आ गया फलो के राजा का सीजन, आमों की इन किस्मो की है चौतरफा प्रसिद्धि, जानिए

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फलों की दुनिया में कितनी भी वैरायटी आ जाए, आम का मौसम आते ही सब फीके पड़ जाते हैं। जी हां, तो आज हम आपको बताते हैं फलों के राजा आम की उन मशहूर किस्मों के बारे में, जिन्हें खाए बिना आम का स्वाद अधूरा माना जाता है चिलचिलाती गर्मी जहां लोगों का जीना मुश्किल कर देती है, वहीं फलों का राजा आम गर्मी में राहत देता है। इन दिनों हर घर में आमों की चर्चा हो रही है और लोग अपने पसंदीदा आमों को खूब खरीद रहे हैं। दरअसल, भारत के हर कोने में लगभग 1500 किस्मों के आम पाए जाते हैं। इनका स्वाद, खुशबू और रंग भी बिल्कुल अलग होता है। तो आइए जानते हैं उन आमों की किस्मों के बारे में, जो अपने खास स्वाद और खुशबू के लिए जानी जाती हैं।

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आम की दिलचस्प किस्में

दशहरी आम

लखनऊ से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित दुस्sehri गांव का ये मशहूर आम अपने स्वाद और लज़ीजपन के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। इसकी गरीब बहुत नरम होती है और इसका बीज पतला होता है। मालीहाबादी दशहरी आम को दुनियाभर में निर्यात किया जाता है।

Alphonso आम

हालांकि Alphonso आम महाराष्ट्र में होता है, लेकिन इसे हापुस आम भी कहा जाता है। ये देश के सबसे प्रसिद्ध आमों में नंबर वन पर आता है। ये अपनी बनावट, मिठास और आकार के लिए जाना जाता है।

चौसा आम

पूर्वांचल के आमों की बात करें तो बिहार और उत्तर भारत का चौसा आम काफी लोकप्रिय है। कहा जाता है कि शेरशाह सूरी ने 16वीं शताब्दी में इस आम को मशहूर किया था। हरदोई का चौसा आम बहुत पसंद किया जाता है। ये मीठा और गहरे पीले रंग का ये आम बिहार के एक शहर को अपना नाम देता है।

तोतापुरी आम

इस आम को तोतापुरी आम इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका आकार तोते जैसा होता है। हल्की खटास वाला ये आम दक्षिण में काफी प्रसिद्ध है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इसकी खेती की जाती है और इसका ज्यादातर इस्तेमाल अचार आदि बनाने में किया जाता है।

हिमसागर आम

पश्चिम बंगाल और ओडिशा के मशहूर हिमसागर आम को एक बार खाएंगे तो बाकी सारे आम भूल जाएंगे। ये खाने में बहुत मीठा होता है और एक आम का वजन लगभग 250 से 300 ग्राम होता है। ये बाहर से हरा लेकिन अंदर से पीला होता है। ये सिर्फ गर्मियों के शुरुआती दिनों में ही बाजार में मिलता है और मई-जून के बाद नहीं मिलता।

लंगड़ा आम

उत्तर प्रदेश के काशी और बनारस में ये आम काफी लोकप्रिय है, जो जून-जुलाई महीने तक बाजार में आता है। इसका रंग नींबू के पीले और हरे रंग का मिश्रण होता है, जो खाने में वाकई कमाल का होता है।

रसपुरी आम

कर्नाटक के मैसूर का ये आम अपने स्वाद की वजह से आमों की रानी के नाम से जाना जाता है। ये मई महीने में बाजार में बिकता है और जून के अंत तक खत्म हो जाता है। ये अंडाकार आम ज्यादातर जैम और स्मूदी बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।

इन किस्मों के अलावा भी आम की कई और वैरायटी हैं, जो अपने स्वाद के लिए दुनियाभर में जानी जाती हैं। इनकी खुशबू, बनावट और आकार काफी खास होता है और ये हर उम्र के लोगों को पसंद आते हैं।

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