Budget 2023 को विपक्ष ने बताया निल बट्टे सन्नाटा, कांग्रेस बोली- गरीबों को सिर्फ लफ्फाजी मिली

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नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने आज देश का आम बजट पेश किया। इस दौरान वित्त मंत्री ने कई बड़े लोकलुभावने वादे किए। वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए इस बजट पर अब विपक्ष की प्रतिक्रिय भी आने लगी है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने बजट की तीखी आलोचना की है।

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने कहा कि, “पिछले साल के बजट में कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, मनरेगा और अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए किए गए आवंटन की सराहना की गई थी। आज हक़ीक़त सबके सामने है। आवंटित राशि की तुलना में व्यय काफी कम है। यह हेडलाइन मैनेजमेंट के लिए पीएम मोदी की OPUD स्ट्रेटजी है – ओवर प्रॉमिस, अंडर डिलीवर।”

कांग्रेस सांसद गौरव गोगई ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इस बजट से गरीब वर्ग को सिर्फ लफ्फाजी मिली। मंहगाई, बेरोजगारी का कोई समाधान नहीं निकला। मोदी सरकार में बजट का फायदा केवल बड़े उद्योगपतियों को ही होता है। टैक्स रिबेट को लेकर गोगोई ने कहा कि महंगाई को देखते हुए 7 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मध्यम वर्ग के लिए समुद्र में बूंद की तरह है।

बजट पर कांग्रेस के लोकसभा में नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इसमें केवल शब्दों की बाजीगरी है और कुछ भी नहीं। यह बजट आम लोगों के लिए नहीं है। यह पहला बजट है, जिसमें किसानों के लिए कुछ भी नहीं है। मजदूरों के लिए कुछ भी नहीं है. कर्नाटक में चुनाव है, इस कारण उसको पैसा दिया गया है. रिश्वत दिया गया है, लेकिन लोग उसके झांसे में नहीं आएंगे। कांग्रेस ने एक ग्राफ के माध्यम से बेहद रोचक तरीके से बजट की आलोचना की है। इसका कैप्शन लिखा गया है-‘बजट खत्म हुआ’।

बजट पर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि, “ये बजट निल बट्टा सन्नाटा है। किसानों के लिए, रेलवे के लिए कुछ नहीं है। UPA की सरकार में बिहार को जितना दिया जाता था क्या इस सरकार ने दिया?2014 में केंद्र की भाजपा सरकार ने कहा कि:- 2022 में किसानों की आय दुगुनी करेंगे। 2022 में सबको आवास देंगे। 2022 तक 80 करोड़ लोगों को नौकरी-रोजगार देंगे अब 2023 भी आ गया लेकिन इनकी जुमलेबाजी की आदत नहीं गयी।”

JDU सांसद राजीव रंजन ने कहा कि इस बजट में कुछ भी नहीं है। यह ‘सपनों का सौदागर’ जैसा है। उन्होंने कहा कि जब आप सपने के बाद जागते हैं तो कुछ भी सच नहीं होता है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि महंगाई और बेरोजगारी को कैसे नियंत्रित किया जाए, इस बारे में इस बजट में कुछ भी नहीं बताया गया।

समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा कि यह चुनावी बजट है, किसानों के लिए कुछ नहीं है। किसानों की एमएसपी की बात नहीं की है। रेलवे को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया गया है। आधी से ज्यादा आबादी गांव में बसती है लेकिन उनके लिए कुछ नहीं किया है। ये बहुत ही निराशाजनक बजट है। वहीं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, “बीजेपी अपने बजट का दशक पूरा कर रही है पर जब जनता को पहले कुछ न दिया तो अब क्या देगी। भाजपाई बजट महंगाई व बेरोजगारी को और बढ़ाता है। किसान, मजदूर, युवा, महिला, नौकरीपेशा, व्यापारी वर्ग में इससे आशा नहीं निराशा बढ़ती है क्योंकि ये चंद बड़े लोगों को ही लाभ पहुंचाने के लिए बनता है।”

उधर, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह बजट वही है जो पिछले 8-9 साल से आ रहा था। टैक्स बढ़ाए गए, कल्याणकारी योजनाओं और सब्सिडी पर पैसा खर्च नहीं किया जा रहा है। कुछ सांठगांठ वाले पूंजीपतियों और बड़े कारोबारियों के लिए टैक्स वसूला जा रहा है। जनता को टैक्स से फायदा होना चाहिए, लेकिन इससे उसकी कमर टूट रही है।

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