पुंछ में शिक्षक को ‘आतंकी’ बताने पर Zee News, News18 समेत कई चैनलों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश

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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में हाल ही में एक बड़ी मीडिया लापरवाही का मामला सामने आया है। एक स्थानीय इस्लामिक शिक्षक कारी मोहम्मद इकबाल को पाकिस्तानी आतंकवादी करार देने वाले राष्ट्रीय टीवी चैनलों Zee News, News18 और अन्य अज्ञात संपादकों व एंकरों के खिलाफ कोर्ट ने FIR दर्ज करने का आदेश दिया है।

कारी इकबाल की मौत 7 मई को भारत-पाकिस्तान के बीच ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान की तरफ से हुई भारी गोलाबारी में हुई थी। वे पुंछ स्थित जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े इस्लामिक मदरसों में से एक जामिया जिया-उल-उलूम में शिक्षक थे। मौत के समय वे छात्रों के भोजन के लिए किराने का सामान खरीदने गए थे।

मीडिया की झूठी रिपोर्टिंग पर सख्ती

घटना के बाद Zee News, News18, Republic World समेत कई राष्ट्रीय चैनलों ने बिना पुष्टि के कारी इकबाल को पाकिस्तानी आतंकवादी और लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर बताकर रिपोर्टिंग की थी। इन चैनलों ने इसे “सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता” करार दिया। कुछ रिपोर्ट्स में तो उन्हें पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड तक बताया गया।

इस झूठी रिपोर्टिंग के विरोध में पुंछ के स्थानीय लोगों ने सड़क पर उतरकर शांति पूर्ण प्रदर्शन किया। लोगों ने बताया कि कारी इकबाल एक सम्मानित धार्मिक शिक्षक थे, जिनका किसी भी आतंकवादी गतिविधि से कोई लेना-देना नहीं था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भी एडवाइजरी जारी कर चेतावनी दी थी कि “झूठी और भ्रामक खबरें” फैलाने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

कोर्ट ने FIR दर्ज करने का दिया आदेश

शनिवार (28 जून) को उप न्यायाधीश शफीक अहमद की अदालत ने मामले में सख्त रुख अपनाते हुए आदेश दिया कि Zee News, News18 और अन्य टीवी चैनलों के संबंधित एंकरों और संपादकों के खिलाफ FIR दर्ज की जाए। कोर्ट ने कहा कि “माफीनामा देना अपराध की गंभीरता को कम नहीं करता।”

किन धाराओं में होगी कार्रवाई?

पुलिस को भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की निम्नलिखित धाराओं के तहत FIR दर्ज करने का आदेश दिया गया है:

  • धारा 353 (2): लोक अशांति फैलाना
  • धारा 356: मानहानि
  • धारा 196 (1): धार्मिक समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाना
  • IT Act 2000 की धारा 66: कंप्यूटर का धोखाधड़ी से उपयोग करना

मीडिया की जिम्मेदारी पर कोर्ट की टिप्पणी

कोर्ट ने कहा कि “मीडिया की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत संरक्षित है, लेकिन अनुच्छेद 19(2) के तहत इस पर उचित प्रतिबंध भी लागू होते हैं।”

अदालत ने स्पष्ट किया कि “एक मृतक धार्मिक शिक्षक को बिना जांच-पड़ताल के आतंकवादी कहना केवल पत्रकारिता में चूक नहीं बल्कि एक गंभीर अपराध है।”

कोर्ट ने कहा कि मीडिया संस्थानों पर यह संवैधानिक और नैतिक जिम्मेदारी है कि वे अपनी खबरें सही, निष्पक्ष और प्रमाणिक रूप से प्रकाशित करें। प्रेस की स्वतंत्रता किसी को भी झूठी या मानहानिपूर्ण खबरें प्रकाशित करने की छूट नहीं देती।

आरोपी चैनलों ने मांगी थी माफी

Zee News, News18 और अन्य चैनलों ने विवाद बढ़ने पर सोशल मीडिया के माध्यम से माफी मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने कहा कि “माफी केवल सजा कम करने में सहायक हो सकती है, अपराध को समाप्त नहीं करती।”

पुलिस को 7 दिन में रिपोर्ट पेश करने का आदेश

कोर्ट ने पुंछ पुलिस स्टेशन के SHO को निर्देश दिया है कि वे सात दिन के भीतर इस मामले में जांच शुरू कर रिपोर्ट पेश करें। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि यह पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और समयबद्ध होनी चाहिए।

क्या था मामला?

भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकवादी ठिकानों पर कार्रवाई के बाद पाकिस्तान की ओर से पुंछ में भारी गोलाबारी की गई थी, जिसमें 12 लोग मारे गए थे। इनमें कारी मोहम्मद इकबाल भी शामिल थे, जिनकी मौत को राष्ट्रीय मीडिया ने गलत तरीके से “आतंकवादी के मारे जाने” की तरह पेश किया था।

इस पूरे मामले ने एक बार फिर से मीडिया की जवाबदेही, फैक्ट चेकिंग और पत्रकारिता की जिम्मेदारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कोर्ट का आदेश मीडिया संस्थानों के लिए एक बड़ा संदेश है कि ‘फ्रीडम ऑफ प्रेस’ का मतलब जिम्मेदारी से समझौता नहीं है।

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