अंकित मिश्रा:–जिला शहडोल के खन्नौधी ग्राम में महेंद्र तिवारी जी के सुपुत्र संगम तिवारी का आज दिनांक 28/12/2022 को कर्णछेदन के अवसर पर संगीतमय भव्य अखंड मानस पाठ का आयोजन हुआ जिसमें कलाकारों द्वारा सुंदर भजनो एवं रामचरितमानस की संगीतमय प्रस्तुति दी गई एवं कार्यक्रम संपन्न हुआ जिसमें सभी ग्रामवासी एवं परिवार,इष्ट,मित्रों सहित सभी लोग सम्मिलित हुए,कार्यक्रम आज दिनांक 28/12/2022 को मानस का समापन एवं भोजन प्रसाद वितरण का कार्यक्रम रखा गया
आज कर्णछेदन का कार्यक्रम बड़े ही धूमधाम के साथ संपन्न हुआ संगम के दादा जी के द्वार सुंदर नृत्य भी किया गया सभी परिवार जन संगम के उज्जवल भविष्य की कामना कि एवं दीर्घायु का आशीर्वाद दिया।
क्यों करते हैं कर्ण वेध संस्कार-
हिन्दू धर्म में 16 संस्कारों में से एक कर्ण वेध संस्कार का उल्लेख मिलता है। इसे उपनयन संस्कार से पहले किया जाता है।
कान छिदवाने के कई कारण होते हैं। इस संस्कार के अनुसार दो लाभ होते हैं पहले यह कि राहु और केतु संबंधी प्रभाव समाप्त होता है और दूसरा यह कि संतान स्वस्थ रहे, उन्हें रोग और व्याधि परेशान न करें।
कब करना चाहिए यह संस्कार-
इस संस्कार के बारे में कहा जाता है कि यह बालक के जन्म से दसवें, बारहवें, सोलहवें दिन या छठे, सातवें आठवें महीने में किया जा सकता है। बालक शिशु का पहले दाहिना कान फिर बायां कान और कन्या का पहले बायां कान फिर दायां कान छेदना चाहिए।
सावधानी- ध्यान रहे कि कान विधिपूर्वक ही छिदवाएं अन्यथा आपको नुकसान भी हो सकता है, क्योंकि आजकल लोग एक ही कान में चार-चार छेद करने लगे हैं जो कि अनुचित है। कुछ लोग एक ही कान छिदवाते हैं तो कुछ लोग दोनों कान छिदवाते हैं। हालांकि नियम दोनों ही कान छिदवाने का है।