Budget 2023: खतरों को टालने के लिए सरकार के पास कोई विकल्प नहीं, आर्थिक सर्वेक्षण पर बोले पूर्व वित्त मंत्री

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नई दिल्ली। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इकोनॉमिक सर्वे को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि इस सर्वेक्षण में ऑब्जेक्टिव दृष्टिकोण की कमी है और सरकार रियरव्यू मिरर से देख रही है। उन्होंने कहा कि खतरों को टालने के लिए केंद्र सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है।

लंबे समय तक देश के वित्त मंत्री रह चुके चिदंबरम ने ट्वीट किया, “ऐसा लगता है कि आर्थिक सर्वेक्षण किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा लिखा गया है जो केवल रियर व्यू मिरर को देखते हुए यात्रा को नेविगेट कर रहा है।  
नेविगेटर (CEA) को विंडशील्ड के माध्यम से आगे के रास्ते को देखना चाहिए था और चालक (वित्त मंत्री) को नुकसान के बारे में चेतावनी देनी चाहिए थी।”

चिदंबरम ने लिखा कि, “पैराग्राफ 1.30 और 1.31 में, आर्थिक सर्वेक्षण सभी चेतावनी संकेतों को सूचीबद्ध करता है लेकिन उन खतरों को टालने के लिए सरकार के पास उपलब्ध विकल्पों को सूचीबद्ध नहीं करता है।”

उन्होंने आगे लिखा, “तीन महत्वपूर्ण तथ्यों की पर्याप्त स्वीकार्यता नहीं है: -विश्व विकास और विश्व व्यापार 2023-24 में धीमा हो जाएगा; -कई उन्नत अर्थव्यवस्थाएँ मंदी की चपेट में आ जाएँगी; -वैश्विक सुरक्षा स्थिति बिगड़ जाएगी।”

चिदंबरम ने आगे लिखा, “यदि ये तीनों अमल में आते हैं, तो आर्थिक सर्वेक्षण इस बारे में चुप है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसे मैनेज किया जाएगा। मैं चाहता हूं कि मुख्य आर्थिक सलाहकार ने नॉर्थ ब्लॉक के बाहर कदम रखा होता और आर्थिक स्थिति के बारे में एक वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण लिया होता।”

बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि कोविड महामारी से भारत का आर्थिक सुधार पूरा हो गया है और आने वाले वित्तीय वर्ष 2023-24 में अर्थव्यवस्था के 6 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत के दायरे में बढ़ने की उम्मीद है।

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