खरगोन, 11 अगस्त 2025 – मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री अरुण यादव ने केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यादव का कहना है कि केंद्र सरकार ने विधानसभा और लोकसभा चुनावों में “वोट चोरी” कर लोकतंत्र की नींव को हिलाया, तो प्रदेश सरकार अब “नगर पालिका अधिनियम 1961” में संशोधन कर लोकतंत्र की हत्या करने पर आमादा है।
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नगर पालिका अधिनियम में संशोधन को लेकर चिंता
अरुण यादव ने बताया कि संशोधित धारा 43(क) और 43(ए) पार्षदों को यह अधिकार देती हैं कि वे महापौर और अध्यक्ष की तानाशाही के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकें। लेकिन भाजपा सरकार बार-बार संशोधन करके इस “सुरक्षा कवच” को कमजोर कर रही है।
मुख्य आरोप और तथ्य
- पिछले साल धारा 43(क) में बदलाव: अविश्वास प्रस्ताव लाने की न्यूनतम अवधि 6 महीने से बढ़ाकर 1 साल कर दी गई।
- नया प्रस्ताव: अब इसे साढ़े चार साल करने का विचार, जिससे पूरे कार्यकाल में जनता की नाराजगी का असर खत्म हो जाएगा।
- धारा 43(ए): अविश्वास पारित होने पर महापौर-अध्यक्ष को सिर्फ 6 महीने का कार्यकाल देना – जवाबदेही खत्म हो जाती है।
- राजनीतिक रणनीति: भाजपा के अंदरूनी असंतोष और जनता के गुस्से को दबाने की यह एक सोची-समझी कोशिश है।
पार्षदों के अधिकार खतरे में
यादव ने कहा कि प्रदेश के 16 नगर निगम, 98 नगरपालिका और 264 नगर परिषदों में करीब 80% महापौर और अध्यक्ष भाजपा या उसके समर्थित हैं। इनकी कार्यशैली को लेकर कांग्रेस ही नहीं, बल्कि भाजपा के कई निर्वाचित पार्षद भी असंतुष्ट हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि नगरीय प्रशासन और आवास विभाग की योजनाओं में जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा है। भाजपा सरकार संशोधन करके अविश्वास प्रस्तावों को निष्प्रभावी बनाना चाहती है ताकि जनता या प्रतिनिधि विरोध न कर सकें।
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लोकतंत्र पर “सीधा हमला”
अरुण यादव ने कहा,
“पार्षद लोकतंत्र का सबसे अहम हिस्सा हैं, क्योंकि वे सीधे जनता से चुने जाते हैं और जमीनी स्तर पर जवाबदेही तय करते हैं। धारा 43(क) और 43(ए) पर हमला, जनता की आवाज़ पर हमला है। यह सिर्फ अधिकारों की छीना-झपटी नहीं, बल्कि लोकतंत्र की हत्या है।”
उन्होंने यह भी घोषणा की कि मध्य प्रदेश के सभी पार्षदों का वृहद सम्मेलन बुलाया जाएगा, आवश्यकता पड़ी तो हाईकोर्ट में याचिका दायर होगी और चुने हुए प्रतिनिधियों के अधिकार बचाने के लिए सड़क पर आंदोलन किया जाएगा।

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