Breaking News: एक जूनियर इंजीनियर ₹35 करोड़ का मालिक कैसे? बेनामी संपत्ति का खुलासा, क्या यही है ‘अमीरी का राज’?

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दमण, 22 सितंबर 2025 (MP Jankranti News)। भारत में भ्रष्टाचार के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं, लेकिन कुछ मामले इतने चौंकाने वाले होते हैं कि वे पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर देते हैं। ऐसा ही एक मामला डीएनएच और डीडी पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड में सहायक अभियंता समीर किशोरकुमार पांड्या से जुड़ा है। सूत्रों और उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार, उन पर अपने पद का दुरुपयोग कर ₹35 करोड़ से अधिक की आय से अधिक संपत्ति जमा करने का गंभीर आरोप लगा है।

सामान्य करियर, असाधारण संपत्ति 13 नवंबर 1997 को विद्युत विभाग में कनिष्ठ अभियंता के रूप में सरकारी सेवा में शामिल हुए समीर पांड्या का करियर ऊपर से सामान्य दिखता है। वे अपनी वरिष्ठता के आधार पर सहायक अभियंता के पद तक पहुंचे। कागजी तौर पर, उनकी आय एक मध्यमवर्गीय अधिकारी के दायरे में आती है, लेकिन उनकी संपत्ति का हिसाब चौंकाने वाला है।

दस्तावेजों और अभिलेखों के मुताबिक, 2015 से 2020 के बीच पांड्या परिवार ने 7,793.64 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के 22 भूखंड अर्जित किए। कुल मिलाकर, उनके पास 23,657 वर्ग मीटर जमीन, जिसमें मकान, प्लॉट और औद्योगिक इकाइयां शामिल हैं, होने का अनुमान है। आज के बाजार भाव के हिसाब से इस संपत्ति का मूल्य ₹35 करोड़ से अधिक है। इस आंकड़े में उनके बैंक बैलेंस, सोना, शेयर या अन्य चल संपत्तियां शामिल नहीं हैं।

परिवार के नाम पर कंपनियां और बेनामी संपत्ति साक्ष्य यह भी दर्शाते हैं कि पांड्या की पत्नी सुमिता समीर पांड्या संपत्ति संचय में केंद्रीय भूमिका निभाती हैं। उनका नाम कई कंपनियों में साझेदार के रूप में दर्ज है, जिनमें भीमपुर, दमण की आर.के. पेट प्रोफाइल्स और सोमनाथ, दमण की मैक्स एक्सट्रूज़न्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। यह संदेह भी जताया जा रहा है कि कई संपत्तियां परिवार के दूर के सदस्यों, व्यावसायिक साझेदारों या रिश्तेदारों के नाम पर भी हो सकती हैं, क्योंकि पांड्या दंपत्ति मूल रूप से दमण और दीव के निवासी नहीं हैं।

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जांच एजेंसियों से तत्काल कार्रवाई की मांग यह मामला केवल एक व्यक्ति के भ्रष्टाचार का नहीं है, बल्कि यह उस व्यवस्था की विफलता का प्रतीक है जो ऐसे कृत्यों को फलने-फूलने देती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस पूरे घोटाले का स्पष्ट खुलासा करने के लिए सीबीआई, ईडी और अन्य सतर्कता एजेंसियों द्वारा तत्काल छापेमारी की आवश्यकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि “अस्पष्टीकृत संपत्ति स्वयं भ्रष्टाचार का सबूत है।” इस मामले में सबूत पहले से ही मौजूद हैं, और अब केवल निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है। यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो महत्वपूर्ण सबूतों को मिटाया जा सकता है, बेनामी संपत्तियों का हस्तांतरण हो सकता है और आरोपी फरार हो सकते हैं। यह भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘शून्य सहनशीलता’ के वादे का भी एक लिटमस टेस्ट है।

समीर किशोरकुमार पांड्या का मामला भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे संघर्ष की एक बड़ी परीक्षा है। अगर इस मामले में जल्द और निर्णायक कार्रवाई होती है, तो यह देश के नागरिकों के बीच कानून के शासन और जवाबदेही के प्रति विश्वास को मजबूत करेगा।

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