कृषि विज्ञान केंद्र नियमतपुर के कृषि विशेषज्ञ डॉ. एनसी त्रिपाठी ने बताया है कि धान की फसल की रोपाई से पहले धान की नर्सरी तैयार की जा रही है. नर्सरी के लिए बीज खरीदते वक्त किसानों को कई सावधानियां बरतने की जरूरत होती है. सबसे महत्वपूर्ण है कि किसान अपने क्षेत्र की जलवायु और सिंचाई की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही बीज का चुनाव करें.
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जलवायु और सिंचाई के हिसाब से करें बीज का चुनाव (Jalvaayu Aur Sinchai Ke Hisab Se Karen Beej Ka Chunav)
धान की रोपाई के लिए जरूरी है कि किसान अपने खेत की जलवायु और सिंचाई के साधनों को ध्यान में रखते हुए ही धान के बीज का चुनाव करें. मिट्टी की स्थिति और जलभराव की स्थिति को देखते हुए भी धान की खेती करनी चाहिए. क्योंकि कई ऐसी किस्में होती हैं जिन्हें कम पानी वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है. वहीं कई ऐसी किस्में भी हैं जो जलभराव की स्थिति में भी अच्छा उत्पादन देती हैं.
धान की फसल तैयार होने में 110 से 140 दिनों का समय लगता है, जो कि किस्मों के अनुसार अलग-अलग हो सकता है. धान की फसल में किसानों को अच्छी लागत भी लगाना पड़ती है. ऐसे में जरूरी है कि किसान किसी रजिस्टर्ड दुकान से ही प्रमाणित बीज खरीदें. नहीं तो किसानों को नकली बीज भी मिल जाते हैं. जिसकी वजह से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.
बीज खरीदते समय रखें इन बातों का ध्यान (Beej Kharidte Samay Rakhen In Baaton Ka Dhyan)
दुकान से बीज खरीदते समय किसानों को सील पैकेट का बीज बिल्कुल नहीं खरीदना चाहिए. पैकेट को खोलकर देखें कि दाने काले या सड़े हुए तो नहीं हैं. बीज में ज्यादा नमी नहीं होनी चाहिए, नहीं तो अंकुरण प्रभावित हो सकता है. इसके अलावा यह भी देखें कि धान के सारे दाने एक जैसे हों, अगर धान के दाने छोटे-बड़े हैं तो ऐसे बीज बिल्कुल न खरीदें. इसमें मिलावट होने की बहुत ज्यादा संभावना रहती है.
बिना किसी लैब के भी धान के बीजों की गुणवत्ता की जांच किसान कर सकते हैं. नर्सरी लगाने से पहले किसानों को धान के बीजों को नमक के पानी में भिगोना चाहिए. पानी में नमक डालने से पानी का घनत्व बढ़ जाता है. जिसके कारण हल्के और खराब दाने ऊपर तैरने लगते हैं. ऐसे दानों को निकालकर अलग कर दें. अच्छी गुणवत्ता वाले दाने पानी के नीचे बैठ जाएंगे. इन्हें साफ पानी से धोकर नर्सरी में लगाएं. इस बीज से तैयार पौधे स्वस्थ होंगे और ज्यादा उत्पादन देंगे.
बिल जरूर लें (Bil Jarur Len)
दुकान से बीज खरीदते समय किसान बीज की दुकान से पक्का बिल जरूर लें. कई बार ऐसा होता है कि दुकानदार किसानों को ज्यादा पैदावार का दावा करके बीज बेच देते हैं. लेकिन बाद में उत्पादन कम होता है. ऐसे में अगर किसान के पास पक्का बिल होता है तो वो दावा भी कर सकता है.