अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) ने 17 अक्टूबर 2025 को सर सैयद दिवस समारोह के दौरान शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, बीदर के चेयरमैन डॉ. अब्दुल कादीर को प्रतिष्ठित सर सैयद राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया। यह पुरस्कार उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में उनके परिवर्तनकारी योगदान और वंचित समुदायों को समावेशी शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाने के उनके कार्य के लिए प्रदान किया गया।

Shaheen Group of Institutions
शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान
समारोह के दौरान पढ़े गए प्रशस्ति पत्र में डॉ. अब्दुल कादीर को “एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद्, दूरदर्शी सुधारक और परोपकारी व्यक्ति” के रूप में वर्णित किया गया, जिनके कार्य ने बीदर में शिक्षा को रूपांतरित किया है और पूरे भारत में शिक्षार्थियों को प्रेरित किया है। विश्वविद्यालय ने उन्हें “धार्मिक और आधुनिक शिक्षा के सामंजस्य” के लिए सराहा, जिससे पारंपरिक पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए मुख्यधारा की शिक्षा हासिल करने के अवसर बढ़े हैं।
इंजीनियर से शिक्षा उद्यमी तक का सफर
डॉ. कादीर ने अपने करियर की शुरुआत एक जापानी फर्म में इंजीनियर के रूप में की थी, लेकिन सामाजिक जिम्मेदारी की गहरी भावना से प्रेरित होकर वे अपने गृहनगर बीदर लौट आए। 1989 में उन्होंने अल्लामा इकबाल एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की, जो बाद में शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के रूप में विकसित हुई। जो केवल 18 छात्रों के साथ एक कमरे में शुरू हुआ था, वह अब भारत के सबसे सम्मानित शैक्षिक नेटवर्क में से एक बन गया है।
शाहीन ग्रुप की उपलब्धियां और विस्तार
आज शाहीन ग्रुप 13 भारतीय राज्यों में फैला हुआ है और 20,000 से अधिक छात्रों को 500 से अधिक शिक्षकों की मदद से शिक्षा प्रदान कर रहा है। संस्थान स्कूल, पीयू और डिग्री कॉलेज संचालित करता है, साथ ही NEET, JEE और UPSC परीक्षाओं के लिए कोचिंग प्रदान करता है। संस्थान ने हिफ़्ज़-उल-कुरान प्लस और मदरसा प्लस कार्यक्रम भी शुरू किए हैं।
शाहीन ग्रुप के छात्रों ने विभिन्न चिकित्सा प्रवेश परीक्षाओं में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। 2024 में संस्थान ने 550 से अधिक सरकारी MBBS सीटें हासिल कीं, जो कर्नाटक की सरकारी सीटों का 15% और भारत की कुल सीटों का 1% है। कई छात्रों ने AIIMS दिल्ली सहित प्रमुख चिकित्सा कॉलेजों में प्रवेश प्राप्त किया है।
बीदर की शैक्षिक विरासत को पुनर्जीवित करने का मिशन
प्रशस्ति पत्र में कहा गया कि डॉ. कादीर के प्रयासों ने बीदर को “बहमनी काल की विरासत को प्रतिध्वनित करते हुए, शिक्षा के केंद्र के रूप में अपनी ऐतिहासिक प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करने” में सक्षम बनाया है। विश्वविद्यालय ने उल्लेख किया कि उनका दृष्टिकोण “सर सैयद अहमद खान के आदर्शों के साथ प्रतिध्वनित होता है”, जिन्होंने 19वीं शताब्दी में भारतीय मुसलमानों के लिए आधुनिक शिक्षा का समर्थन किया था।
पुरस्कार की विशेषताएं
सर सैयद राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार में 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है और यह सर सैयद अध्ययन, दक्षिण एशियाई अध्ययन, उर्दू साहित्य, मध्यकालीन इतिहास, सामाजिक सुधार, सांप्रदायिक सद्भाव, पत्रकारिता और अंतरधर्म संवाद जैसे क्षेत्रों में असाधारण योगदान को मान्यता देता है। विजेताओं का चयन प्रो. अजरमी दुख्त सफवी की अध्यक्षता में एक प्रतिष्ठित जूरी द्वारा किया गया, जिसमें प्रो. अनीसुर रहमान, प्रो. ए.आर. किदवई, प्रो. इम्तियाज हसनैन और प्रो. शफी किदवई शामिल थे।
पूर्व में भी मिल चुके हैं कई सम्मान
डॉ. अब्दुल कादीर को पहले भी उनके शैक्षिक योगदान के लिए कई सम्मान मिल चुके हैं। फरवरी 2024 में भारत स्काउट्स एंड गाइड्स ने उन्हें उत्कृष्ट स्काउट्स और गाइड्स प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रतिष्ठित ‘सिल्वर एलिफेंट’ पुरस्कार से सम्मानित किया था। उन्हें भारत के सबसे प्रभावशाली मुस्लिमों में से एक के रूप में भी मान्यता दी गई है।
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अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्रदान किए गए
इसी समारोह में अंतर्राष्ट्रीय सर सैयद उत्कृष्टता पुरस्कार प्रो. फैसल देवजी को प्रदान किया गया, जो ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के बैलिओल कॉलेज में वैश्विक और शाही इतिहास के बीट प्रोफेसर हैं। उन्हें दक्षिण एशियाई अध्ययन, इस्लाम, वैश्वीकरण और नैतिकता के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
सामाजिक उत्थान के प्रति प्रतिबद्धता
शिक्षा के अलावा, डॉ. कादीर ने समाज के उत्थान के लिए कई पहल की हैं। 2024 में शाहीन ग्रुप ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के साथ बीदर में 15वीं सदी की महमूद गवान मदरसा के संरक्षण में सहायता के लिए एक समझौता किया। उनका शैक्षिक दर्शन आधुनिक और पारंपरिक शिक्षा के एकीकरण पर केंद्रित है, जो यह सुनिश्चित करता है कि छात्रों को समग्र शिक्षा मिले।
डॉ. अब्दुल कादीर का यह सम्मान न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि वंचित समुदायों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लाने और भारत में शैक्षिक समानता को बढ़ावा देने के उनके दशकों के समर्पण की मान्यता है।

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