इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में एक डिजिटल अरेस्ट का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। केंद्रीय विद्यालय की पूर्व प्राचार्य नंदनी चिपलुनकर, जिनके छात्र रहे हैं जयराम रमेश जैसे बड़े नेता और कई आईएएस-आईपीएस अफसर, साइबर ठगों का शिकार बन गईं। ठगों ने वीडियो कॉल पर उन्हें मानसिक रूप से कैद कर लिया और फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) तुड़वाकर लाखों रुपये ट्रांसफर कराने की साजिश रची।
कौन हैं नंदनी चिपलुनकर?
नंदनी चिपलुनकर, केंद्रीय विद्यालय इंदौर की सेवानिवृत्त प्राचार्य हैं, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर शैक्षणिक पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्होंने देश के कई वरिष्ठ अधिकारी और नेता जैसे जयराम रमेश, आईएएस, आईपीएस अफसरों को पढ़ाया है। उनके बेटे प्रभोद चिपलुनकर वर्तमान में अमेरिका में रहते हैं।
कैसे हुआ ‘डिजिटल अरेस्ट’?
कुछ दिन पहले नंदनी को साइबर ठगों का कॉल आया, जिसमें उन्हें बताया गया कि उनका नाम एक आपराधिक जांच में है। इसके बाद अपराधियों ने उन्हें एक वीडियो कॉल पर ले लिया और लगातार डराने-धमकाने लगे।
नंदनी इतनी घबरा गईं कि उन्होंने खुद को कमरे में बंद कर लिया और किसी से बात करना बंद कर दिया। बेटे प्रभोद ने यूएसए से कई बार कॉल किया, लेकिन नंदनी ने उनकी भी बात नहीं मानी। अपराधी लगातार उन्हें मनोवैज्ञानिक दबाव में लेकर FD तुड़वाने के लिए कहते रहे।
बैंक में जाते ही खुली साजिश की परतें
अगले दिन नंदनी एसबीआई वायएन रोड शाखा पहुंचीं और आरटीजीएस फार्म भरकर पैसे ट्रांसफर करने की कोशिश की। वहां मौजूद मैनेजर पुष्पांजलि कुमारी को संदेह हुआ। उन्होंने कहा कि “सर्वर डाउन है”, और तुरंत क्राइम ब्रांच के एडीसीपी राजेश दंडोतिया को फोन किया।
पुलिस तत्काल पहुंची और नंदनी की काउंसलिंग कर उन्हें इस जाल से बाहर निकाला। उनका फोन बंद करवाया गया और अपराधियों की ट्रेसिंग शुरू की गई।
कैसे काम करते हैं डिजिटल अरेस्ट के अपराधी?
डीसीपी (अपराध) राजेश त्रिपाठी के अनुसार, इंदौर में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। इनमें अपराधी कम पढ़े-लिखे होते हैं लेकिन शिकार पढ़े-लिखे और प्रतिष्ठित लोग बनते हैं।
नंदनी से ठगों ने जो खाता नंबर साझा किया वह ICICI बैंक केरल का था। जांच में सामने आया कि वह खाता फर्जी दस्तावेजों से खोला गया था और इसका इस्तेमाल धोखाधड़ी में हो रहा था।

डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें?
- अज्ञात कॉल या वीडियो कॉल पर कोई व्यक्तिगत जानकारी न दें।
- किसी भी बैंकिंग ट्रांजैक्शन से पहले परिवार या बैंक मैनेजर से सलाह लें।
- कभी भी डर के कारण कोई फाइनेंशियल निर्णय न लें।
- ऐसे मामलों की तुरंत साइबर पुलिस में शिकायत करें।
यह घटना यह बताती है कि डिजिटल ठगों के जाल में कोई भी फंस सकता है, चाहे वह कितना भी शिक्षित और प्रतिष्ठित क्यों न हो। नंदनी चिपलुनकर जैसी सम्मानित शिक्षिका को वीडियो कॉल के जरिए मानसिक रूप से बंधक बनाना दर्शाता है कि अब डिजिटल अरेस्ट एक गंभीर साइबर क्राइम बन चुका है। प्रशासन, बैंक और नागरिकों को इससे सतर्क रहने की ज़रूरत है।
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