बेगूसराय: दुकान पर बुलडोज़र चलने से नाराज़ बीजेपी समर्थक ने गुस्से में काट ली अपनी चुटिया, वायरल वीडियो ने बढ़ाए सवाल

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बेगूसराय। बिहार के बेगूसराय जिले में अतिक्रमण हटाओ अभियान के बीच एक भावनात्मक और हैरान करने वाला मामला सामने आया है। लोहिया नगर झोपड़पट्टी क्षेत्र में एक युवक ने अपनी दुकान पर बुलडोज़र चलने से आक्रोशित होकर सार्वजनिक रूप से अपनी चुटिया काट ली, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

युवक, जिसका नाम कुंदन कुमार बताया जा रहा है, ने वायरल वीडियो में खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का समर्थक बताया है। कुंदन का कहना है कि वह सनातन परंपरा का अनुयायी है, जिसके कारण वह लंबे समय से शिखा (चुटिया) और पीला गमछा धारण करता था।

लेकिन बुलडोज़र कार्रवाई के बाद, गुस्से में उसने कहा—
“जब घर-दुकान ही नहीं रहा, तो यह चुटिया और गमछा किस काम का? सरकार ने मेरा सब कुछ तबाह कर दिया।”

बुलडोज़र एक्शन से टूट गया परिवार का सहारा

पिछले पाँच दिनों से बेगूसराय में अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई चल रही है। इसी अभियान के दौरान कुंदन की चाय की दुकान भी तोड़ दी गई, जिससे उसका पूरा परिवार सड़क पर आ गया। युवक का कहना है कि प्रशासन ने बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के उनका आशियाना उजाड़ दिया।

वीडियो में कुंदन यह भी कहता दिखा—
“मेरी चुटिया मेरी पहचान थी, मेरा सम्मान थी। जब मेरा घर ही नहीं बचा, तो यह पहचान किस काम की? अब सरकार को भी हटना होगा।”

घटना के एक अन्य हिस्से में युवक अपने पीले गमछे को एक कुत्ते के गले में डालते हुए कहता है—
“अब यह गमछा कुत्ते के काम आएगा। हमें तो घर से ही बेघर कर दिया गया।”

स्थानीय लोगों में गुस्सा—“वैकल्पिक व्यवस्था के बिना कार्रवाई गलत”

लोहिया नगर क्षेत्र के कई परिवारों का कहना है कि बुलडोज़र कार्रवाई से सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं। इलाके के निवासियों का आरोप है कि प्रशासन ने न तो कोई नोटिस दिया और न ही पुनर्वास की कोई व्यवस्था।

कुंदन, जो वर्षों से ओवरब्रिज के नीचे झोपड़पट्टी इलाके में रहता था, का दावा है कि उसकी चाय की दुकान ही उसके परिवार की रोज़ीरोटी थी। दुकान टूटने से उसकी आर्थिक स्थिति पूरी तरह बिगड़ गई है।

राजनीतिक बहस भी तेज

यह वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है।
कुछ लोग युवक की पीड़ा के साथ खड़े दिखे, जबकि कुछ लोगों ने कहा कि अतिक्रमण हटाना आवश्यक है।

लेकिन सवाल यह भी उठ रहे हैं—

  • क्या बिना वैकल्पिक व्यवस्था किसी का घर तोड़ना उचित है?
  • क्या ज़मीनी स्तर पर प्रशासन ने संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया?
  • क्या प्रभावित परिवारों को पहले चेतावनी दी गई?

मामले ने स्थानीय प्रशासन और सरकार पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

जारी है कार्रवाई

बेगूसराय प्रशासन के मुताबिक, अतिक्रमण हटाओ अभियान अभी और दिनों तक जारी रह सकता है।
हालाँकि, इस घटना के वायरल होने के बाद अधिकारी पूरे मामले की समीक्षा में जुट गए हैं।

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