बिहार के किसी भी जिले के रहने वाले हैं और गायों को पालकर डेयरी उद्योग शुरू करना चाहते हैं, तो आज हम आपको कुछ ऐसी गायों की नस्लों के बारे में बताएंगे, जो आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकती हैं.
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पश्चिम चंपारण जिले के मुख्यालय बेतिया के टीन लालटेन चौक पर 1917 से स्थापित पिंजरा पॉल गौशाला में पशु चिकित्सक के रूप में कार्यरत किचलेश का कहना है कि बिहार में गाय पालने वालों को कुछ खास नस्लों की गायों को पालना चाहिए.
इनमें डेनमार्क की होल्स्टीन फ्रीजियन, संकर नस्ल शंकर, देशी नस्ल साहीवाल और गिर शामिल हैं. ये ऐसी गायों की नस्लें हैं, जो हर रोज औसतन 30 लीटर दूध देती हैं. साथ ही, इनमें किसी भी तरह की बीमारी की संभावना भी काफी कम होती है.
ऐसे में इन्हें पालना हर किसी के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. बता दें कि किचलेश पिछले 30 सालों से पशु चिकित्सक के रूप में काम कर रहे हैं. उन्होंने दूध के कारोबार के लिए सबसे अच्छी गायों की नस्लों के बारे में विशेष जानकारी साझा की है. उनका कहना है कि इन गायों की कीमत 60 हजार से 1 लाख रुपये तक हो सकती है.
साहीवाल गाय भारत में पाई जाने वाली सबसे अच्छी गायों की नस्लों में से एक है. इसे मुख्य रूप से हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पाला जाता है. अच्छी बात यह है कि इसे बिहार में भी डेयरी उद्योग के लिए पाला जा सकता है. यह रोजाना औसतन 20 से 25 लीटर दूध देती है.
गिर गाय को भारत की सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय माना जाता है. यह गाय एक दिन में 30 से 50 लीटर दूध देती है. हालांकि, मूल रूप से यह गाय काठियावाड़ (गुजरात) के दक्षिण में स्थित गिर के जंगल की रहने वाली है, इसलिए इनका हर जगह रह पाना संभव नहीं है. बिहार में एक स्वस्थ गिर नस्ल की गाय रोजाना औसतन 25 से 30 लीटर दूध दे सकती है.
किचलेश के अनुसार, दूध उद्योग के लिए संकर नस्ल की गाय भी बहुत अच्छी मानी जाती है. यह मुख्य रूप से एक क्रॉस ब्रीड है, जिसे डेनमार्क की होल्स्टीन फ्रीजियन नस्ल के साथ मिलाकर बनाया जाता है. इससे औसतन हर रोज 30 से 35 लीटर दूध प्राप्त किया जा सकता है.