आलोट (रतलाम)। रतलाम जिले के आलोट के पास नारायणी गांव में मंगलवार को एक दर्दनाक हादसा हो गया। शासकीय विद्यालय में तीसरी कक्षा के छात्र रोहित गोस्वामी (12 वर्ष) की सांप के काटने से मौत हो गई। इस घटना ने सरकारी स्कूलों के परिसरों की खराब सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शाम को गांव में ही रोहित का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
Quick Highlights
- आलोट के पास नारायणी गांव के सरकारी स्कूल में तीसरी कक्षा के छात्र रोहित गोस्वामी (12) की सांप काटने से मौत।
- रोहित ने करीब 10:30 बजे शिक्षकों को काटने के निशान के बारे में बताया, जिसके बाद उसे परिजनों को सौंपा गया।
- हादसे का मुख्य कारण विद्यालय परिसर का झाड़ियों और घास से भरा होना और शौचालय का जर्जर ढांचा बताया गया है, जो साँपों का सुरक्षित ठिकाना बन गया था।
- परिजनों ने झाड़-फूंक में समय बर्बाद किया, जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
- प्रभारी शिक्षक ने बताया कि विद्यालय की जर्जर स्थिति को लेकर विभाग को कई बार लिखित में पत्र भेजे गए थे, पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
ग्राउंड रिपोर्ट: सांप काटने के बाद अस्पताल पहुंचने में देरी
मुझे इस खबर को सुनकर बहुत दुख हुआ। एक मासूम बच्चे की मौत सिर्फ इसलिए हो गई क्योंकि जिस स्कूल में उसे सुरक्षित होना चाहिए था, वह साँपों का ठिकाना बन गया था। नारायणी शासकीय विद्यालय में मंगलवार सुबह करीब 10:30 बजे रोहित गोस्वामी ने अपने प्रभारी शिक्षक सतीश टेलर को बताया कि उसे किसी चीज़ ने काटा है, जो उड़ गया। उसके पैर पर काटने का निशान भी साफ दिख रहा था।
शिक्षक ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए तत्काल छात्र को उसके परिजनों को सौंप दिया। यहीं पर एक बड़ी चूक हो गई। बच्चे के पिता नंदू गिरी गोस्वामी ने बताया कि उन्होंने शुरू में झाड़-फूंक में समय बर्बाद किया, जिससे जहर तेजी से फैल चुका था। जब वे बाद में रोहित को सिविल अस्पताल आलोट ले गए, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टर अब्दुल कादिर ने बताया कि बालक के पैर पर काटने का निशान था और मुंह से झाग भी आ रहे थे, जिसके बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया।
स्कूल परिसर बना मौत का जाल
इस दर्दनाक हादसे का मुख्य कारण विद्यालय परिसर की भयंकर बदहाली है। नारायणी शासकीय विद्यालय का परिसर पूरी तरह से झाड़ियों और ऊंची घास से भरा हुआ है। सबसे बड़ी बात, स्कूल का शौचालय इतना जर्जर है कि उसमें न तो छत है और न ही कोई सुरक्षा। यह टूटा-फूटा ढांचा और आसपास की झाड़ियाँ ही साँपों के लिए सुरक्षित ठिकाना बन गई हैं।
बच्चे के पिता नंदू गिरी गोस्वामी का दर्द साफ झलकता है, उन्होंने कहा, “इससे ज्यादा मेरे पास कहने को कोई शब्द भी नहीं है,” यह बताता है कि विद्यालय में कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी।
विभाग की लापरवाही पर सवाल
प्रभारी शिक्षक सतीश टेलर ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया। उन्होंने बताया कि विद्यालय की जर्जर स्थिति और असुरक्षित परिसर को लेकर उन्होंने विभाग को कई बार लिखित में पत्र भेजे थे, लेकिन विभाग ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और न ही कोई कार्रवाई की। यह लापरवाही सीधे तौर पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही पर सवाल उठाती है। अगर समय रहते परिसर की साफ-सफाई हो जाती, तो आज रोहित गोस्वामी ज़िंदा होता।
रोहित गोस्वामी की यह मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम की घोर लापरवाही का परिणाम है। इस मामले में न केवल परिसर की बदहाली के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, बल्कि तत्काल प्रदेश के सभी ग्रामीण स्कूलों के परिसरों की साफ-सफाई और सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।

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