बुरहानपुर, लोधीपूरा स्थित स्वर्गीय धना बाई रावजी मांगलिक भवन में चल रही कथा में भागवत व्यास माता दीदी ने भगवद्गीता के बारे में बताया। उन्होंने राजा परीक्षित को दिए श्राप और फिर मुक्ति के लिए उनके भाई सुखदेव से मिलन की कथा सुनाई।कथा में भागवत व्यास माता दीदी ने बताया कि सात दिन बाद मृत्यु होने का श्राप मिलने से राजा परीक्षित चिंतित हो गए थे। मिलन के दौरान सुखदेव महाराज ने कहा कि सात दिन में मोक्ष सिर्फ भगवत गीता के श्रवण से ही मिल सकता है। साथ ही राजा परीक्षित से भागवत भक्ति करने को कहा। विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से वह परीक्षित सीख देते गए। राजा परीक्षित का अभिनय कर रहे। प्रो.सुजित पटेल ने कहा कि मानव के जीवन में ज्ञान का विशेष महत्व है। ज्ञान व आचरण को जीवन के विकास के दो पक्ष माना जाता है। ज्ञान के बिना जीवन में अंधेरा है और आचरण के बिना जीवन की पवित्रता नहीं है। चेतना के विकास के लिए ज्ञान के साथ अच्छा आचरण होना जरुरी है।
ज्ञान व आचरण को जीवन के विकास के दो पक्ष माना जाता है: प्रो.सुजित पटेल।।
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