छतरपुर टीआई अरविंद कुजूर सुसाइड केस: ब्लैकमेल, प्रेम प्रसंग और लालच की पूरी कहानी

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छतरपुर टीआई अरविंद कुजूर सुसाइड केस: क्या थी असली वजह?

छतरपुर में टीआई (थाना प्रभारी) अरविंद कुजूर की आत्महत्या का मामला सामने आया है, जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। इस दुखद घटना के पीछे प्रेम संबंध, ब्लैकमेल और आर्थिक लालच की जटिल कहानी सामने आई है।

कौन थी आशी राजा परमार और कैसे जुड़ी राजनीति से?

आशी राजा परमार नाम की एक युवती अपने गांव से छतरपुर आकर बसी थी। उसने जल्द ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़कर राजनीति में प्रवेश किया। इसी दौरान उसकी मुलाकात टीआई अरविंद कुजूर (48 वर्ष), जो आदिवासी समुदाय से थे, से हुई।

प्रेम प्रसंग की शुरुआत

एफआईआर के सिलसिले में शुरू हुआ यह संपर्क धीरे-धीरे प्रेम संबंध में बदल गया। अरविंद कुजूर ने आशी पर इतना भरोसा किया कि उन्होंने अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा आशी पर खर्च करना शुरू कर दिया।

आशी को मिले महंगे गिफ्ट

अरविंद कुजूर ने आशी को लग्जरी गिफ्ट दिए, जिनमें शामिल थे:

  • दो चार पहिया वाहन (एक स्कॉर्पियो)
  • iPhone 16
  • एक प्लॉट (छतरपुर में)

इन महंगे गिफ्ट्स के चलते आशी का जीवनस्तर काफी ऊंचा हो गया। छतरपुर में चर्चा थी कि आशी का दखल थाने के मामलों तक में हो गया था।

ब्लैकमेल और लालच ने बढ़ाई परेशानी

पुलिस जांच के अनुसार, आशी और उसके दूसरे प्रेमी सोनू परमार ने अरविंद कुजूर को शारीरिक संबंधों के बाद ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। उन्होंने टीआई को रेप केस और अन्य मामलों में फंसाने की धमकी दी। इस डर और दबाव के कारण अरविंद कुजूर मानसिक तनाव में आ गए।

आत्महत्या की वजह

लगातार ब्लैकमेल और मानसिक तनाव के चलते अरविंद कुजूर ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।

कानूनी कार्रवाई और मौजूदा स्थिति

पुलिस ने आशी राजा परमार और सोनू परमार के खिलाफ निम्नलिखित धाराओं में मामला दर्ज किया है:

  • ब्लैकमेलिंग
  • आत्महत्या के लिए उकसाना
  • एट्रोसिटी एक्ट

दोनों आरोपी इस समय हिरासत में हैं, और मामले की जांच जारी है।


घटना से मिलने वाले सबक

यह मामला न केवल पुलिस विभाग के कामकाज पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि प्यार, पैसा और लालच का गलत संयोजन कितना खतरनाक हो सकता है। ब्लैकमेलिंग और लालच के जाल में फंसकर एक अनुभवी पुलिस अधिकारी ने अपनी जान गंवा दी। इस घटना से स्पष्ट है कि निजी और पेशेवर जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है।


प्रमुख बिंदु (Key Takeaways):

✔️ ब्लैकमेल और लालच के कारण आत्महत्या की घटना।
✔️ पुलिस विभाग में आंतरिक मामलों की पारदर्शिता पर सवाल।
✔️ राजनीतिक संबंधों का पुलिस मामलों पर असर।
✔️ ब्लैकमेलिंग और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तारियां।


निष्कर्ष

छतरपुर टीआई अरविंद कुजूर की आत्महत्या का मामला पैसे, पावर और प्रेम के घातक संयोजन का एक दुखद उदाहरण है। इस मामले की गहराई से जांच जरूरी है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

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