रतलाम। रतलाम ग्रामीण कांग्रेस जिला अध्यक्ष हर्ष विजय गहलोत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना त्यागपत्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को भेजा है। इस्तीफे में गहलोत ने कहा है कि पारिवारिक जिम्मेदारियों और सैलाना विधानसभा क्षेत्र से जुड़े दायित्वों के कारण वे संगठनात्मक कार्यों पर अपेक्षित समय नहीं दे पा रहे हैं, इसलिए पद से मुक्त होना उचित समझते हैं।
बुधवार सुबह सामने आए इस इस्तीफे ने जिले की राजनीतिक गतिविधियों में हलचल पैदा कर दी है। गहलोत को जिलाध्यक्ष बने अभी करीब चार महीने ही हुए थे। इतने कम समय में उनका पद छोड़ना कांग्रेस संगठन के भीतर कई सवाल खड़े कर रहा है।
ब्लॉक अध्यक्षों की सूची के बाद आया इस्तीफा, अटकलें तेज
हालांकि गहलोत ने इस्तीफे का कारण निजी और क्षेत्रीय दायित्व बताया है, लेकिन इसे प्रदेश कांग्रेस द्वारा ब्लॉक अध्यक्षों की सूची जारी किए जाने से जोड़कर भी देखा जा रहा है। मंगलवार रात प्रदेश कांग्रेस ने ब्लॉक अध्यक्षों की नई सूची जारी की थी और इसके ठीक अगले दिन सुबह जिलाध्यक्ष का इस्तीफा सामने आ गया।
इस घटनाक्रम के बाद पार्टी के अंदरूनी मतभेद और गुटबाजी को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
इस्तीफे का असर: कांग्रेस का प्रस्तावित धरना रद्द
हर्ष विजय गहलोत के इस्तीफे का असर पार्टी के कार्यक्रमों पर भी पड़ा है। बुधवार दोपहर मनरेगा योजना का नाम बदले जाने के विरोध में जिला और शहर कांग्रेस का संयुक्त धरना प्रदर्शन प्रस्तावित था। इस धरने के निवेदक स्वयं गहलोत थे और सोशल मीडिया पर इसके प्रचार के संदेश भी जारी हो चुके थे।
लेकिन इस्तीफे के बाद यह धरना रद्द कर दिया गया, जिससे संगठनात्मक असमंजस की स्थिति साफ दिखाई दी।

पार्षद से विधायक तक का राजनीतिक सफर
हर्ष विजय गहलोत पूर्व मंत्री प्रभुदयाल गहलोत के पुत्र हैं। उन्होंने वर्ष 1994 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़कर राजनीति में कदम रखा और पार्षद का चुनाव जीतकर सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की।
वे 2018 से 2023 तक सैलाना विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं। संगठनात्मक राजनीति में उन्हें दिग्विजय सिंह गुट के करीब माना जाता रहा है, वहीं वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी की टीम के भी सक्रिय सदस्य रहे हैं।
इस्तीफे से कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति फिर चर्चा में
जिलाध्यक्ष के अचानक इस्तीफे ने कांग्रेस संगठन के भीतर चल रही गुटबाजी को एक बार फिर उजागर कर दिया है। पार्टी के कई कार्यकर्ता और पदाधिकारी इस फैसले को लेकर असमंजस में हैं। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व इस स्थिति से कैसे निपटता है और रतलाम ग्रामीण जिला संगठन के लिए अगला कदम क्या होता है।

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