लाइफस्टाइल मॉडिफिकेशन वर्कशॉप में डॉ प्रियंका तिवारी ने चर्चा की

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लाइफस्टाइल मॉडिफिकेशन वर्कशॉप में डॉ प्रियंका तिवारी ने चर्चा की
सही लाइफस्टाइल को हैबिट बनाए , उसे फॉलो करें क्योंकि हम बोल के टाल देते है और वो कल न जाने कब आता है।
इंदौर (जनक्रांति न्यूज़) दीपक शर्मा: लाइफस्टाइल मॉडिफिकेशन विषय पर युवाओं के लिए वर्कशॉप का आयोजन  बीमा नगर स्थित अस्थिम्या में किया गया जिसमे लाइफस्टाइल मॉडिफिकेशन एक्सपर्ट डॉ प्रियंका तिवारी ने चर्चा की ।
डॉ प्रियंका तिवारी ने बताया अपनी लाइफस्टाइल को मॉडिफाई करें और सही लाइफस्टाइल को हैबिट बनाए, ये न बोले की फॉलो करूंगा या करूंगी , उसे फॉलो करें क्योंकि हम बोल के कल पर टाल देते है और वो कल न जाने कब आता है ।
मेजर लाइफस्टाइल प्रॉब्लम की शुरुवात मुख्यतः 20 साल के युवाओं से 35 प्लस हो सकती है , यह वो ग्रुप है जो जिंदगी में सबसे ज्यादा पैशनेट होते है जैसे काम , कैरियर , लाइफस्टाइल , पर्सनल लाइफ , एजुकेशन , फैमिली आदि जिसमे हम अपने आप को ढूंढने के चक्कर में अपने आप को खोने लगते है क्योंकि शायद ये सब करने के चक्कर में हमे याद नहीं होता की शाम के चार बज गए है और हमने खाना भी नहीं खाया । ये वही एज ग्रुप है जो इमीग्रेट भी होते है एक देश से दूसरे में जिससे स्लीप साइकिल भी डिस्टर्ब होती है ।
20 का उम्र वह समय होता है जब आप युवा और ऊर्जावान होते हैं। ज्यादातर लोगों के लिए, यह वह समय है जब वे दुनिया के सामने उजागर होते हैं और वे सभी पहलुओं से रूबरू होते हैं। इन वर्षों में आप जिस तरह की आदतें बनाते हैं, वही बाद में आपके जीवन के लिए आधार होगा। जितनी जल्दी आप एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाते हैं, उतना ही यह स्वस्थ और अधिक कार्यक्षमता के बनते है।  30 और 40 का समय वह समय होता है जब आप में से अधिकांश को नौकरी और पारिवारिक जिम्मेदारी हो सकता है। अक्सर, इस समय के दौरान, लोग अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देते हैं साथ ही साथ खुद के बारे में आखिरी में सोचने लगते हैं जो की गलत है ।
लाइफस्टाइल को लेकर कुछ टिप्स युवाओं द्वारा पूछे गए सवाल अनुसार–
स्लीप डिस्टर्बेंस या डिसऑर्डर – नींद को ज्यादातर लोग आलस से जोड़ कर देखते हैं, जबकि यह हमारे शरीर के लिए दवा जैसी होती है। इसका सही डोज शरीर को फिट रखता है तो कम या ज्यदा डोज सेहत बिगाड़ सकता है। स्लीप डिसॉर्डर के 60 प्रतिशत मामले एंग्जाइटी डिसॉर्डर की वजह से होते हैं। एंग्जाइटी यानी तरह-तरह की चिंताएं। वजहें और भी हैं जैसे देर से खाना खाना , अकेलापन , घंटों भूखे रहना , इंटरनेट, टीवी का ज्यादा इस्तेमाल , चाय और कॉफी का ज्यादा सेवन , दिन भर कुछ भी ना करना ,शराब, सिगरेट की लत होना।
लगातार सर दर्द या सर भरी रहना – यह पानी कम पीने और सही आहार समय पर न लेने से भी होता है । इसे क्रोनिक टेंशन हेडेक के नाम से जाना जाता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को शाम होते ही महसूस होता है कि सिर पर बोझा रखा हुआ है या दर्द भी हो सकता है। कुछ करने का मन नहीं करता है। किसी से मिलने-जुलने का जी नहीं चाहता है। इच्छा होती है अकेले पड़े रहे। छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आता है। इसके लिए अपनी दिनचर्या में परिवर्तन करके के दर्द से बचा जा सकता है। जैसे-रात में सात घंटे की पूरी नींद लें। समय पर नाश्ता और भोजन करें। शोर-शराबा से बचें। शराब से परहेज करें। नियमित योगाभ्यास करें। मेडिटेशन करें। खुश रहे ।
ईटिंग हैबिट – जरूरत से ज्यादा न खाए और मील स्लिप कभी न करने की आदत बनाने , हर उम्र में खाने की आदतें अलग-अलग होती हैं । हर उम्र के लिए खुराक भी अलग होती है एवं स्वस्थ और फिट रहना जीवन के सभी चरणों में बेहद ज़रूरी है । बढ़ती उम्र के साथ इसका ध्यान रखना और ज़रूरी हो जाता है स्वस्थ भोजन ग्रहण करने का सबसे सरल मंत्र है एकदम ताज़ा बना खाद्य पदार्थ और सीजन में उपलब्ध फलों का सेवन करना बेहद आवश्यक है यह शरीर को स्वस्थ रखता है और बेहतर बनाता है ताज़े खाद्य से शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ती भी होती रहती है ।
मूड इरिटेबिलिटी – यह कई बार विटामिन्स की कमी , स्ट्रेस या लूप थॉट ,नींद पूरी न होना या फिर खाना स्किप करने या मिल में प्रॉपर न्यूट्रीशन न होने एवं फिजिकल फिटनेस इग्नोर से भी होता है ।
बुरी आदतें बदले– 21 दिन फॉलो करने का रूल फॉलो करें , हर रोज एक नई चीज सीखे , गॉसिप और ड्रामा अवॉइड करें , अच्छे लोगो के साथ क्वालिटी समय स्पेंड करें , पूरी नींद लें , दस मिनट मेडिटेशन करें , डेली एक्सरसाइज करें , मील अवॉइड न करें। 
डिस्ट्रेस कैसे करें – अपने दो से चार घंटे के काम में से दस मिनट खुद के लिए निकालें , म्यूजिक सुने बिना लिरिक्स का जैसे सिंफनी या पियानो आदि , फूलो की खुशबू ले , हॉबी फॉलो करें , खुद के लिए खाना बनाए , किताब पढ़े , टहले, मूवी का शौक है तो मूवी देखे ।
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