीं कर सकतीं।
Full Article: ‘रार नहीं ठानूँगी, हार नहीं मानूँगी’ के जज़्बे की जीत
दिग्गजों के बीच भारत का प्रतिनिधित्व
दुनिया भर के दिग्गज बॉडीबिल्डर्स के बीच भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए, वंदना ठाकुर ने अकेले ही पूरे राष्ट्र की उम्मीदों का भार अपने कँधों पर उठाया और उसे स्वर्णिम अंजाम तक पहुँचाया। उन्होंने 11 से 17 नवंबर, 2025 तक इंडोनेशिया के बाटम शहर में आयोजित हुई इस प्रतिष्ठित चैंपियनशिप में हिस्सा लिया।
मंच पर उनकी जीत जितनी स्वर्णिम थी, मंच तक पहुँचने का उनका सफर उतना ही कठिन और चुनौतीपूर्ण रहा।
अटूट मनोबल और कठोर प्रशिक्षण
वंदना ठाकुर का सफर अटूट मनोबल, आत्मअनुशासन और देश के प्रति निःस्वार्थ प्रेम का प्रतीक है। उनकी जीत का मंत्र रहा: “रार नहीं ठानूँगी, हार नहीं मानूँगी।”
- कठोर दिनचर्या: सुबह की पहली किरण से पहले उठना, घंटों की कड़ी ट्रेनिंग करना और चोटों से लड़कर भी मुस्कुराते हुए आगे बढ़ना उनकी सफलता का आधार बना।
- जीत का सार: यह गोल्ड मेडल सिर्फ उनके मजबूत शरीर की नहीं, बल्कि उनके अटूट मनोबल, आत्मअनुशासन और देश के प्रति निःस्वार्थ प्रेम की जीत है।
वंदना ठाकुर का भावुक संदेश
जीत को लेकर भावुक वंदना ठाकुर ने अपनी भावनाएँ व्यक्त करते हुए कहा कि मंच पर उनका एकमात्र लक्ष्य तिरंगे के लिए जीतना था। उन्होंने अपनी इस जीत को हर महिला और बालिका को समर्पित किया।
“मैं हर महिला से, हर बालिका से यही कहना चाहती हूँ कि कुछ भी हासिल करने की ललक यदि मन में हो, तो उसे पूरा करने की ज़िद पर अड़ जाओ, तुम्हें जीतने से कोई भी नहीं रोक सकता, खुद तुम भी नहीं।”
उन्होंने कहा कि यह गोल्ड मेडल सिर्फ उनका नहीं, बल्कि हर उस महिला का है, जिसे कभी बताया गया था कि वह कुछ नहीं कर सकती, लेकिन फिर भी उसने कर दिखाया। वंदना चाहती हैं कि यह मेडल भारत की हर एक बेटी के सपनों में सुनहरा रंग भरे और उन्हें सबसे आगे रहने की प्रेरणा दे।





